इन हिमाचल डेस्क।।
2 सरकार पूरे कर चुकी नरेंद्र मोदी सरकार जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रही है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी बता चुके हैं कि जून के पहले हफ्ते में सरकार के चेहरों में बदलाव देखने को मिल सकता है। जहां कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं, वहीं नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। मगर इस बाबत हुई संगठन की मीटिंग में शामिल रहे वरिष्ठ सूत्र से ‘इन हिमाचल’ को चौंकाने वाली जानकारी मिली है।
सूत्र के मुताबिक हिमाचल प्रदेश से सीनियर बीजेपी नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा के लिए पार्टी ने नई भूमिका चुनी है। बीजेपी संगठन में अमित शाह के बाद सबसे कद्दावर नेता की पहचान बना चुके नड्डा के सामने पार्टी ने प्रस्ताव रखा है कि अगले साल हिमाचल प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू करें। पार्टी चाहती है कि किसी भी तरह का चांस न लिया जाए और अगले चुनाव में हिमाचल में बीजेपी की सरकार रेकॉर्ड बहुमत से बने। मगर इससे पहले पंजाब विधानसभा चुनाव की देख-रेख का जिम्मा भी नड्डा को देने की योजना है।
नड्डा के सामने प्रस्ताव रखा है कि अभी मंत्री पद छोड़ दें और हिमाचल प्रदेश में जाकर संगठन को चुस्त-दुरुस्त करें। इसका मतलब यह हुआ कि पार्टी उन्हें सीएम कैंडिडेट के तौर पर देख रही है, वरना कैबिनेट मिनिस्टर छोड़कर किसी नेता को संगठन को ऐसे ही नहीं भेजा जा सकता। बतौर मंत्री नड्डा का काम भी अच्छा है, इसलिए उन्हें हटाने या बदलने का सवाल पैदा नहीं होता। मगर यह कदम हिमाचल प्रदेश में नया नेतृत्व देने की कवायद ज्यादा लगती है।
सूत्र ने बताया कि पार्टी संगठन को लगता है कि हिमाचल प्रदेश की जनता में वीरभद्र सिंह और धूमल की राजनीति से सैचुरेशन आ गया है। साथ ही जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल हर मोर्चे पर वीरभद्र सिंह को घेरने में नाकाम रहे हैं, उससे उनकी पोजिशन डाउन हुई है। सूत्र ने बताया, ‘वीरभद्र सिंह करप्शन के मामले में बुरी तरह फंसे हैं। उनकी संपत्ति अटैच हो गई, छापे पड़ गए… बहुत कुछ हुआ मगर हिमाचल बीजेपी ने इस मुद्दे को उस तरह से नहीं उठाया, जिस तरह से वह धूमल या अनुराग से जुड़े मामलों को उठाती है। शीर्ष नेतृत्व को लग रहा है कि पूरा काडर ही अब सतही मुद्दों पर क्रिकेट आधारित राजनीति में जुट गया है, जिससे नुकसान हो सकता है। इसीलिए चेहरा बदलने और कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भरने के लिए नड्डा को भेजने की रणनीति पर विचार किया गया है।’
कहा जा रहा है कि नड्डा ने इस प्रस्ताव पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी और वह खामोश बैठे रहे। सूत्र के मुताबिक खुद अमित शाह ने नड्डा से इस पेशकश पर विचार करने को कहा है, जिस पर उन्होंने विचार करने के लिए वक्त मांगा है। पार्टी यह भी चाहती है कि हिमाचल में सक्रिय रहने के साथ-साथ पंजाब और यूपी विधानसभा चुनाव के लिए भी संगठन को दिशा-निर्देश देने का काम नड्डा करते रहें।
सूत्र के मुताबिक अगर नड्डा इस पेशकश के लिए तैयार होते हैं तो वह अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री को भेजने के तुरंत बाद हिमाचल में सक्रिय हो जाएंगे और संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव करेंगे। इसके साथ ही वह राष्ट्रीय स्तर पर भी संगठन से कामों को देखते रहेंगे, जिनमें पंजाब और यूपी का चुनाव अहम है। वहीं नड्डा की जगह खाली पड़े स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी किसी युवा सांसद को दी जा सकती है। मगर ये सब बातें इस पर निर्भर करती हैं कि नड्डा केंद्र में रहने का फैसला करते हैं या हिमाचल आने का।