मंडी जिले में सिर्फ सराज विधानसभा क्षेत्र से लीड ले पाईं प्रतिभा सिंह

मंडी।। मंडी लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को हराने वाले बीजेपी उम्मीदवार रामस्वरूप शर्मा को मंडी जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों से लीड मिली है मगर सराज में वह प्रतिभा सिंह से पीछे रह गए। हैरानी की बात यह है कि ऐसी हालत तब है जब सराज के विधायक जयराम ठाकुर खुद मंडी लोकसभा सीट से उपचुनाव लड़ चुके थे। हालांकि उसमें उन्हें बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।

चुनाव के नतीजे बताते हैं कि भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप शर्मा ने 39856 मतों की लीड लेकर अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को पराजित किया। 17 विधानसभा क्षेत्रों में राम स्वरूप शर्मा को 362824 मत मिले। कांग्रेस की प्रतिभा सिंह को 322968 मत पड़े। सीपीआईएम के कुशाल भारद्वाज 13965 मत लेकर तीसरे स्थान पर रहे। 6191 मत नोटा के रिकॉर्ड किए गए। मंडी संसदीय सीट पर कुल 726482 मत पड़े। इसमें 1412 वोट पोस्टल बैलेट पेपर के शामिल हैं।

जिला मंडी में सिर्फ एक जगह से प्रतिभा का लीड
इस संसदीय क्षेत्र के तहत मंडी जिले की जो सीटें आती हैं, उनमें सिर्फ सराज में ही प्रतिभा सिंह को लीड मिली है। सराज से रामस्वरूप को 21182, प्रतिभा को 22673, कुशाल को 970 मत मिले। इसके अलावा मंडी विस क्षेत्र से रामस्वरूप शर्मा को 23574 मत, प्रतिभा को 17180 तथा सीपीआईएम के कुशाल भारद्वाज को 661 मत पड़े। बल्ह विस क्षेत्र से भाजपा को 25873, कांग्रेस को 20621, सीपीआईएम को 595 मत मिले।

सुंदरनगर से भाजपा को 23542, कांग्रेस को 18860, सीपीआईएम को 546 मत मिले। द्रंग से रामस्वरूप को 22668, प्रतिभा को 21020, कुशाल को 730 मत, नाचन से रामस्वरूप को 26454, प्रतिभा को 22377, कुशाल को 639, करसोग से रामस्वरूप को 17286, प्रतिभा को 14610, कुशाल को 509 वोट मिले। जोगिंदर नगर से भाजपा प्रत्याशी राम स्वरूप को 35500, प्रतिभा को 15589, कुशाल को 2135 मत, सरकाघाट से रामस्वरूप को 26330, प्रतिभा को 17896, कुशाल को 792 मत मिले।

कुल्लू में भी भाजपा को लीड
कुल्लू से भाजपा को 23473, कांग्रेस को 22105 और सीपीआईएम को 684, मनाली से भाजपा को 20112, कांग्रेस को 17995, कुशाल को 621, बंजार से भाजपा को 18295, कांग्रेस को 17892, सीपीआईएम 1001, आनी से भाजपा को 23199, कांग्रेस को 20668 व कुशाल 1966 मत मिले।

बाकी सीटों पर प्रतिभा रहीं आगे
इनके अलावा बाकी जिलों के जो विधानसभा क्षेत्र मंडी संसदीय क्षेत्र में आते हैं, उनमें कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा। जैसे कि रामपुर से रामस्वरूप को 14866 मत, प्रतिभा को 25002, कुशाल को 1213, किन्नौर से रामस्वरूप को 16209 मत, प्रतिभा को 18844 और कुशाल को 314 मत, भरमौर से रामस्वरूप को 19442, प्रतिभा को 21006, कुशाल को 411, लाहौल स्पीति से भाजपा को 5333, कांग्रेस को 8127, कुशाल 168 मत मिले।

