इन हिमाचल डेस्क।। आज हिमाचल दिवस के मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने ऑफिशल फेसबुक पेज पर एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा गया है- हिमाचल प्रदेश ने जिस अभूतपूर्व और समग्र विकास को पिछले 70 वर्षों में देखा है, उसे बयान करता हुआ ये एक वीडियो आप ज़रूर देखें। आपको हिमाचल दिवस की हार्दिक बधाई। अब यह पढ़कर तो लगता है कि प्रदेश ने जिन कठिनाइयों पर विजय हासिल करते हुए तरक्की का रास्ता तय किया है, यह वीडियो उसी पर होगा। मगर यह वीडियो प्रदेश की उपलब्धियों की जानकारी नहीं देता बल्कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के राजनीतिक सफर पर प्रकाश डालता है। यह एक तरह का प्रमोशनल वीडियो है जिसमें यह दिखाया गया है कि हिमाचल प्रदेश में जितनी भी तरक्की हुई है, उसका श्रेय वीरभद्र सिंह को जाता है।
अच्छा होता अगर प्रदेश अगर हिमाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के मौके पर कोई राजनीतिक रूप से तटस्थ वीडियो बनाया जाता क्योंकि भले ही वीरभद्र 6 बार मुख्यमंत्री रहे हों, अन्य मुख्यमंत्रियों का भी प्रदेश के विकास में योगदान रहा है। ऐसा नहीं कहा जा सकता कि प्रदेश आज जहां पहुंचा है, वह सिर्फ वीरभद्र सिंह की वजह से ही पहुंचा है। मगर वीडियो में दिखाया गया है कि हिमाचल में तमाम मुश्किलें थीं और विकास करना बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य था। इसमें पहले समस्याओं को गिनाया गया है और आगे कहा है- लेकिन जहां मुश्किलें होती हैं वहां उनसे लड़ने का जज्बा और विकास का जुनून भी पैदा होता है। हिमाचल प्रदेश के विकास और प्रगति को जिन मजबूत कंधों की जरूरत थी, वह कर्मयोगी और युगपुरुष हिमाचल के सराहन में महाराजा पद्म सिंह और महारानी शांति देवी के यहां जन्मे। मात्र 13 वर्ष की आयु में जिन्होंने बुशहर रियासत संभाली।
राजनीति चलती रहती है मगर अपनी उपलब्धियां गिनाने में डॉक्टर परमार को भूलना कैसे संभव है? ठीक है कि वह राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के चलते धूमल या शांता का नाम नहीं ले सकते थे मगर परमार तो उन्हीं की पार्टी के थे। डॉक्टर वाई.एस. परमार वह शख्स थे जिन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी हिमाचल को आज का हिमाचल बनाने में। जिन्होंने उन लोगों को गलत साबित किया जो कहते थे कि पहाड़ी राज्य कुछ कर नहीं पाएगा। डॉक्टर परमार ने जो हिमाचल की नींव रखी थी, उसी के दम पर आज यह ऊंचा उठता जा रहा है। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। पढ़ें: डॉक्टर परमार न होते आज पंजाब में होता पूरा हिमाचल
पहले यह वीडियो देखें और उसके नीचे पढ़ें कि इसमें कौन से दावे ऐसे किए गए हैं जो सच्चाई से दूर नजर आते हैं।
कुछ पकड़ा आपने? भले ही इस वीडियो में यह दावा किया गया है कि मात्र 13 वर्ष की आयु में वीरभद्र सिंह ने बुशहर रियासत संभाली थी, हकीकत यह थी कि उनके राज्याभिषेक से पहले ही भारत आजाद हो गया था। यह भी इतिहास है कि बुशहर रियासत ने भारत संघ में विलय का विरोध किया था। खैर, बीते दौर की बातें छोड़कर उन दावों की बात करते हैं जो वीडियो में किए गए हैं। चलिए मान लेते हैं कि हिमाचल आज जहां पर भी है, उसका पूरा श्रेय वीरभद्र सिंह को जाता है और अन्य मुख्यमंत्रियों या अन्य सरकारों को नहीं। फिर देखते हैं कि इस वीडियो में सीएम वीरभद्र सिंह का गुणगान करते हुए क्या दावे किए गए हैं। आप खुद पढ़ें और बताएं कि इन दावों से आप कितने सहमत हैं:
