एम्स को झटका, IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की सुप्रीम कोर्ट में जीत

नई दिल्ली।। आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की अपील खारिज की है और उसके ऊपर 25 हजार रुपये का जुर्माना लाया है। एम्स ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र और एम्स ने चतुर्वेदी के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की थी।

दरअसल चतुर्वेदी ने 2014-16 के बीच अपनी खराब मूल्यांकन रिपोर्ट को खारिज करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिस अवधि में उनका खराब मूल्यांकन हुआ था, उस दौरान वह एम्स में बतौर सीवीओ तैनात थे। चतुर्वेदी का दावा है कि जब उन्होंने एम्स में गंभीर भ्रष्टाचार से पर्दा हटाया तो स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने उन्हें पद से हटाने में भूमिका निभाई।

इस मामले पर सुनवाई करने के बाद उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा था कि केंद्र और एम्स का रवैया चतुर्वेदी के प्रति प्रतिशोध वाला रहा है। इस फैसले के खिलाफ एम्स ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी मगर सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को झटका देते हुए चतुर्वेदी को राहत दी है।

नड्डा पर लगाए थे आरोप
जिस समय जेपी नड्डा को केंद्र की मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था, एनडीटीवी इंडिया समेत कई न्यूज़ चैनलों और अखबारों ने खबर छापी थी कि जेपी नड्डा ने एम्स की सीवीओ संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को चिट्ठियां लिखी थीं।

खबरों में दावा किया गया था कि नड्डा ने न सिर्फ चतुर्वेदी को हटाने के लिए कहा था बल्कि जिन मामलों में उन्होंने भ्रष्टाचार होने की बात कही थी, उनकी जांच बंद करने के लिए भी कहा था। कथित तौर पर नड्डा ने अपनी चिट्ठियों में डॉक्टर हर्षवर्धन से अपनी पसंद के एक डॉक्टर को एम्स में नया सीवीओ बनाने के लिए भी कहा था।

विनीत चौधरी का था मामला
दरअसल संजीव चतुर्वेदी ने आईएएस अधिकारी विनीत चौधरी के खिलाफ जांच करते हुुए आरोप लगाए थे। ये वही विनीत चौधरी हैं जो हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत हुए हैं।

जून 2015 में इस मामले पर खबर छापते हुए एनडीटीवी ने लिखा था कि 1982 बैच के आईएएस अधिकारी विनीत चौधरी पर एम्स के भीतर गंभीर गड़बड़ियों और करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। एम्स के डेप्युटी डायरेक्टर रह चुके विनीत चौधरी के खिलाफ चार्जशीट को खुद तब स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. हर्षवर्धन ने हरी झंडी दी, लेकिन बीजेपी सरकार ने उस चार्जशीट पर कोई कार्रवाई नहीं की थी।

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उस समय एनडीटीवी पर प्रकाशित खबर में लगी तस्वीर

इसके बाद जून 2015 में एम्स की ओर से एक प्रेस रिलीज़ जारी हुई, जिसके मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स के निदेशक एम सी मिश्रा से कहा कि वह देखें कि विनीत चौधरी पर लगे आरोप किसी कार्रवाई के लायक हैं या नहीं। एम्स की प्रेस रिलीज़ में ये भी कहा गया कि संस्थान के मौजूदा सीवीओ के मुताबिक विनीत चौधरी पर लगे आरोपों में कोई ‘विजिलेंस एंगल’ नहीं है यानी जांच की ज़रूरत नहीं है।

एम्स में डिप्टी डायरेक्टर रह चुके विनीत चौधरी पर दायर चार्जशीट को लेकर काफी विवाद हुआ था। एनडीटीवी ने दावा किया था कि ‘असल में भ्रष्टाचार के कई मामलों के तार विनीत चौधरी से जुड़ते हैं। जिनका खुलासा पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी ने किया जिन्हें बाद में एम्स के सीवीओ पद से हटा दिया गया।’

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