हिमाचल में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, जानें क्या रही वजह

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश के नतीजे एकदम चौंकाने वाले रहे हैं। सारे के सारे कयास धरे के धरे रह गए और मोदी लहर ने अपना रंग दिखा दिया। पहले यह माना जा रहा था कि बीजेपी का स्कोर 3-1 रह सकता है। कुछ लोग तो यह भी कह रहे थे कि 3-1 का स्कोर कांग्रेस का भी रह सकता है। मगर काउंटिंग शुरू होने के डेढ़ घंटे के भीतर ही तस्वीर साफ हो गई। बीजेपी ने प्रदेश की चारों सीटों पर कब्जा कर लिया। सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रिजल्ट रहा मंडी लोकसभा सीट का, जहां पर सबकी उम्मीदों के उलट बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा ने कांग्रेस कैडिडेट प्रतिभा सिंह को बुरी तरह से हराया। आम आदमी पार्टी हिमाचल में बुरी तरह फ्लॉप रही। जानिए, क्या रही इन नतीजों की वजह:In Himachal को फेसबुक पर फॉलो करें

मंडी: वीरभद्र का ओवर कॉन्फिडेंस ले डूबा प्रतिभा को
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को लगता था कि उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह आराम से इस सीट को जीत लेंगी। उन्हें लगता था कि जिस तरह से पिछले उप-चुनावों में प्रतिभा ने जय राम ठाकुर को रेकॉर्ड वोटों से हराया है, वैसा ही इस बार भी होगा। लेकिन वह भूल गए थे कि इस बार हालात अलग हैं। मोदी लहर के फैक्टर ने जहां कम जाना-पहचाना चेहरा होने के बावजूद राम स्वरूप शर्मा को वोट दिलाए, वहीं वीरभद्र के ओवर कॉन्फिडेंस की वजह से प्रतिभा सिंह के वोट शिफ्ट हो गए। चुनाव प्रचार के दौरान वीरभद्र सिंह का मंडी न आना गलत फैसला रहा। गौरतलब है कि इस सीट को ब्राह्मण बहुल माना जाता है। ऐसे में पंडित सुखराम के बाद राम स्वरूप शर्मा को ब्राह्मण वोट मिले होंगे, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। वोटों के इस शिफ्ट को रोका जा सकता था, लेकिन वीरभद्र ने लोगों से संपर्क करने की जहमत तक नहीं उठाई। धूमल परिवार से व्यक्तिगत लड़ाई पर फोकस करते हुए उन्होंने पूरा फोकस हमीरपुर सीट से अनुराग ठाकुर को हराने पर लगा दिया था। थोड़ा सा ध्यान वह मंडी पर भी दे देते, तो शायदा प्रतिभा सिंह को हार का सामना नहीं करना पड़ता।

अनुराग जीते, प्रतिभा हारीं और शांता जीते। शिमला से कश्यप भी  जीते

हमीरपुर: मोदी लहर में उड़े राजेंद्र राणा
अनुराग ठाकुर से जनता कई वजहों से नाराज थी। कुछ लोग कहते थे कि उनमें ऐटिट्यूड आ गया है, कुछ कहते थे कि उन्हें इलाके में रुचि नहीं, कुछ कहते थे कि वह बाहर ही रहते हैं, कुछ का मानना था कि वह क्रिकेट पर ही ध्यान दे लें तो बेहतर है। कई सारे फैक्टर्स के अलावा कई अफवाहों ने अनुराग के खिलाफ माहौल बनाया था। ऐसा लग रहा था मानो राजेंद्र राणा उन्हें धूल चटा देंगे। लेकिन नरेंद्र मोदी फैक्टर इन बातों पर हावी हो गया। माना जा रहा है कि लोग भले ही अनुराग से नाराज रहे हों, लेकिन उन्होंने यह सोचकर वोट दे दिया कि बीजेपी की सरकार बनी तो अनुराग को मंत्रिपद मिलेगा। आखिरी लम्हे में वोटरों के मूड शिफ्ट ने अनुराग को बड़े अंतराल से जिताया। अगर किसी वजह से उनकी हार हो जाती या जीत का अंतर कम रहता, तो यह बात उनके राजनीतिक करियर के लिए नेगेटिव हो सकती थी।

