नीरज भारती की ‘अमर्यादित’ फेसबुक पोस्ट्स से कांग्रेस में नाराजगी

शिमला।।
ज्वाली से विधायक और इन दिनों मुख्य संसदीय सचिव(CPS) नीरज भारती का सोशल मीडिया पर गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार इन दिनों हिमाचल कांग्रेस के लिए फजीहत का विषय बना  हुआ है। भारती की ‘अमर्यादित’ पोस्ट्स से नाराज पार्टी नेता अब उनकी शिकायत आलाकमान से करने का मूड बना चुके हैं।

नीरज भारती

27 नवंबर को रात करीब डेढ़ बजे नीरज भारती की टाइमलाइन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके समर्थकों को निशाने पर लेता हुआ एक अमर्यादित ‘जोक’ शेयर किया गया है। इसमें लिखा है, ‘जितनी चिंता मोदी के टट्टुओं को कांग्रेस की है, उतनी अगर वे जसोदा बेन की कर लेते तो बुढ़ापे में एक-आध भतीजा गोद में खेल रहा होता।’ इसके अलावा भी पीएम मोदी को निशाना बनाते हुए कई सारी पोस्ट्स लगातार शेयर की गई हैं।

नीरज भारती की प्रोफाइल पर बाबा रामदेव को लेकर भी निशाना साधा गया है। न सिर्फ उनकी तुलना हाल ही में बवाल करने वाले स्वयंभू संत रामपाल से की गई है, बल्कि एक महिला के साथ उनकी फोटो भी पोस्ट की है। यह वही फोटो है, जो सोशल मीडिया में शेयर की जा रही थी औऱ बाबा रामदेव के चरित्र पर उंगली उठाई जा रही थी। इस पर बाबा रामदेव ने सफाई देते हुए कहा था कि यह महिला कैंसर पीड़ित है और उनके लिए बेटी जैसी है। बाबा रामदेव ने अपने फेसबुक पेज से पोस्ट जारी करके ओछी टिप्पणियां करने वालों को धिक्कारा भी था।

कांगड़ा से ही कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने इन हिमाचल को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सोशल मीडिया पर नीरज भारती का व्यवहार स्कूल-कॉलेज के लड़कों जैसा है। उन्होंने, ‘राजनीति में कुछ मर्यादाएं होती हैं। जब आप सार्वजनिक जीवन में होते हैं तो आपको सोच-समझकर बातें करनी चाहिए। जिस तरह की सामग्री वह पोस्ट कर रहे हैं, उससे न सिर्फ उनकी बल्कि पार्टी की छवि भी खराब हो रही है।’ उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि वह कितने अपरिपक्व नेता हैं। वह पूरी पार्टी की इमेज को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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शिमला से कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि राजनीतिक विरोध औऱ मतभेद अपनी जगह होते हैं, मगर आरोप तथ्यों के आधार पर ही लगाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी तक नीरज भारती की फेसबुक पर यह पोस्ट्स देखी नहीं है, मगर वाकई अगर ऐसा कुछ पोस्ट किया गया है तो यह निंदनीय है। सोशल मीडिया पर तो कई चीज़ें शेयर की जाती हैं। अगर बिना जांच किए उन्हें एक नेता शेयर कर  रहा है तो वह सबसे बड़ा अपराधी है।’

सूत्रों का कहना है कि पिछले कई दिनों से प्रदेश के सभी नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर नजर रखी जा रही है। एक युवा नेता ने कहा,  ‘नीरज भारती को हमारी पार्टी का एक धड़ा ‘प्रदेश के भविष्य’ के तौर पर पेश करता रहा है। अगर आप विपक्ष पर बिना तथ्यों पर या नैतिकता से परे हटकर निशाना साधते हैं तो आप अपनी पार्टी का ही नुकसान करते हैं। इससे न सिर्फ आप विपक्षियों को अपने से दूर कर देते हैं, बल्कि आपकी पार्टी का समर्थक बुद्धिजीवी तबका भी छिटक जाता है।’

