हिमाचल के गांवों में HRTC स्टाफ से हो रहा है जातिगत भेदभाव

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में जाति आधारित भेदभाव का एक और मामला राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। अब खबर यह है कि एचआरटीसी के एक कंडक्टर को 10 हजार रुपये बतौर जुर्माना देने पड़े। यह जुर्माना सरकार को नहीं, बल्कि उस गांव के लोगों को देना पड़ा, जहां के एक घर पर उसने रात बिताई थी।

दरअसल ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट बताती है कि हेम राज नाम के कंडक्टर को कुल्लू के एक गांव में रुकना पड़ा था। जब गांव वालों को पता चला कि वह अनुसूचित जाति से हैं तो उनपर दस हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया गया।

यह इस तरह का पहला मामला नहीं है, इससे पहले एचआरटीसी के ही एक मुस्लिम कंडक्टर राज मोहम्मद ने एचआरटीसी से गुजारिश की थी मेरी बस का रूट बदल दो क्योंकि रात को जिस गांव में रुकना पड़ता है, वहां पर मुझे खाने को कुछ नहीं मिलता।

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रात को रुकना पड़ता है गांव में
हिमाचल में कई रूट ऐसे हैं जहां पर रात को बस गांव में ही रुकती है और सुबह वहां से मुख्य स्टेशन के लिए आती है। ऐसे में ड्राइवर और कंडक्टर को गांव में ही ठहरने का इंतज़ाम करना पड़ता है।

एचआरटीसी के ड्राइवर कंडक्टर शिकायत करते रहे हैं कि कुल्लू के आंतरिक इलाकों में उनके साथ धर्म और जाति आधारित भेदभाव होता है। उनका कहना है कि उन्हें न तो रहने के लिए कोई जगह मिलती है न ही खाना। कुछ जगहों पर उन्हें जुर्माने का डर दिखाया जाता है।

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आरएम ने डीसी को लिखी चिट्ठी

रिपोर्ट के मुताबिक एचआरटीसी के आरएम डी.के. नारंग को इस तरह की कई शिकायतें स्टाफ से मिली हैं और उन्होंने आखिरकार कुल्लू के डीसी को पूरे मामले को लेकर लिखा है कि अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो मजबूरन सुदूर गांवों के लिए उन्हें बस सेवा रोकनी पड़ेगी।

नारंग का कहना है कि इस तरह की शिकायतें कमांद, Khanipand और Shangad गांवों से आ रही है। उनका कहना है कि एचआरटीसी के लिए जाति देखकर स्टाफ को भेजना संभव नहीं है।

लेटर में उन्होंने डीसी को लिखा है, “सुदूर गांवों की पंचायतों से स्टाफ के लिए इंतजाम करने के लिए कहिए वरना हमें इन इलाकों के लिए सेवाएं रोकनी पड़ सकती हैं।”

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