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कांगड़ा: शांता की बेदाग छवि का जादू चला
पत्नी को पार्टी से विधानसभा का टिकट नहीं मिला था, तो उस वक्त बीजेपी के सांसद राजन सुशांत बागी हो गए थे। उन्होंने बीजेपी और शांता कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। आखिरकार तय हुआ कि उनकी जगह शांता कुमार खुद चुनाव लड़ेंगे। टिकट कटना तय था, ऐसे में राजन सुशांत ने आप की टोपी पहनकर चुनाव लड़ा। आलम यह रहा कि सिटिंग एमपी होने के बावजूद उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा। वह तीसरे नंबर पर रहे औऱ वह भी बेहद कम वोटों के साथ। लड़ाई चंद्र कुमार और शांता कुमार के बीच रही, लेकिन वह भी एकतरफा। जातिगत समीकरण फेल हो गए और जनता ने शांता कुमार की बेदाग और विजनरी छवि के आधार पर वोट किया। मोदी वेव ने आग में भी का काम किया और शांता कुमार तगड़े मार्जन से जीते।

शिमला: मोदी लहर और कांग्रेस में भितरघात
राजनीति के पंडित मान रहे थे कि राजा को पसंद करने वाले कथित ‘ऊपरी हिमाचल’ के लोग कांग्रेस को वोट करेंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं। बरागटा के बजाय लोगों ने वीरेंद्र कश्यप को चुना। अगर वीरभद्र सिंह हमीरपुर के बजाय यहां पर ध्यान लगाते तो इतनी दुर्गति नहीं होती। साथ ही वीरभद्र के विरोधी खेमे द्वारा किया गया भितरघात भी बरागटा के लिए नुकसानदेह रहा। वीरेंद्र कश्यप के खिलाफ शिमला से वीरेंद्र कुमार कश्यप नाम से एक इंडिपेंडेंट कैंडिडेट भी खड़े थे। मगर वह भी कश्यप के वोट नहीं काट पाए। नतीजा यह रहा कि हिमाचल प्रदेश का स्कोर 4-0 रहा।

नतीजों का प्रभाव क्या रहेगा?
कांग्रेस की हार की पूरी जिम्मेदारी वीरभद्र सिंह को उठानी होगी, क्योंकि उन्होंने अपनी मर्जी से टिकट डलवाए थे। भले ही पूरे देश में कांग्रेस का प्रदर्शऩ खराब रहा है, लेकिन वीरभद्र इससे बच नहीं सकते। आलाकमान वैसे भी प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के लिए बहाना खोज रहा है। वीरभद्र की कई शिकायतें नजरअंदाज करने के बाद शायद ही इस बार उनपर कोई कार्रवाई न हो।

खतरे में है हिमाचल प्रदेश में सेब का कारोबार

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश में सेब का कारोबार खतरे में है। सरकारों की अनदेखी की वजह से प्रदेश की ऐपल इंडस्ट्री बदहाली के दौर से गुजर रही है। दरअसल सेबों के व्यापारी हिमाचल प्रदेश के बागान मालिकों से सेब खरीदने के बजाय विदेशों से सस्ता सेब इंपोर्ट कर रहे हैं।
 
 
हिमाचल की 2500 करोड़ रुपये की सेब इंडस्ट्री प्रदेश की जीडीपी में 6% से ज्यादा का योगदान देती है। मगर अब फलों के कारोबारी विदेशों से सस्ते सेबों का आयात करवा रहे हैं। इस वजह से हिमाचल के ऐपल बर्बाद हो रहे हैं। बागवानों को सेबों के जो दाम पहले मिलते थे, अब उन्हें उतनी कीमत नहीं मिल रही। उनके पास दो ही ऑप्शन हैं- सेबों को या तो सस्ते में बेच दो या फिर उन्हें यूं ही सड़ने दो। ऐसे में उन्हें कम दाम में सौदा करना पड़ रहा है।