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सूत्रों का कहना है कि जल्द ही इस बारे में संगठन के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया जाएगा और उचित कदम उठाया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि पोस्ट्स को तो डिलीट भी किया जा सकता है या अकाउंट फर्जी होने की बात कही जा सकती है, सूत्रों ने बताया कि यह प्रोफाइल उन्हीं की है क्योंकि उनके परिवार से सदस्य भी इस पर कॉमेंट करते रहे हैं और नीरज अपनी निजी तस्वीरें भी शेयर करते हैं। इसके अलावा स्क्रीनशॉट भी रख लिए गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर पेश किया जा सके।

नीरज भारती की फेसबुक प्रोफाइल पर जाने के लिए क्लिक करें

राजनीति में पिछड़ती हिमाचल प्रदेश सेंट्रल यूनिवर्सिटी और छात्र हित

आज ही एक अखबार में हिमाचल प्रदेश के एक बड़े राजनेता का बयान पढ़ा-

“केंद्रीय विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में अड़चन पैदा की जा रही है। धर्मशाला के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए केंद्रीय विवि का प्रशासनिक खंड धर्मशाला और शैक्षणिक खंड देहरा में होना चाहिए।”

इस बयान को पढ़कर मन अत्यंत दुखी और अचंभित हुआ।  पहली बात यह है कि किसी भी एजुकेशनल इंस्टिट्यूट के लिए जगह तय करने के लिए किसी स्थान के ऐतिहासिक महत्व का कोई लेना-देना नहीं है। एक एकदम बिना लॉजिक की बात है। दूसरी  बात यह कि अगर प्रशासनिक भवन और शैक्षणिक भवन 50 किलोमीटर दूर होंगे, तो यह न सिर्फ फालतू का खर्च होगा, बल्कि टीचर्स और छात्रों के रोज के कामों को भी प्रभावित करेगा।

राजनीति की भेंट चढ़ा हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय

किसी भी यूनिवर्सिटी में प्रशासन का मतलब कोई अलग से बहुत बड़ा डिपार्टमेंट नहीं होता, बल्कि क्लैरिकल स्टाफ को छोड़कर शिक्षक या यूं कहिए कि प्रफेसर ही बारी-बारी से प्रशासनिक पदों पर कुछ वर्षों के लिए बैठते हैं।  किसी प्रफेसर को डीन बना दिया जाता है, कोई डेप्युटी डायरेक्टर ऐडमिन हो जाता है  तो कोई रजिस्ट्रार बना दिया जाता है । और यह सब पोस्ट्स एक निर्धारित समय  के बाद  बदलती रहती हैं।  ऐसा नहीं है कि प्रशासनिक जिम्मेदारी मिलने से प्रफेसर पढ़ाना छोड़ देता है।  वह अपने सब्जेक्ट की क्लास भी लेते  हैं और निर्धारित समय अवधि  के दौरान दिन के कुछ घंटे प्रशासनिक कार्यालय  में बैठ  कर अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी भी  निभाते हैं।

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मुझे नहीं पता कि धर्मशाला  और देहरा के 50 किलोमीटर के सफर को ऐसे प्रफेसर कैसे तय कर पाएंगे। और अगर शैक्षणिक और प्रशासनिक ब्लॉक अगर 50 किलोमीटर दूर होंगे तो क्या छात्र अपने छोटे-छोटे कामों के लिए धर्मशाला का चक्कर लगाते रहेंगे? कुलसचिव अगर कहीं और बैठंगे और शिक्षा कहीं और चलेगी तो क्या अनुशासन होगा? प्रशासनिक खंड क्या होता है? यह मात्र एक बिल्डिंग ही तो है। फिर इसका पूरी यूनिवर्सिटी के साथ बनना कैसे गलत है?

