हिमाचल में अनाथ बच्चों के लिए पहले से मौजूद है 2500 रुपये मदद की योजना

प्रतीकात्मक तस्वीर

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में कोरोना के कारण अनाथ होने वाले बच्चों की मदद को लेकर एक अजीब सी स्थिति बनती दिख रही है। पहले कांग्रेस की ओर से हिमाचल में कोरोना रिलीफ कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए पूर्व मंत्री जीएस बाली की ओर से बयान दिया गया कि कोविड के कारण अनाथ होने वाले बच्चों को कांग्रेस 18 साल का हो जाने तक हर महीने दो हजार रुपये की आर्थिक मदद देगी ताकि उनकी पढ़ाई और अन्य खर्चों में मदद मिल सके।

इसके तुरंत बाद सरकार की ओर से बयान जारी किया गया कि हिमाचल सरकार कोविड के कारण अनाथ होने वाले बच्चों को हर महीने 2500 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी। लेकिन कुछ मीडिया संस्थानों ने इस खबर को ऐसे चलाया मानो यह कोविड के लिए कोई विशेष नई योजना शुरू की गई है। वास्तव में पहले से ही एक सरकारी योजना मौजूद है जिसके तहत अनाथ या बेसहारा बच्चों को बालिग हो जाने तक हर माह 2500 रुपये दिए जाते हैं।

क्या है योजना
हिमाचल प्रदेश सरकार ‘बाल-बालिका सुरक्षा योजना’ के तहत अनाथ और बेसहारा बच्चों के पालन-पोषण और देखभाल के लिए प्रति माह 2,000 रुपए की सहायता राशि प्रदान करती है। बच्चों को संभालने वाले परिवार (अभिभावकों) को दी जाने वाली इस सीधी मदद के अलावा बेसहारा बच्चों के नाम हर माह 500 रुपये एफडी में भी जमा किए जाते हैं। ऐसे बच्चों को यह आर्थिक सहायता 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक प्रदान की जाती है। जैसे ही बच्चे बालिग होते हैं, वे एफडी में जमा पैसे भी निकाल सकते हैं।

पहले इस योजना के तहत एफडी में हर माह 300 रुपये जमा किए जाते थे लेकिन जयराम सरकार ने 22 जुलाई 2020 से इसे बढ़ाकर 500 रुपये प्रति माह कर दिया था। अनाथ बच्चों के अलावा ऐसे बच्चों को भी यह मदद मिलती है, जिनके माता-पिता दोनों जेल में हों या फिर दोनों एचआईवी पॉजिटिव हों या किसी गंभीर घातक बीमारी से जूझ रहे हों। इसके अलावा अगर पिता का देहांत होने पर मां ने कहीं अन्य विवाह करके बच्चे की देखभाल छोड़ दी हो या फिर मां का देहांत होने पर पिता ने कहीं विवाह करके बच्चे का देखभाल बंद कर दी हो, तब भी उसे यह मदद मिल सकती है।

इस योजना का लाभ उन्हीं को मिल सकता है जब माता-पिता और बच्चे, सभी हिमाचल के स्थायी निवासी हों। इसके साथ ही पालने वाले अभिभावकों की उम्र और आय को लेकर भी कुछ शर्तें हैं। सीएम ने हाल ही में इसी योजना को लेकर जानकारी देते हुए कहा था, “प्रदेश में अब तक करोना से सात बच्चे अनाथ हुए हैं। वो अभी रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं। उनके रिश्तेदारों से संपर्क किया गया तो उन्होंने बच्चों को शिशु देखभाल केंद्र में भेजने से इनकार कर दिया। ऐसे में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे बच्चों को उनके पालक की देखभाल में रखने की कार्यवाही शुरू करें और उन्हें 18 साल की उम्र तक 2500 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जाएं।”

इस बीच कांग्रेस अपनी ओर से 2000 रुपये प्रतिमाह देने की योजना को 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्य तिथि के अवसर पर लॉन्च करने जा रही है। इस तरह से देखें तो सरकारी 2500 और कांग्रेस की ओर से 2000 रुपये मिलाकर अनाथ बच्चों को प्रतिमाह 4500 रुपये की आर्थिक मदद मिलेगी। कोशिश यह रहनी चाहिए कि इतनी रकम को पालन करने वाले अभिभावकों को सीधे देने के बजाय बच्चे के नाम एफडी बनाई जाए ताकि वह बालिग होने पर उसका कुछ उपयोग कर पाए।

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