दावा नंबर 1. हिमाचल के हर घर तक सड़क जाती है
हिमाचल की हर पंचायत तक सड़क पहुंच जाए, यही बड़ी बात होगी। फिर गांवों का नंबर आएगा। वैसे भी हिमाचल की भौगोलिक परिस्थिति ऐसी है कि हर घर तक सड़क पहुंचाई ही नहीं जा सकती। यह बहुत ही गुमराह करने वाला बयान है।
दावा नंबर 2. हर बच्चा स्कूल जाता है
हिमाचल सरकार ने पिछले साल खुद दावा किया था- The net enrolment ratio in respect of elementary education has touched almost 100%. यह सरकार अपना दावा है जिसमें भी ऑलमोस्ट कहा गया यानी तकरीबन। मगर आप अपने आस-पड़ोस में ही कई उदाहरण देख सकते हैं जहां पर बच्चे एक लेवल के बाद पढ़ाई बीच में छोड़ देते हैं। बाकी प्रदेशों के मुकाबले हिमाचल बेहतर जरूर हो सकता है, परफेक्ट नहीं। 2015 में SSA का सर्वे कहता है कि 10वीं ड्रॉपआउट के मामले में लड़कों का पर्सेंटेज 6.20% था और लड़कियों का 5.69 पर्सेंट।
दावा नंबर 3. 100 फीसदी साक्षरता दर
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने पिछले साल जून में खुद दावा किया था कि साक्षरता दर 88 फीसदी हो गई है। एक साल के अंदर यह 100 पर्सेंट कैसे हो गई? वैसे 2011 जनगणना के आधार पर हिमाचल प्रदेश की साक्षरता दर 82.8 पर्सेंट थी। फिलहाल जनगणना के इन्हीं पैमानों को आदर्श माना जाता है और सरकार भी अपनी रिपोर्ट्स में इसी का हवाला देती है।
दावा नंबर 4. प्रदेश में लगभग हर घर में नल से साफ पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है।
गर्मियां शुरू हो चुकी हैं और प्रदेश के कई इलाकों में पानी की किल्लत शुरू हो गई है। उदाहरण लेते हैं सरकाघाट और धर्मपुर की पंचायतों का जहां लोग विवश हैं प्राकृतिक जलस्रोतों का पानी पीने के लिए। वैसे राजधानी शिमला में भी हालात अलग नहीं हैं। पीलिया से यहां कम से कम 10 लोग मारे गए थे। टंकियों में कभी बंदर का शव मिला तो कभी इंसान का।
दावा नंबर 5. लगभग सबको सिंचाई की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है
प्रदेश के इलाकों में सिंचाई की सही व्यवस्था न होने पर सूखे जैसे हालात बने रहते हैं। आईपीएच डिपार्टमेंट इतना सुस्त है कि कई इलाकों में कूहलें ठप पड़ी हैं। यही नहीं बागवानों को भी दिक्कत होती है। भरमौर में कई जगहों पर मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है। यहां तक पूर में सेब के बागीचों को भारी नुकसान पहुंच गया था सिंचाई की व्यवस्था न होने पर।
दावा नंबर 6. कृषि से 60 फीसदी लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
हिमाचल में ज्यादातर निर्वाह कृषि होती है यानी गुजारे लायक। चुनिंदा लोग ही फसलें बेचकर पैसे कमा पाते हैं। अगर मैं अपनी पुश्तैनी जमीन पर धान उगा रहा हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं उसे मंडी में बेचूंगा या इतनी पैदावार होगी कि उससे मुझे मुनाफा होगा। हो सकता है कि वह मेरे परिवार की जरूरत भी पूरी न कर पाए। हिमाचल के कृषि विभाग की वेबसाइट कहती है कि Himachal Pradesh is predominately an agricultural State where Agriculture provides direct employment to about 71 percent of the total population. मगर यह दावा गलत है। 71 पर्सेंट लोग खेती करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है उन्हें इससे रोजगार मिलता ही है।