एक इंग्लिश न्यूज पेपर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कई सारे युवाओं ने मल्टिनैशनल कंपनियों की जॉब छोड़ दी थी, ताकि वे घर आकर सेब का कारोबार संभाल सकें। मगर अब उन्हें पछतावा हो रहा है। अगर जल्द ही सेब को लेकर कोई साफ पॉलिसी नहीं बनाई गई, तो हिमाचल का सेब कारोबार दम तोड़ सकता है। यह बात प्रदेश की इकॉनमी के लिए भी अच्छी नहीं होगी। 


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रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सरकारें इस हाल के लिए दोषी हैं। अगर वक्त रहते नीतियों में बदलाव किए होते तो आज ऐपल इंडस्ट्री की ऐसी हालत न होती। जरूरी है कि बागवानों को ऐपल की नई और प्रचलित किस्मों की पैदावार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए सरकार को बागवानों की मदद भी करनी चाहिए, लेकिन फिलहाल ऐसा होता दिख नहीं रहा।

दिल्ली में वीरभद्र की जड़ें काटने में जुटा विरोधी खेमा?

नई दिल्ली।।
लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने से पहले ही वीरभद्र विरोधी खेमा दिल्ली में सक्रिय हो गया है। स्वास्थ्य एवं राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स,  परिवहन मंत्री जीएस बाली, पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिल शर्मा और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू दिल्ली में डटे हुए हैं।

पढ़ें: एग्जिट पोल दे रहे हैं वीरभद्र की विदाई के संकेत

‘इन हिमाचल’ ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में बताया था कि अगर लोकसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए अनुकूल नहीं रहते हैं, तो वीरभद्र सिंह को सीएम की कुर्सी गंवानी पड़ सकती है। इन आशंकाओं को और बल मिलता दिख रहा है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनकी कैबिनेट के सीनियर मंत्री दिल्ली गए थे। हिंदी अखबार ‘पंजाब केसरी’ की खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तो मंगलवार देर शाम शिमला लौट आए, लेकिन बाकी लोग दिल्ली में ही रुके हुए हैं।

बाली, कौल सिंह और स्टोक्स की एक पुरानी तस्वीर(Courtesy: Indian Express)

अखबार के मुताबिक एक दिन के दिल्ली दौरे के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मंगलवार देर शाम शिमला पहुंचे। पहले वह हेलिकॉप्टर से आने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के चलते उन्हें बाइ रोड शिमला आना पड़ा। अपने दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला समेत कई पार्टी नेताओं के साथ मुलाकात की। बाकी नेता दिल्ली में ही डटे हुए हैं।

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माना जा रहा है कि वीरभद्र का विरोधी खेमा एकजुट होकर अभी से उनका पत्ता साफ करने की कोशिशों में जुट गया है। सूत्रों के मुताबिक यह धड़ा आलाकमान को यह विश्वास दिलाने की कोशिश कर रहा है कि अगर वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाता है तो इससे पार्टी में बिखराव नहीं होगा।

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एग्जिट पोल दे रहे हैं वीरभद्र सिंह की विदाई के संकेत

नई दिल्ली।।
हाल ही में आए कई एजेंसियों के एग्जिट पोल संकेत दे रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश में बीजेपी का स्कोर 4-0 या 3-1 रह सकता है। यह हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए अच्छा संकेत नहीं है। वीरभद्र सिंह ने हिमाचल प्रदेश की चारों सीटों पर संगठन की इच्छा को नजरअंदाज करते हुए अपनी मर्जी से टिकट दिलवाए थे। ऐसे में खराब प्रदर्शन की सीधी जिम्मेदारी उन्हीं की होगी। इसके साथ ही पूरे मंत्रिमंडल का मंगलवार को दिल्ली पहुंचना भी कई सवाल खड़े करता है। इसके अलावा भी कई और फैक्टर हैं, जो वीरभद्र के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। ‘In Himachal’ की स्पेशल रिपोर्ट:

पढ़ें: दिल्ली में वीरभद्र की जड़ें काटने में जुटा विरोधी खेमा

पुरानी बगावत भूली नहीं हाईकमान
गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह कांग्रेस आलाकमान की नजरों में पिछले 2 साल से खटके हुए हैं। केंद्र में मंत्री
रहते हुए वीरभद्र पर लगे आरोप कांग्रेस के लिए फजीहत का विषय बन गए थे। इसके बावजूद साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वीरभद्र सिंह ने कौल सिंह ठाकुर को बाहर का रास्ता दिखाकर प्रदेश की राजनीति में एंट्री मारी थी। दरअसल उन दिनों चर्चा यह भी उठी थी कि अगर कांग्रेस उन्हें प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान का प्रभारी नहीं बनाती है, तो वह बगावत कर देंगे। खबरें यह उठी थीं कि वह अलग पार्टी बना सकते हैं या एनसीपी के साथ जा सकते हैं। उस वक्त आलाकमान को मजबूरी में उन्हें प्रदेश में पार्टी की कमान सौंपनी पड़ी थी।

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महंगा पड़ेगा अड़ियल रवैया
इसके बाद भले ही कांग्रेस की सरकार बनी और वीरभद्र सीएम बने, लेकिन कांग्रेस हाईकमान के पास लगातार उनकी शिकायतें पहुंचती रहीं। आरोप लगे कि उन्होंने मंत्रिमंडल का गठन करते वक्त भी मनमानी की। कई मौकों पर आशा कुमारी, जी.एस.बाली, राकेश कालिया और राजेश धर्माणी जैसे नेता अपनी नाराजगी जाहिर करते रहे हैं। हाल ही में राजेश धर्माणी का सीपीएस पद को छोड़ना इसी बात का एक उदाहरण है। आलाकमान में इससे यह संकेत गया है कि वीरभद्र सिंह का अड़ियल रवैया पार्टी को बांट रहा है।

साभार: TheHindu.com

परिवारवाद के आरोप
वीरभद्र सिंह पर परिवारवाद के भी आरोप लगते रहे हैं। उनकी पत्नी सांसद रही हैं और इस बार भी चुनाव लड़ रही हैं। पिछले दिनों प्रतिभा सिंह के समर्थन में कुल्लू में हुई एक सभा में वीरभद्र सिंह ने कहा कि मैं किसी महिला को सीएम देखना चाहता हूं। इससे कयास यही लगाए जा रहे हैं कि वह अपनी पत्नी प्रतिभा सिंह की तरफ इशारा कर रहे हैं। यही नहीं, चर्चा है कि उनके बेटे और युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विक्रमादित्य सिंह का विभिन्नय मंत्रालयों में दखल बढ़ा है। कांग्रेस में संगठन स्तर पर इस बात से भी नाराजगी है।

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करप्शन के आरोप
यूं तो वीरभद्र सिंह एचपीसीए और धूमल परिवार की अन्य कथित गड़बड़ियों को लेकर आए दिन बयान देते रहते हैं, लेकिन जब उन पर लगे कई आरोपों पर सवाल पूछे जाते हैं, तब वह खामोश रहते हैं या भड़क जाते हैं। आलम यह है कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के प्रवक्ता जब विपक्षी पार्टियों के करप्शन के आरोपों से घिरे नेताओं पर निशाना साधते हैं, तब उन्हें वीरभद्र के सवाल पर खामोश होना पड़ता है। साथ ही यह भी हो सकता है कि बीजेपी की सरकार आने पर वीरभद्र के खिलाफ सीबीआई जांच में भी तेजी आए। ऐसे में भविष्य की रणनीति में जुटी कांग्रेस नहीं चाहेगी कि वह वीरभद्र की वजह से किसी मुश्किल में फंसे।