फालतू में सरकार के संसाधन खर्च करना, शिक्षा  का माहौल खराब करना,  विद्यार्थियों के ऊपर आर्थिक बोझ डालना और उन्हें दो जगहों पर छोटे-छोटे कार्यों के लिए दौडाए रखना कहां तक जायज और समझदारी है? मैं भी आईआईटी दिल्ली में रिसर्च स्कॉलर हूं। शैक्षणिक कार्यों के अलावा अन्य छोटे-छोटे कार्यों के लिए मुझे किसी ऐप्लिकेशन पर हस्ताक्षकर करवाने  के लिए कई  बार प्रशासनिक खंड में जाना पड़ता है।  और यह महज मेरी लैब से 200 मीटर दूर है।  ऐसे छोटे कार्यों के लिए हिमाचल प्रदेश में  बनने वाली सेंट्रल यूनिवर्सिटी के छात्र क्या 50 किलोमीटर जाया करेंगे।  या बाई पोस्ट  ऐप्लिकेशन भेजा करेंगे ताकि 10 मिनट का कार्य 10 दिन में पूरा हो।

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शिक्षण संस्थान में शैक्षणिक और प्रशासनिक खंड में कोई भेद नहीं है। यूनिवर्सिटी किसी भी स्थान पर बने, वो मेरा मुद्दा नहीं है। लेकिन खुद  एक विकासशील  देश  का नागरिक और छात्र होने की वजह से सरकारी संसधनों के मितव्यय और छात्रहित के बारे में यही मेरी राय और अनुभव है कि वह जहां भी बने, एक स्थान पर दोनों खंड हों। सरकारी खर्चे और छात्र हित में यह जरुरी है। हिमाचल प्रदेश की सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी इसका अपवाद नहीं हो सकती।

दुःख इस बात का है इसी के साथ खुली अन्य प्रांतों की सेंट्रल यूनिवर्सिटीज़ में विभिन्न कोर्स शुरू हो चुके हैं, लेकिन हमारे प्रदेश की सेंट्रल यूनिवर्सिटी का स्थान तय न हो पाने की वजह से अभी नाम मात्र के लिए ही कोर्स शुरू हो पाए हैं। प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री भी इस मुद्दे पर सिर्फ भाषणबाजी कर रहे हैं और अभी तक उन्होंने केंद्र को किसी जगह का नाम नहीं सुझाया है। इस पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों को राजनीति बंद करनी चाहिए और बरसों से लटके इस कार्य को अब पूरा करवाने की कोशिशों में जुटना चाहिए।

लेखक:
Aashish Nadda (PhD Research Scholar)
Center for Energy Studies
Indian Institute of Technology Delhi
E-mail  aksharmanith@gmail.com

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दिल्ली में रह रहे हिमाचलियों के बीच भावुक हुए रामस्वरूप शर्मा

नई दिल्ली।।

रविवार को दिल्ली में रहने वाले हिमाचल प्रदेश के लोगों की सोसाइटी ‘हिमाचल कल्याण सभा, दिल्ली’ का 44वां सालाना समारोह मनाया गया। प्रदेश के तीन सांसदों ने इसमें शिरकत की। सभी ने अपने विचार लोगों के साथ साझा किए। आखिर में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा ने लोगों को संबोधित किया।

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पं. रामस्वरूप शर्मा ने  हिमाचल प्रदेश, और खासकर मंडी क्षेत्र के लोगों को से यह वादा किया कि कुछ सालों बाद जब भी आप मंडी में अपने घर आएंगे तो पठानकोट -मंडी और कीरतपुर-मंडी हाइवे  आपका स्वागत करेंगे।  उन्होंने साथ ही साथ यह भी जोड़ा कि शांता कुमार से मिलकर वह पठानकोट-लेह रेलवे लाइन का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री समेत अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ उठा रहे हैं।  उन्होंने कहा कि जल्द ही ये कोशिशें धरातल पर भी दिखने लगेंगी।

मंडी के सांसद का स्वागत करते सभा के पदाधिकारी।

अंत में रामस्वरुप शर्मा ने कार्यक्रम में बुलाने के लिए उपस्थित जनमानस और सभा के लोगों का हार्दिक धन्यवाद किया। सभा में उस समय कुछ देर तक खामोशी छा गई और हर किसी की आंखों में भावनओं से छल गईं, जब सांसद भावुक हो गए। शर्मा ने भावुक होकर कहा, ‘मैं कई बरसों से अख़बारों में पढ़ा करता था कि दिल्ली में हिमाचल से जुड़ी एक सभा है, जो हिमाचली संस्कृति को कई वर्षों से संजोए हुए है। सभा का कार्यक्रम होता है बड़े-बड़े नेता शिरकत करते हैं।  परन्तु  आज मंडी क्षेत्र के लोगों के आशीर्वाद से  मेरे जैसा साधरण कार्यकर्ता, गांव का व्यक्ति आज यहां सांसद के रूप में सम्मानित किया गया।’

