अब ढाई बजे होगी 18+ के लिए वैक्सीन की ‘फ्लैश’ बुकिंग

प्रतीकात्मक तस्वीर

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में 18-44 वर्ष की आयु के लोगों को वैक्सीन के लिए अपना स्लॉट बुक करवाने में उसी तरह से मशक्कत करनी पड़ रही है जिस तरह से कुछ साल पहले चीनी स्मार्टफोन कंपनियों का मोबाइल खरीदने के लिए फ्लैश सेल में हिस्सा लेना पड़ता था। पहले सरकार की ओर से स्लॉट बुकिंग के लिए जो समय दिया गया, उससे पहले ही बुकिंग खुलने के आरोप लगे। फिर कुछ ही सेकंड में सभी स्लॉट बुक हो गए।

अब राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी हुआ है कि 22, 25 और 29 मई को सभी जिले दोपहर बाद ढाई बजे कोविन पोर्टल पर अपने सेशन पब्लिश करें। यानी 18-44 आयु वर्ग वालों के वैक्सीनेशन के लिए तय दिनों (सोमवार और गुरुवार) से दो दिन पहले। इसलिए आप अगर अपना पंजीकरण करवाना चाहते हैं तो इन तारीखों को ढाई बजे से पहले ही तैयार होकर बैठ जाएं। ढाई से तीन बजे तक पोर्टल खुलेंगे लेकिन चंद सेकेंडों में ही स्लॉट बुक होने की आशंका है।

लॉटरी लगने जैसी स्थिति
देश में अगर वैक्सीन पर्याप्त होती तो प्रदेश में इस तरह से स्लॉट बुक करवाने में मारामारी नहीं होती। सोचिए, जब टेक्नॉलजी, मोबाइल और इंटरनेट की कॉमन समझ रखने वालों को इतनी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है तो गांव और अंदरूनी क्षेत्रों के उन लोगों का तो नंबर आएगा ही नहीं, जो मोबाइल फ्रेंडली नहीं हैं।

देश के दूसरे हिस्सों की तरह हिमाचल में भी वैक्सीन के लिए मारामारी जैसी स्थिति इसलिए पैदा हो गई है क्योंकि केंद्र के आदेश पर हिमाचल ने 18-44 के लिए वैक्सीनेशन शुरू कर दिया। मगर हकीकत यह है कि उसके पास वैक्सीनेशन के लिए पर्याप्त वैक्सीन नहीं है। हाल ही में सीमित मात्रा में आई सप्लाई से हफ्ते में मात्र दो दिन 18-44 के टीकाकरण के लिए रखे गए हैं और उसमें भी कुछ ही लोगों को स्लॉट बुक करवाने का मौका मिल रहा है। स्लॉट बुक होना लॉटरी लगने से कम नहीं है।

भले ही सरकार इस आधार पर पीठ थपथपा रही है कि वह वैक्सीनेशन के मामले में सबसे आगे है, लेकिन हकीकत यह है कि इसमें उसकी कोई उपलब्धि नहीं है। शुरू में वैक्सीन केंद्र के प्रबंधन से आई और अब जाकर राज्यों को अपने स्तर पर वैक्सीन का इंतजाम करना पड़ रहा है। राज्य सरकार की ओर से ऑर्डर की गई वैक्सीन की खेप अभी पहुंची है, इसके पहले ही 31 फीसदी (पुरानी जनगणना के आधार पर) आबादी का वैक्सीनेशन हो चुका था।

हालांकि, राज्य सरकार की, यूं कहें कि स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धि यह रही कि उन्होंने उपलब्ध वैक्सीन वाइल्स से ज्यादा से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया और वैक्सीन बर्बाद नहीं हुई। लेकिन अब केंद्र सरकार की ओर से सेकंड डोज की अवधि बढ़ा दी गई है जिससे बहुत सारे लोगों को पहले वाले तय समय पर दूसरी डोज नहीं लग पा रही है। जब उनकी ही यह स्थिति है तो 18-44 वालों समेत पूरी आबादी का टीकाकरण करने में कई महीने लग जाएंगे।

कछुए की रफ्तार से हो रहे वैक्सीनेशन से पूरा सुरक्षा चक्र टूट जाएगा क्योंकि कोई अभी तक दावे से नहीं कह सकता कि वैक्सीन से कितने समय तक इम्यूनिटी बन रही है। हो सकता है कि जब तक आबादी के आखिरी हिस्से को वैक्सीन मिले, तब तक सबसे पहले वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को वैक्सीन से मिली इम्यूनिटी ही खत्म हो गई है। यानी पूरा सुरक्षा चक्र टूट जाएगा। बेहतर होगा सरकार जिस आयु वर्ग को (जो खतरे में ज्यादा हैं) पहले से वैक्सीन लगवा रही है, उसे समय पर दूसरी डोज देकर सुरक्षित बना दे। वरना ऐसे न युवाओं का ढंग से टीकाकरण हो पा रहा, न उम्रदराज लोगों का।

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