रोहड़ू में सीएम जयराम की जनसभा में जुटी भारी भीड़

शिमला।। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर रविवार को शिमला ज़िले के रोहडू पहुंचे। यहां उन्होंने सीमा कॉलेज के ऐडमिन ब्लॉक और समोली पुल का उद्घाटन किया। मगर जिस बात की सबसे ज़्यादा चर्चा हो रही है, वह है जनसभा में उमड़ी भारी भीड़।

रोहड़ू के रामलीला मैदान में सीएम को जनसभा को संबोधित करना था। यह मैदान लोगों से पूरी तरह भरा हुआ था। यह असाधारण बात इसलिए भी है क्योंकि स्थानीय पत्रकारों का कहना है कांग्रेस के गढ़ रोहड़ू में इससे पहले कभी भारतीय जनता पार्टी या उसके सीएम की जनसभा में इतनी भीड़ नहीं उमड़ी थी।

बता दें कि रोहड़ू में कांग्रेस का दबदबा रहा है और इस समय भी यहां से कांग्रेस के मोहन लाल विधायक हैं। 11 बार यहां से लोगों ने कांग्रेस के विधायक चुने हैं, 2 बार भाजपा और एक बार जनता पार्टी के। खास बात यह भी है कि वीरभद्र सिंह ने 1990 से लेकर 2007 तक लगातार पांच बार यहां से जीत हासिल की थी। इस समय भी यहां से कांग्रेस के मोहन लाल विधायक हैं। ऐसे में जिस तरह से लोग बड़ी संख्या में सीएम की जनसभा में पहुंचे, वह हिमाचल के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि वीरभद्र और जयराम की करीबियों को भी इस भीड़ के पीछे की वजह बताया जा रहा है मगर कारण और भी हैं।

क्या रहा कारण
जिस समय जयराम ठाकुर को हिमाचल का सीएम बनाए जाने की घोषणा हुई थी, उस समय सबसे ज़्यादा चर्चा इस बात की हुई थी कि मंडी ज़िले से पहली बार कोई मुख्यमंत्री बना है। मगर इस शोर में यह बात दब गई कि जयराम के सीएम बनने से दरअसल हिमाचल में चली आ रही ‘अपर हिमाचल’ बनाम ‘लोअर हिमाचल’ की राजनीति के अंत की तरफ भी यह बड़ा कदम है।

हिमाचल का नक्शा उठाएं तो मंडी ज़िला बीचोबीच स्थित है। मगर सिराज की बात करें तो यह हिमाचल के मध्य भाग में पड़ता है। राजनीतिक विश्लेषक यह चर्चा करते रहे कि बीजेपी ने एक बार फिर ‘लोअर हिमाचल’ से मुख्यमंत्री बनाया है। यानी कांगड़ा के शांता कुमार और हमीरपुर के प्रेम कुमार धूमल के बाद मंडी से जयराम ठाकुर। मगर यह बात कई मायनों में अलग रही।

अपर-लोअर को जोड़ने वाली कड़ी
मंडी को बेशक लोअर हिमाचल माना जाता है मगर इसके कई इलाके भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से तथाकथित अपर हिमाचल जैसे हैं। दरअसल सिराज भौगोलिक रूप से ऐसी जगह स्थित है, जहां का रहन-सहन, संस्कृति और बोल-चाल आदि मंडी के अन्य हिस्सों की तुलना में सो कॉल्ड अपर हिमाचल के ज़्यादा करीब है।

यही कारण है रोहड़ू और ‘अपर हिमाचल’ के अन्य इलाकों के लोग खुद को जयराम से कनेक्ट करते हैं और उनके प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं। चूंकि रोहड़ू का रहन-सहन, खान-पान और बोल-चाल की सिराज से बहुत मिलता है, ऐसे में इस कनेक्शन का नतीजा रविवार को हुई सीएम की जनसभा में देखने को मिला, यह पैर रखने की भी जगह नहीं थी।

क्या भेद खत्म कर पाएंगे जयराम
भले ही यह दुर्भाग्यपूर्ण है मगर हिमाचल की राजनीति में अपर बनाम लोअर हिमाचल का गैप साफ नजर आता रहा है और लोग इसी आधार पर नेताओं से सहानुभूति रखते हैं। उदाहरण के लिए वीरभद्र को अपर हिमाचल का नेता माना जाता रहा है जितनी स्वीकार्यता शिमला और किन्नौर आदि में उन्हें मिली है, बीजेपी के मुख्यमन्त्रियों को नहीं मिली।

ऐसे में जयराम का सीएम होना तथाकथित अपर और लोअर हिमाचल के राजनीतिक विभाजन को कमज़ोर करता है क्योंकि जहां मैदानी हिमाचल के लोग मानते हैं सीएम उनके यहां से है, वहीं पहाड़ी या अपर हिमाचल के लोग भी खुद को सीएम से कनेक्ट कर पाते हैं।

इस तरह से देखें तो जयराम के पास इस अपर और लोअर हिमाचल को राजनीति को खत्म करने का भी मौका है। उनके ऊपर दो भू राजनीतिक इलाकों के बीच संतुलन बनाए रखने की ज़िम्मेदारी है। अगर वह ऐसा करने में सफल रहते हैं तो यह बड़ी उपलब्धि होगी।

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