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शर्मा ने कहा, ‘आज तक मंडी में राजा-रजवाड़ों और बड़े-बड़े नेताओं ने राज किया है, परन्तु अब मंडी की सेवा का मौका एक आम व्यक्ति, साधारण कार्यकर्ता को मिला है। आपको विश्वास दिलाता हूं कि मंडी छोटी काशी का वैभव जरूर प्राप्त करेगी।’

कार्यक्रम खत्म होने के बाद भी सांसद वहां रुके रहे और अपने क्षेत्र के हर व्यक्ति से रूबरू हुए।

मंत्री न बनाए जाने से नाखुश नहीं हूं: अनुराग ठाकुर

रायपुर।।
भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हमीरपुर लोकसभा सीट से सांसद अनुराग ठाकुर का कहना है कि हाल में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में जगह न मिलने से वह निराश नहीं है। उन्होंने इस तरह की खबरों को गलत बताया कि वह पीएम मोदी के मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने नाखुश हैं।

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रायपुर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे अनुराग ठाकुर ने कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि पार्टी में मुझे लगातार तीसरी बार सांसद बनने का मौका दिया और भाजयुमो का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनाया।’ उन्होंने कहा कि वह संगठन के लिए काम कर रहे  हैं इसे जारी रखेंगे।

गौरतलब है कि मंत्री बनाए जाने के लिए अनुराग ठाकुर के नाम पर भी अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन वह फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना सके। वहीं हिमाचल प्रदेश से ही पार्टी के सीनियर नेता जे.पी. नड्डा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

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जानिए, कौन हैं जे.पी. नड्डा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के माहिर रणनीतिकार और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के विश्वासपात्र जगत प्रकाश नड्डा को कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिली है। उन्हें सरकार में जगह मिलना दिखाता है कि उनकी संगठन क्षमता और पर्दे के पीछे रहकर काम करने की खूबी को पुरस्कृत किया गया है।
अपने कॉलेज के दिनों में प्रभावी छात्र नेता रहे 53 साल के नड्डा बेहद मृदुभाषी हैं। मुश्किल से मुश्किल कामों को आसानी से सुलझाने में माहिर नड्डा बीजेपी के अध्यक्ष पद की रेस में भी थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपना समर्थन अमित शाह को दे दिया था।

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नड्डा आज मोदी और शाह के साथ बीजेपी की सबसे शक्तिशाली तिकड़ी का हिस्सा हैं। वह पार्टी के हर बड़े फैसले में शामिल रहते हैं, साथ ही पार्टी और सरकार के बीच में कड़ी की भूमिका भी निभाते हैं।  उन्हें आरएसएस से भी समर्थन मिलता है और बीजेपी से सभी बड़े नेताओं से उनके अच्छे रिश्ते हैं।
उन्हें हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के अगेल सीएम कैंडिडेट के तौर पर देखा जा रहा है।
2 दिसंबर, 1960 को बिहार के पटना में उनका जन्म हुआ था। उनके पिता पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे। नड्डा जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर छात्र राजनीति में आए थे।  उन्होंने हिमाचल प्रदेश आने से पहले अपनी जवानी के दिन बिहार में भी बिताए थे।
नड्डा कॉलेज के दौर में छात्र राजनीति से जुड़े और एबीवीपी के सक्रिय मेंबर बनए। वह साल 1977 में पटना यूनिवर्सिटी में एबीवीपी के सचिव चुने गए। 1977 से लेकर 1990 तक वह एबीवीपी में करीब 13 सालों तक विभिन्न पदों पर रहे। 31 साल की उम्र में नड्डा साल 1991 में बीजेपी के युवा मोर्चा के नैशनल प्रेजिडेंट बन गए।

