तय था अरुण का एचपीसीए अध्यक्ष बनना, चुनाव औपचारिकता थे

धर्मशाला स्मार्ट सिटी है। केंद्र से कई योजनाओं का पैसा इसके लिए आ रहा है जिसके प्रबंधन का वादा करके चुनाव लड़ा जा सकता था।

धर्मशाला।। अरुण ठाकुर एचपीसीए के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण का अध्यक्ष बनना तय था क्योंकि चाहकर भी कोई और इस संगठन का प्रमुख नहीं बन सकता। वही बनेगा, जिसे अनुराग चाहेंगे।

दरअसल 2000 में HPCA संभालने के बाद अनुराग ठाकुर ने इस संस्था के संविधान में बड़ा बदलाव कर दिया था। पहले 12 डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट असोसिएशन के प्रेजिडेंट और सेक्रेटरीज़ के पास सोसायटी में वोटिंग राइट्स थे।

इसका मतलब हुआ कि 5 साल में एक बार 24 सदस्य (साथ में एग्जिक्यूटिव कमिटी के आउटगोइंग मेंबर्स) ही प्रेजिडेंट और नई एग्जिक्यूटिव कमिटी का चयन करते थे। मगर ठाकुर ने HPCA में वोट देने वालों का विस्तार किया और 25 लाइफ मेंबर्स बनाकर उन्हें वोटिंग राइट दे दिया।

इनकी नियुक्ति प्रेजिडेंट की सहमति से होनी तय की गई और प्रेजिडेंट ही एग्जिक्यूटिव कमिटी को भी नॉमिनेट कर सकता था। इसका मतलब यह हुआ कि अगर सभी जिले (24 वोट) अनुराग ठाकुर का विरोध करते, तब भी अनुराग ठाकुर द्वारा मनोनीत किए गए सदस्य (25) उन्हें दोबारा प्रेजिडेंट चुन सकते थे।

2001 में HPCA ने अपना संविधान बदल दिया। ठाकुर ने इकनॉमिक टाइम्स अखबार को बताया कि यह फैसला सदस्यों द्वारा एकमत से निर्विरोध लिया गया था। यह इसलिए लिया गया था, क्योंकि असोसिएशन को पैसे चाहिए थे। उन्होंने कहा, ‘लाइफ मेंबर्स पर हर सोसायटी की तरह आखिरी फैसला प्रेजिडेंट ने लिया।’

अब इस बार एकमात्र नॉमिनेशन अरुण का हुआ। इस बार एचपीसीए के अध्यक्ष सहित अन्य पदाधिकारियों के चुनाव में 76 सदस्य मतदान कर सकते हैं। एचपीसीए ने 52 मतदाताओं की सूची बीसीसीआइ को भेजी है। 10 जिलों के अध्यक्ष और सचिव, दो जिलों के चेयरमैन और कन्वीनर को मतदान का अधिकार है।

ऐसे में भला कोई और कैसे अध्यक्ष बन पाता?

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