मीडिया से बदसलूकी
आमतौर पर शांत और हंसमुख रहने वाले वीरभद्र सिंह साल 2012 में करप्शन पर सवाल पूछने पर मीडिया पर भड़क उठे थे। मगर यह सिलसिला थमा नहीं। हाल ही में एक बार फिर उन्होंने एक रिपोर्टर को कैमरा तोड़ने की धमकी दे डाली। चुनावी माहौल में नैशनल टीवी चैनलों में उनका यह रूप दिखना कांग्रेस के लिए एक बार फिर शर्मिंदगी का कारण बन गया।

पढ़ें: नड्डा बन सकते हैं बीजेपी के अगले प्रेजिडेंट

वीरभद्र की उम्र भी फैक्टर
कांग्रेस आलाकमान वीरभद्र की सम्मानजक विदाई का रास्ता ढूंढ रही है। राहुल गांधी के फॉर्म्यूले पर चलते हुए कांग्रेस युवा लोगों को जिम्मेदारी देना चाह रही है। वीरभद्र सिंह 85 वर्ष के हो चले हैं, ऐसे में यह उनका आखिरी कार्यकाल माना जा रहा है। इसलिए कांग्रेस चाहेगी कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले कोई नया चेहरा मुख्यमंत्री पद संभाले, जिसके नेतृत्व में वह अगले चुनावी समर में उतर सके। ऐसे में वीरभद्र सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है।

कौन होगा कांग्रेस का अगला चेहरा?
यूं तो कांग्रेस पिछला विधानसभा चुनाव कौल सिंह ठाकुर के नेतृत्व में लड़ने की तैयारी कर रही थी, लेकिन आखिरी वक्त में वीरभद्र ने नेतृत्व किया। विद्या स्टोक्स की दावेदारी अब इसलिए खत्म मानी जा रही है, क्योंकि वह भी उम्रदराज हो चुकी हैं। मगर सबसे अहम बात यह है कि कौल सिंह के करीबी और केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा खुद भी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में उनकी रुचि पहले से ही रही है। अगर केंद्र से कांग्रेस की सरकार गई, तो कांग्रेस आलाकमान के नजदीकी आनंद शर्मा हिमाचल प्रदेश की राजनीति में आने के लिए एकदम फ्री रहेंगे। कांग्रेस का एक धड़ा जी.एस. बाली के लिए भी माहौल बनाने में जुटा हुआ है।

ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क बन पाएगा यूनेस्को वर्ल्ड हैरिटेज साइट?

नई दिल्ली।।
हिमाचल प्रदेश के ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क को यूनेस्को के वर्ल्ड हैरिटेज साइट के लिए नॉमिनेट किया गया है। यूनेस्को की कमिटी ऑन नेचर की सलाहकार संस्था इंटरनैशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर ने वर्ल्ड हैरिटेड के दर्जे के लिए दुनिया भर के 12 नैचरल और दूसरे स्थल नॉमिनेट किए हैं। हिमाचल का जीएचएनपी उनमें से एक है।

स्नो लेपर्ड(Courtesy: wikispaces.com)

IUCN 15 से 25 जून के बीच कतर के दोहा में आयोजित होने वाली अपनी 38 वीं बैठक में अपनी सिफारिशें पेश करेगी। संस्था कई चर्चाओं और दूसरे कार्यक्रमों में दुनिया भर के नैचरल वंडर्स के संरक्षण के लिए जरूरी कार्रवाई पर चर्चा करेगी।

