कुल्लू: कथित तौर पर इंजेक्शन से नशा कर रही बच्ची पकड़ी, वीडियो वायरल

कई जगह ऐसे मामले सामने आए हैं जह नशे के चंगुल में फंसे लोगों ने कर्ज उतारने या नशा खरीदने के लिए चुपके से जमीनें बेच दीं।

कुल्लू।। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि हिमाचल प्रदेश में युवा पीढ़ी, खासकर टीनेजर नशे की चपेट में तेजी से आ रहे हैं। भांग से बात आगे बढ़ गई है और हेराइन, कैप्स्यूल्स और इंजेशकन तक का सहारा लिया जा रहा है। अब कुल्लू में कुछ लोगों ने एक बच्ची का वीडियो वायरल किया है, जिसमें दावा किया गया है कि इस बच्ची को उन्होंने कुछ और लड़कों के साथ इंजेक्शन से नशा करते हुए पकड़ा।

क्या है दावा
खबर के मुताबिक बंदरोल इलाके में एक पार्क के किनारे चार लड़के और लड़कियां इंजेक्शन लगा रहे थे। इस दौरान स्थानीय लोगों ने इन्हें पकड़ने की कोशिश की तो दो लड़के और एक लड़की भाग गए जबकि एक लड़की को पकड़ लिया गया।

इसके बाद इक लड़की का वीडियो बनाते हुए पूछताछ की गई जिसमें लड़की ने बताया कि सिरींज आदि मेडिकल स्टोर से मिल जाते हैं और दिल्ली से नशा लाया जाता है। उसने अपने साथियों के नाम भी बताए हैं। अफसोस, वीडियो बनाने वालों ने इस बच्ची के भविष्य का ख्याल न रखते हुए इस वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। हमने उस वीडियो को ब्लर कर दिया है और अन्य टीनेजर लड़कों के नाम वाली जगह बीप साउंड लगा दी है ताकि उनकी पहचान सार्वजनिक न हो।

वीडियो वायरल करना गलत
आजकल मोबाइल लेकर समाज सुधारक बनने का चलन बेहद खतरनाक हो चला है। उदाहऱण के लिए इस मामले में वीडियो बनाने वाले कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाएंगे कि उस बच्ची ने अन्य लोगों के साथ नशा किया था या नहीं, मगर वह बच्ची चाहे तो इस वीडियो को बनाकर उसकी छवि खराब करने वालों को सलाखों के पीछे डाल सकती है। क्योंकि उन्होंने इसकी छवि को नुकसान पहुचा है।

नशा करना बहुत बढ़िया काम नहीं है मगर इस मामले में जिस तरह से कथित समाज सुधारकों ने इस बच्ची को बदनाम कर दिया है, उसके लिए उनके ऊपर विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है। हो सकता है बदनामी के कारण ये बच्ची डिप्रेशन में चली जाए या कोई ऐसा-वैसा कदम उठा ले। जबकि नशे की गिरफ्त में आए लोगों का इलाज इस तरह से बदनाम करने से नहीं, बल्कि काउंसलिंग आदि से किया जा सकता है।

अगर यह वीडियो सच्चा है
यह वीडियो अगर सच है तो पता चलता है कि किस तरह से खुलेआम नशाखोरी हो रही है और सरकार व प्रशासन इसपर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है। इस तरह के काम में कौन लोग लगे हैं, अगर उनका पता हिमाचल जैसे कम आबादी वाले प्रदेश में नहीं लग सकता तो और कहां लगेगा? मगर हिमाचल प्रदेश पुलिस पहले से ही कई तरह की नाकामियों के लिए बदनाम हो चुकी है। उससे उम्मीद किया जाना भी बेमानी है। यही काऱण है कि लोग कानून अपने हाथ में लेकर खुद पुलिसिंग करने लगे हैं, जो कि लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

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