सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने के आरोप में घिरे अनुराग ठाकुर, जाना पड़ सकता है जेल

इन हिमाचल डेस्क।। लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने में आनाकानी कर रही बीसीसीआई को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर पर लगे हलफनामे में झूठ बोलने के आरोप साबित हो जाते है तो इसके लिए उन्हें जेल भी जना पड़ सकता है।

दरअसल एमिकस क्यूरी ने अनुराग ठाकुर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ऐफिडेविट यानी हलफनामे को गुमराह करने वाला करार दिया है। एमिकस क्यूरी ने बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाए जाने की वकालत की। सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा कि क्या अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य रखे? इस पर एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि बीसीसीआई प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में झूठ कहा था। उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में शशांक मनोहर से विचार लिया था। अनुराग ठाकुर ने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई।

बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर
बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर

न्याय सलाहकार (अमिकस क्यूरी) गोपाल सुब्रह्मण्यम ने अनुराग के वकील कपिल सिब्बल से कहा कि आप न्यायालय को गुमराह करना चाहते हैं। इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि आपका इरादा क्या है और अपना रुख साफ करें। जब एक बार उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुना दिया है, तो आप आईसीसी के पास न्यायिक हस्ताक्षेप के जुड़े सुझावों के लिए आईसीसी के पास क्यों गए।

कोर्ट ने कहा कि अगर आप झूठी बात कहने के आरोपों से बचना चाहते हैं, तो आपको माफी मांगनी चाहिए। आप कोर्ट की सुनवाई में बाधा डाल रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी आपको कोर्ट के फैसले से असहमत होने का अधिकार देती है, उसको लागू होने से रोकने का अधिकार आपके पास नहीं है। उन्होंनी बीसीसीआई के वकील कबिल सिब्बल से दो टूक शब्दों में कहा, आपके क्लाइंट (अनुराग ठाकुर) को जेल चले जाना चाहिए।

चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है और इसके लिए अनुराग ठाकुर जेल भी जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर समेत बीसीसीआई के उच्चाधिकारियों को हटाकर लोढ़ा कमिटी के सुझावों पर अमल करते हुए एक वर्किंग पैनल लाया जा सकता है। इस मामले में फैसला 2 या 3 जनवरी को सुनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग को हलफनामे से जुड़े वे पेपर देने के लिए एक हफ्ते का टाइम दिया है, जो डॉक्युमेंट्स में शामिल न हों।

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