ग्रेट हिमालयन नैशनल पार्क संरक्षण क्षेत्र पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के सबसे खूबसूरत इलाकों में से एक है। इसे अपनी शानदार बायो डाइवर्सिटी के लिए जाना जाता है। पिछले साल जीएचएनपी वर्ल्ड हैरिटेड का दर्जा पाने से वंचित रह गया था।

जीएचएनपी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में 754.4 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। इसे राज्य सरकार ने 1999 में वन्यजीवन संरक्षण अधिनियम- 1972 के तहत नैशनल पार्क घोषित किया था। यहां स्नो लेपर्ड, एशियाई ब्लैर बियर और हिमालयन ब्राउन बियर जैसे कई लुप्तप्राय जीव पाए जाते हैं।

जे.पी. नड्डा होंगे बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष?

नई दिल्ली।।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और सीनियर नेता जगत प्रकाश नड्डा को पार्टी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक अगर बीजेपी की सरकार बनी तो मौजूदा अध्यक्ष राजनाथ सिंह कैबिनेट में शामिल होंगे। ऐसे में संगठन की जिम्मेदारी नड्डा को सौंपी जा सकती है। गौरतलब है कि जे.पी. नड्डा ने भी पिछले दिनों साफ किया था कि बीजेपी की सरकार बनने पर वह संगठन में रहना ही पसंद करेंगे।


सभी एग्जिट पोल बता रहे हैं कि बीजेपी नीत एनडीए को बहुमत मिलने जा रहा है। ऐसे में राजनाथ सिंह का मंत्रिमंडल में शामिल होना तय है। बीजेपी सूत्रों का यह भी कहना है कि राजनाथ सिंह को गृह मंत्रालय दिया जा सकता है। ऐसे में उनकी जगह पिछले दिनों राष्ट्रीय राजनीति में तेजी से उभरे नड्डा को अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

इमेज wn.com से साभार

हिमाचल प्रदेश बीजेपी के दिग्गज नेता नड्डा राज्यसभा सांसद हैं और बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। चुनावी माहौल में उन्होंने जिस तरह से पार्टी का कामकाज संभाला, उससे हर कोई प्रभावित है। खास बात यह है कि उनका नाता किसी एक खेमे से भी नहीं जोड़ा जा सकता है। अपनी काबिलियत के दम पर बीजेपी के टिकट आवंटन से लेकर कई फैसलों में उनका दखल रहा है।

‘इन हिमाचल’ को बीजेपी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्तार अब्बास नकवी भी बीजेपी के अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं। मोदी सरकार बनने की स्थिति में अल्पसंख्यकों का भरोसा जीतने के लिए पार्टी उन्हें भी यह जिम्मेदारी दे सकती है। बहरहाल, स्थिति तभी साफ हो पाएगी, जब नई सरकार का गठन होगा।

कांग्रेस नेताओं में मची राहुल को ‘बचाने’ की होड़

नई दिल्ली।।
एग्जिट पोल्स में कांग्रेस की हार के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस चाह रही है कि किसी भी तरह हार

साभार: indiatimes.com

की जिम्मेदारी राहुल गांधी पर न आए। इसके कांग्रेस के सीनियर नेता एक के बाद एक पार्टी उपाध्यक्ष के बचाव में उतर रहे हैं। अब केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने कहा है  कि राहुल गांधी यूपीए सरकार में शामिल नहीं रहे थे, ऐसे में चुनावों के खराब प्रदर्शन के लिए उनके नेतृत्व को दोष देना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहता है, तो इसे राहुल की नेतृत्व क्षमता की कमी नहीं समझा जाना चाहिए।

कमलनाथ ने कहा कि सरकार अच्छे प्रदर्शन के बावजूद अपने कामों और उपलब्धियों को जनता तक नहीं पहुंचा पाई। उन्होंने यह भी कहा कि एग्जिट पोल पर भरोसा करना सही नहीं है, क्योंकि पहले के एग्जिट पोल भी बीजेपी के पक्ष में रहे थे, मगर नतीजा कुछ और रहा था।

