शिमला।। काले धन पर लगाम कसने के इरादे से बंद किए गए 500 और 1000 के नोटों का असर हिमाचल में भी देखने को मिलेगा। वैसे तो यहां पर कई तरह के गोरखधंधों में लगे लोगों के पास काला धन है, मगर बागवानों ने जो गलत ढंग से पैसा कमा रखा है, उनकी भी पोल खुलेगी।
दरअसल सेब का सीजन खत्म होने के बाद बागवानों के पास जो पैसा आया है, बहुत से लोगों ने अभी घर पर ही रखा है। जिनके अपने बागीचे हैं, उनके लिए तो टेंशन की कोई बात नहीं, क्योंकि सेब से हुई कमाई टैक्स फ्री है। इसलिए वे अपने पैसे को अपने बागीचों से हुई आमदनी हुई दिखाकर बैंक में जमा करवा सकते हैं और बाद में नए करंसी नोट ले सकते हैं। मगर इन लोगों के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने सरकारी जमीन पर कब्जा करके सेब के पेड़ लगाए हुए हैं और उन्हें बेचकर गैर-कानूनी ढंग से पैसा कमाया है। इस तरह के लोग अपना पैसा बैंक में जमा करवाने से हमेशा से कतराते हैं, क्योंकि उन्होंने दिखाना पड़ेगा कि कमाई कहां से हुई। चूंकि उनके अपने बागीचे नहीं हैं, इसलिए वे सरकारी जमीन को शो नहीं कर सकते। इसलिए वे अपने पैसे को घर पर ही रखते हैं। अब इन लोगों के होश उड़ गए हैं।
हिमाचल प्रदेश में हर साल सेब से 2500 से 3500 करोड़ रुपये तक का कारोबार होता है जो हर साल फसल के हिसाब से बदलता रहता है। इस कारोबार से कई लोग जुड़े हैं। लाखों लोग इस कारोबार से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। यहां पर 96 फीसदी बागवान और किसान छोटे स्तर पर बागवानी या खेती करते हैं और 4 फीसदी बागवान ही बड़े हैं। इनमें भी कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी या जंगलात की जमीन पर कब्जा किया हुआ है। ऐसे लोग कमाई को घर पर ही रखते हैं, जिसमें 500 और 1000 के नोट होते हैं। अब उन्हें नोट बदलवाने होंगे तो दिखाना होगा कि कमाई कहां से हुई। अगर वे जंगल की जमीन को अपने बागीचों में शो करेंगे, तब भी फंसेंगे और अगर कम बाग दिखाकर ज्यादा आय दिखाएंगे तब भी फंसेंगे। अगर वे फंसने से बचने के लिए इस पैसे को नहीं बदवाते हैं तो उनका पैसा अपने पास बर्बाद हो जाएगा और काला धन खत्म हो जाएगा।
भांग और चरस कारोबारियों की भी नींद उड़ी
ऐसी ही हालत नंबर 2 का धंधा करने वालों की होगी। जो लोग चरस और गांजे के काले कारोबार से जुड़कर करोड़ों कमाकर बैठे हैं, अगर उनके पास भी कैश हुआ तो वे अपनी इनकम शो नहीं कर पाएंगे। इसी तरह से जमीन की डील करने में ऊपर से जो पैसों का लेन-देन होता है, उनकी भी हालत पतली हो जाएगी। यह पैसा दरअसल सरकार की नजर में आता ही नहीं था और गुप-चुप तरीके से इसका लेन-देन होता रहता था। इसी पर नकेल कसने के लिए सरकार ने तुरंत इन नोटों को बंद करवा दिया है। जिनके पास मेहनत की कमाई है, उन्हें दिक्कत नहीं है। मगर काले कारोबारियों की नींद उड़ गई है कि इस पैसे क्या करेंगे।