देवता ने दो हफ्ते पहले ही कहा था कि खाली करो मकान: ग्रामीण

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मंडी।। कोटरोपी के ग्रामीणों का कहना है कि इस साल नड़ उत्सव काहिका में देवता ने भविष्यवाणी की थी कोई अनहोनी हो सकती है। यही नहीं, उन्होंने इस गांव के 7 परिवारों को घर खाली करने को कहा था। लोग मकान खाली भी करने लग गए थे, मगर इससे पहले कि वे पूरी तरह से हट पाते, यह आपदा आ गई।

 

शनिवार रात को भूस्खलन आया और उनकी जमीन को बहा ले गया। लोगों के मकान बाल-बाल बचे हैं, जिसे वे देवता की कृपा मान रहे हैं। लोगों ने देवता की भविष्यवाणी को लेकर पंजाब केसरी अखबार को जानकारी दी है।

 

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क्या है हिमाचल की देव पंरपरा
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यहां पर बहुत से गांवों में देवता होते हैं। ये देवता हिंदुओं के स्थापित देवी-देवता नहीं होते बल्कि वे ऋषि, तपस्वी या महात्मा होते हैं, जिन्होंने उस क्षेत्र में किसी वक्त निवास किया था। उन देवताओं के अपने मंदिर होते हैं और इन देवताओं की मूर्तियां भी अलग होती हैं। धातु के मुखौटों से बनी मूर्तियां पालकी पर स्थापित होती हैं और इन पालकियों पर देवता को उठाकर गांव या अन्य स्थानों पर ले जाया जाता है।

 

इन देवताओं पर लोगों की गहरी आस्था है। माना जाता है कि देवता अपने गुर (पुजारी) के माध्यम से जनता से संवाद भी करते हैं। समाधि की अवस्था में गए गुर के मुंह से बोल आते हैं, उन्हें देवता की ही बात माना जाता है। सदियों से यह परंपरा चली आ रही है। जब पुजारी का देहांत हो जाता है तो देवता ही खुद अपना नया पुजारी चुनते हैं। यानी इंसान की कई पीढ़ियां  बदल गईं, देवता वही रहे।

 

इन देवताओं का मान इसलिए ज़्यादा है क्योंकि लोगों का विश्वास है कि वे बहुत बार अपने पुजारी के माध्यम से भविष्यवाणियां भी करते हैं। अक्सर ये भविष्यवाणियां सटीक होती हैं और यही वजह है कि विज्ञान के इस दौर में भी लोगों की आस्था इन देवताओं पर बनी हुई। काहिका देवता के लिए समर्पित उत्सव होता है जिसका समापन कुछ ही दिन पहले हुआ था(विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)। पंजाब केसरी अखबार के मुताबिक लोगों का कहना है कि इसी में देवता ने भविष्यवाणी की थी।

 

भले ही बाहर के लोग इसे अंधविश्वास के तौर पर देखें और हिमाचल में भी बड़ा तबका इस पर यकीन न करता हो, मगर बड़ी संख्या उनकी ज़्यादा है जो मानते हैं इन देवताओं के पास कोई न कोई शक्ति तो है। बहरहाल, कहावत भी है कि राजनीति और आस्था पर चर्चा का कोई निष्कर्ष नहीं निकलता।