नतीजों से पहले ही कांग्रेस इस तरह की तैयारी कर रही है कि अगर हार का मुंह देखना भी पड़ा, तो उसकी जिम्मेदारी राहुल पर न पड़े। इससे पहले कांग्रेस नेता शकील अहमद ने भी कहा था कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। इससे पहले कई राज्यों के चुनावों में राहुल के कैंपेन के बावजूद पार्टी को हार मिली थी। उस वक्त भी पार्टी के नेताओं में हार की जिम्मेदारी लेने में होड़ मच गई थी।

In Himachal, आपके अंदर के ‘हिमाचली’ के लिए

नमस्कार,
In Himachal यानी ‘हिमाचल में’। नाम से ही साफ है कि ‘इन हिमाचल’ एक ऐसा पोर्टल है जो हिमाचल प्रदेश के लिए समर्पित है। इसमें हम आपके लिए लेकर आएंगे हिमाचल प्रदेश की बहुत सारी जानकारी। शिक्षा, स्वास्थ्य, करियर, खेल, राजनीति, प्रशासन, कला और संस्कृति आदि से लेकर और भी बहुत कुछ। इस पोर्टल का एरिया परिभाषित नहीं है। अभी यह अंडर कंस्ट्रक्शन है। ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें:  ‘इन हिमाचल’ एक शुरुआत है

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धन्यवाद सहित।
टीम ‘इन हिमाचल’।

आरटीआई ऐक्टिविस्ट देवाशीष भट्टाचार्य पर पत्नी और बेटी ने लगाया बेल्ट से पीटने का आरोप

नई दिल्ली।। आरटीआई के तहत जानकारियां मांगने के लिए चर्चित देव आशीष भट्टाचार्य पर उनकी पत्नी और बेटी ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। ये आरोप ऐसे हैं कि किसी भी आत्मा कांप जाए।

अंग्रेजी अखबार मिड डे ने रिपोर्ट छापी है कि बेटी और पत्नी ने आरटीआई ऐक्टिविस्ट पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया है।

अखबार ने ‘Decorated RTI Activist Is A ‘Demon’?’ शीर्षक से समाचार छापा है, जिसे आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं। इसमें लिखा गया है-

“कुछ दिन पहले तक देव आशीष भट्टाचार्य एक आदर्श भारतीय थे. आरटीआई कार्यकर्ता जो सरकारी एजेंसियों की विभिन्न नीतियों को लेकर सवाल पूछते थे और एक मीडिया समूह ने उन्हें ‘सर्वश्रेष्ठ नागरिक’ भी चुना था.

मगर अब उन्हें खुद कुछ सवालों के जवाब देने होंगे। उनकी पत्नी और टीनेजर बेटी ने भट्टाचार्य पर घरेलू हिंसा के आरोप लगाए हैं। 

मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट के सामने दाखिल शिकायत में दोनों ने आरोप लगाया है कि देवाशीष आए दिन बेल्ट और घर की अन्य चीज़ों से उनकी पिटाई करते हैं और गालियां देते हैं।

पत्नी मीनाक्षी ने बयान दिया है, “मुझे लगता है कि वह अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं क्योंकि उन्हें हमें हमारी पिटाई करने में और गालियां देने में आनंद आता है.”

जिस विभाग में मीनाक्षी काम करती हैं, उसे दी गई शिकायत में उन्होंने लिखा है कि उनके पति ‘लोगों, संगठनों और सरकारी विभागों के विभिन्न अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए आरटीआई ऐक्ट का दुरुपयोग करते हैं।’

जब इस संबंध में फोन पर संपर्क किया गया तो भट्टाचार्य ने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि मामला अदालत में है। मीनाक्षी आरोप लगाती हैं कि उनके  साथ और बेटी स्वाति के साथ उनके पति ‘राक्षस’ जैसा व्यवहार करते हैं।”