दावा नंबर 7. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रदेश का अभूतपूर्व विकास हुआ है
सड़कों और अस्पतालों की हालत क्या है, यह बात छिपी नहीं है। सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में प्रदेश सरकार कुछ खास नहीं कर पाई है। कई प्रमुख सड़कें बरसात में नदी का रूप ले लेती हैं, गांवों की सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों पर सड़क यह मालूम नहीं। स्वास्थ्य का आलम यह है कि मुख्यमंत्री और तमाम मंत्री दांतों और आंखों का इलाज कराने भी बाहरी राज्यों में जाते हैं।
दावा नंबर 8. पर्यटन योजनाओं के लिए वीरभद्र बेहतरीन अनुदान देते रहे हैं
हिमाचल प्रदेश का पर्यटन विभाग मुख्यमंत्री ने अपने पास रखा है। दरअसल यह विभाग कई चीजों पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए सड़कें, बिजली और पानी आदि की व्यवस्था ठीक होगी तभी टूरिजम का विकास होगा। सुविधाएं होंगी तभी टूरिस्ट आएंगे। मगर अफसोस, पर्यटन पर हिमाचल सरकार बहुत कम पैसा खर्च कर रही है। मनाली जैसे रूट्स पर, जहां हर साल लाखों टूरिस्ट्स आते हैं, सड़कों की हालत दर्शनीय है। टूरिस्ट स्थलों के विकास के लिए और लोगों को अच्छा अनुभव देने के लिए कुछ भी विशेष नहीं किया जा रहा।
दावा नंबर 9. आज सच्चे मायनों में हिमाचल देवभूमि बन रहा है
हिमाचल का देवभूमि होने का सरकारों से क्या संबंध? क्या पहले हिमाचल देवभूमि नकली मायनों में थी? देवभूमि हिमाचल को कहा जाता है देवताओं की भूमि होने की वजह से। यहां शक्तिपीठों, कई प्राचीन मंदिरों और गांव-गांव में देवताओं का वास होने की वजह से इसे देवभूमि कहा गया। इसे देवभूमि इसलिए कहा गया क्योंकि यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और सादगी ऐसी है कि देवता भी वास करते हैं।
दावा नंबर 10. वीरभद्र विकासपुरुष हैं और प्रदेश का युवा उनमें अपनी आशा और भविष्य देखता है
यह निजी पसंद नापसंद का मामला है। पाठक कॉमेंट करके बताएं कि आफ उनमें अपनी आशा और भविष्य देखते है या नहीं।
जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के ऑफिशल फेसबुक पेज से इस तरह के दावे किए जाएंगे तो सभी का फर्ज बनता है कि उनकी जांच करें। यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ा जा सकता कि वीडियो को किसी और ने बनाया है। क्योंकि अगर यह ऑफिशल पेज से पोस्ट हुआ तो इसे मुख्यमंत्री का ही दावा माना जाएगा। इसलिए यह जरूरी है कि इस तरह के वीडियो में सही जानकारियां दी जाएं। इस आर्टिकल में हमने जानकारियां हमने विभिन्न स्रोतों से जुटाई हैं। सूचनाओं के स्रोत पर जाने के लिए आप हाइपरलिंक्स पर क्लिक कर सकते हैं। यह भी एक जरूरी विषय हो सकता है कि इस वीडियो को बनवाने के लिए कहीं सरकारी पैसा खर्च तो नहीं किया गया। क्योंकि यह व्यक्ति का प्रमोशन है, प्रदेश का नहीं।