फर्जी रेंट अग्रीमेंट से हिमाचल में रजिस्टर करवाई जा रहीं लग्जरी गाड़ियां?

प्रतीकात्मक तस्वीर

शिमला।। नियमों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में वही लोग अपनी गाड़ी का पंजीकरण करवा सकते हैं, जो यहां के निवासी हैं या फिर नौकरी या कारोबार के सिलसिले में यहां पर रहते हैं। मगर आरोप लग रहा है कि अन्य राज्यों में लग्जरी वाहन खरीदने वाले लोग हिमाचल के कुछ बाशिंदों के साथ मिलीभगत करके रेंट अग्रीमेंट बनवा रहे हैं और उसके आधार पर हिमाचल का नंबर ले रहे हैं।

इसी कारण, मर्सिडीज़, वॉल्वो, लैंड रोवर, बीएमडब्ल्यू और लैंबर्गीनी जैसी गाड़ियों का पंजीकरण भी हिमाचल में हो रहा है। ऐसी बात नहीं है कि हिमाचल के लोग इन गाड़ियों को नहीं खरीद सकते। प्रदेश संपन्न है और लोग इस तरह के वाहन खरीदने में सक्षम हैं और खरीद भी रहे हैं। मगर बड़ी संख्या में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी तक के लोग भी हिमाचल में अपनी महंगी गाड़ियों का पंजीकरण करवा रहे हैं क्योंकि यहां पर वाहन पंजीकरण करवाने की दर पड़ोसी राज्यों से कम है।

बाकी प्रदेशों में जहां वीइकल रजिस्ट्रेशन रेट  6 से 8 प्रतिशत है, वहीं हिमाचल में अभी यह मात्र 3 प्रतिशत है। यही कारण है कि वे अपने राज्यों के बजाय हिमाचल में अपनी गाड़ी रजिस्टर करवा रहे हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में इंदौरा जैसे छोटे कस्बे में एक लैंबर्गीनी कार का रजिस्ट्रेशन हुआ और वह चर्चा का विषय बन गया।

Lamborghini registered in Indora a surprise

सरकार की ढील
ध्यान देने की बात है कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश विधानसभा में एचपी मोटर वीइकल टैक्सेशन अमेंडमेंट बिल पारित हुआ था जिसके तहत इस फीस को बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया था। मगर अभी तक सरकार ने इसे हस्ताक्षर के लिए राज्यपाल के पास नहीं भेजा है। उनके हस्ताक्षर के उपरांत ही यह बिल एक कानून की शक्ल लेगा और सरकार की अधिसूचना के बाद लागू होगा।

ऐसे में, पड़ोसी राज्यों के लोग (साथ ही हिमाचल के भी) तुरंत गाड़ियां लेकर हिमाचल में पंजीकरण करवा रहे हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि कुछ लोगों ने गाड़ियां खरीदकर उनका रजिस्ट्रेशन करवा लिया है मगर वे मुहूर्त के हिसाब से दिवाली का इंतजार कर रहे हैं ताकि उसे घर ला सकें। तब तक गाड़ियां शो रूम में ही रखवाई गई हैं।

पिछले साल जून 2019 से सितंबर 2019 तक 13,754 गाड़ियों का पंजीकरण हिमाचल में हुआ था। मगर इस साल इसी अवधि में यह संख्या 16,761 है। यानी पिछले साल से लगभग तीन हजार ज्यादा वाहन। ऐसा तब हुआ, जब  तीन महीनों तक तो लॉकडाउन ही लगा हुआ था। ऐसे में यह बात चौंकाने वाली है।

सरकार की अजीब सोच
एक तरह से इसमें हिमाचल को राजस्व का फायदा हो रहा है मगर जो प्रक्रिया अपनाई जा रही है, वह ठीक नहीं है। ऐसा नहीं है कि सरकार को इस बारे में पता नहीं है। ट्रांसपोर्ट कमिश्नर जे.एम. पठानिया का कहना है कि उनके संज्ञान में मामला आया है और इंदौरा में लैंबर्गीनी के रजिस्ट्रेशन के मामले की जांच की जाएगी।

हालांकि, उन्होंने आउटलुक मैगजीन से कहा है कि जब एक बार कानून (जो विधेयक विधानसभा के मॉनसून सत्र में पारित हुआ है मगर अभी राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं हुए हैं) बन जाएगा तो इस पर रोक लग जाएगी।

लेकिन सवाल ये है कि इस तरह की गतिविधियां रोकने के लिए पहले से मौजूद प्रावधनों को कड़ा क्यों नहीं किया जाता? क्यों न लग्जरी वाहनों पर ही अतिरिक्त रजिस्ट्रेशन रेट लगाया जाए क्योंकि जो इतना महंगा वाहन खरीद सकता है, वह महंगा पंजीकरण करवा सकता है। मगर कोई आम हिमाचली जो जरूरतों के लिए छोटा वाहन लेता है, वह 10 प्रतिशत फीस कहां से भरेगा?

हिमाचल में गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन महंगा हुआ, विधानसभा में बिल पास

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