कारोबारियों को ‘खुली छूट’ देगी हिमाचल सरकार, उठे कई सवाल

धर्मशाला।। हिमाचल प्रदेश सरकार ने विधानसभा में हिमाचल प्रदेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (स्थापना और प्रचलन का सरलीकरण) विधेयक 2019 पेश कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार जल्दबाज़ी में इस विधेयक को ला रही है और यह क़ानून बन गया तो कारोबारियों को खुली छूट मिल जाएगी। हालाँकि, सरकार का कहना है कि यह फ़ालतू की औपचारिकताओं को कम करने के लिए किया जा रहा है ताकि उद्यम स्थापित करने को सुगम बनाया जा सके।

इस मामले में शुक्रवार को सदन में खूब हंगामा हुआ था। अब कांग्रेस ने पहले ही कह दिया है कि इसका विरोध किया जाएगा और मतदान के समय उसके विधायक सदन से बाहर आ जाएँगे। वहीं सीपीएम विधायक राकेश सिंघा ने भी इस बिल का विरोध किया है। उनका कहना है कि तीन साल तक जब आप कारोबारियों को पूछेंगे ही नहीं और बाद में आप अगर कमियाँ पाएँगे तो कारोबारी को भी नुक़सान होगा और आपको भी।

क्या है इस विधेयक में
इस विधेयक में यह व्यवस्था करने की तैयारी है कि अगर कोई शख्स हिमाचल में कारोबार करना चाहता है तो उसे इसके लिए सिर्फ़ एक नोडल एजेंसी से अकनॉलेजमेंट सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके बाद वह कारोबार स्थापित करने की दिशा में बढ़ सकता है।

बिल में प्रावधान है कि तीन साल तक या फिर कारोबारी इकाई के काम शुरू करने तक किसी भी अधिकारी को अनापत्तियों या अन्य प्रमाण पत्रों के लिए इस इकाई की पड़ताल करने का अधिकार नहीं होगा। हालाँकि, अगर इस दौरान यह इकाई अपने काग़ज़ात पूरे नहीं करती और शर्तों को पूरा नहीं करती तो उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा सकती है।

ख़ास बात यह है कि एक्ट में शुरू में ही लिख दिया गया है कि नोडल एजेंसी का अकनॉलेजमेंट ही काफ़ी होगा और कारोबार स्थापित करने की इच्छा रखने वाले शख़्स को शुरू में पंचायत, अर्बन डिवेलपमेंट अथॉरिटी से इजाज़त लेने जैसे कामों में उलझने की ज़रूरत नहीं होगी। इस विधेयक के पारित हो जाने पर जब यह क़ानून बनेगा तो 5 नवंबर, 2019 से लागू होगा।

इस पूरे विधेयक में क्या है, आप यहाँ क्लिक करके इसकी प्रति डाउनलोड करके हिंदी या अंग्रेज़ी में पढ़ सकते हैं।

इस विधेयक को लेकर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार पर जल्दबादी करके हिमाचल के हितों से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने दिल्ली के पास हरियाणा के कुंडली में हिमाचल की ज़मीन बेचे जाने को लेकर लिए गए मंत्रिमंडल के फैसले पर भी सवाल उठाए।

यह पूरा मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि जिस तरह से हिमाचल के हितों से खिलवाड़ किया जा रहा है, उससे जयराम सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।

दिल्ली के पास हिमाचल की ज़मीन क्यों बेच रही जयराम सरकार?

 

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