लगातार हो रही बारिश से धंसते रिज पर बढ़ रहा है खतरा

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शिमला।। शिमला का रिज मैदान जिसे शहर का दिल कहा जाता है। इसके धंसने का खतरा लगातार बना हुआ है। रिज का कुछ हिस्सा पहले ही धंस चुका है। यहां का मुख्य पेयजल टैंक पहले ही कमजाेर अवस्था में आ गया है। इसमें दरारें आ चुकी हैं। ऐसे में लगातार हो रही बारिश से रिज मैदान को और खतरा हो गया है।

साेमवार काे हुई मूसलाधार बारिश के चलते सारा पानी धंसे हुए रिज की दराराें में रिसता गया। इससे अब रिज मैदान की नींव और ज्यादा कमजाेर हाे रही है। प्रदेश में मॉनसून सीजन जारी है। लगातार लगातार बारिश का दौर चला हुआ है। माैसम विभाग की ओर से आने वाले दिनाें में भी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। ऐसे में हालात और ज्यादा खराब हाे रहे हैं।

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, लाेक निर्माण विभाग फाॅरेस्ट क्लीयरेंस में ही उलझ कर रह गया है। और भारी बारिश में रिज के धंसने का खतरा लगातार बना हुआ है। शिमला के पूर्व मेयर संजय चाैहान ने भी अब धंसते रिज काे लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं।

संजय चौहान ने कहा कि सरकार, नगर निगम और लाेक निर्माण विभाग कोई भी धंसते रिज काे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हमने 2015 में लगभग 30 करोड़ का कॉम्प्रेसिव प्लान बनाया था। जो कि सिर्फ सेल्फ फाइनांसिंग के तहत ही पूरा हाेना था। इसके लिए सरकार व किसी अन्य की मदद की भी जरूरत नहीं थी।

इस प्लान के तहत तिब्बतियन मार्केट से लेकर रिज मैदान तक 100 दुकानें बनाई जानी थी। जबकि ये प्लान नगर निगम ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है। संजय चाैहान का कहना है कि अगर रिज मैदान धंसा ताे इसकी पूरी जिम्मेवारी सरकार की हाेगी।

इसलिए रिज काे खतरा

1830 में रिज के नजदीक सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जाने लगे। जिसके बाद 1887 में अंग्रेजों द्वारा यहां गेयटी थियेटर का निर्माण करवाया गया। गेयटी थियेटर के निर्माण के समय सारा मलबा तिब्बती मार्केट की ओर फेंका गया। फिर टाउनहॉल का निर्माण हुआ।

साल 1880 में रिज मैदान के नीचे पानी के टैंकों का निर्माण किया गया था। टैंक बनाने के लिए हुई खुदाई से निकली सारी मिट्टी भी तिब्बतियन मार्केट की तरफ ही फेंकी गई। साल 2011 में रिज का एक हिस्सा एकदम से बैठ गया। निरीक्षण करने पर पाया कि इसमें दरारें पड़ रही हैं और इसके नीचे का मलबा लगातार बह रहा है।