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राज्यसभा के लिए चुने जाने से पहले वह हिमाचल प्रदेश में विधायक थे। नड्डा 1993 से 1998, 1998 से 2003 और 2007 से 2012 तक बिलासपुर सदर से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे। साल 1998 से 2003 तक वह राज्य से स्वास्थ्य मंत्री रहे और 2008 से 2010 तक वन एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री रहे। अप्रैल 2012 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया और कई सारे संसदीय कमिटियों में जगह दी गई।
मई 2010 से नड्डा बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव हैं। पिछले सालों में हिमाचल प्रदेश में वह बेहद कद्दावर नेता बनकर उभरे। कम उम्र में ही बीजेपी के साथ उनका जुड़ाव रहा। जमीनी स्तर से उठकर उन्होंने यहां तक का सफर किया है, जिससे उनका व्यक्तित्व कुछ ऐसा बन गया है कि वह हर राजनीतिक समस्या को बेहद शांति से सुलझा सकते हैं।

(टीम इन हिमाचल)

बिलासपुर गम में डूबा है और हमीरपुर में बीजेपी मना रही है जीत का ‘जश्न’

हमीरपुरबस हादसे से  बिलासपुर के करीब डेढ़ दर्जन गांवों में  मातम छाया है।  हर तरफ दुख का माहौल है। नवरात्रों में मां दुर्गा के नाम की ज्योति की जगह चिता की आग कई परिवारों के दिलों और उनके अरमानों को जला  रही है। एक तरफ कई लोग अभी भी झील में डुबकियां लगाकर बदहवासी में अपने खोए हुए परिजनों तलाश रहे हैं, मगर दूसरी तरफ हमीरपुर में बीजेपी लोकसभा चुनावों में मिली जीत का जश्न मना रही है।

अभी तक हादसे में 30 के करीब शव निकल पाए हैं, लेकिन हादसे में बचे लोग बता रहे हैं बस में अधिकांश महिलाएं और स्कूल के बच्चे थे।  बच्चों का अभी तक गोविन्द सागर की लहरों  में कोई सुराग नहीं लग पाया है।  हादसे में शिकार लोग और उनके बच्चे मुख्यता उन पंचायतों से सबंधित थे, 60 साल पहले  जिनकी जमीनें गोविन्द सागर में समा गई थीं। इतिहास तो गोविन्द सागर में डूब ही गया था पर मासूम बच्चों के रूप में उनका भविष्य भी गोविन्द सागर लील गई।

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इसी बीच राजनीति शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बयान ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।  आंकड़ों के आधार पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।  किसकी सरकार में कितने हादसे हुए, यह सफलता-असफलता का पैमाना बताया जा रहा है। लेकिन किसने कितना सबक सीखा और रोकथाम के लिए क्या नए प्रावधान किए, इसका किसी के पास जबाब नहीं है।

अपनी बच्ची का कोई पता न चल पाने पर बदहवास हुई एक महिला को संभालते लोग।

हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत ही बिलासपुर जिला भी आता है। संसदीय क्षेत्र का यह हिस्सा  मातम की चादर ओढ़े हुए है,  लाशों को ढूंढने के लिए अभी भी  कार्य चल रहा है,  लोग भूखे-प्यासे टकटकी लगाए  झील को देख रहे हैं। दूसरी तरफ बीजेपी हमीरपुर में लोकसभा चुनाव  में जीत का जश्न मना रही है। हमीरपुर के बरोहा में उन बूथों को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लीड दिलवाई थी। यहां पर बिलासपुर के बूथ भी सम्मानित होंगे।  पर क्या बिलासपुर के नेता और कार्यकर्ताओं में इतनी हिम्मत और गैरत  है कि वे इस घड़ी में सम्मानित होने के लिए जाएंगे?

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सूत्रों से पता चला है कि बिलासपुर के कद्दावर नेता जगत प्रकश नड्डा हादसे की खबर सुनते ही दिल्ली से बिलासपुर के लिए कल ही निकल गए थे। वह हमीरपुर के जलसे में शामिल नहीं हो रहे हैं। यह हादसा उसके घर से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर हुआ है।

In Himachal का नजरिया:
बात यह नहीं है कि कौन जाएगा कौन नहीं,  बात यह है कि जब बिलासपुर भी हमीरपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है, इसके सांसद भी अनुराग ठाकुर हैं औरआज यहां मातम पसरा है तो क्या उसी सांसद की जीत का जश्न और कार्यकर्ता सम्मान दिवस इस माहौल में मनाना तर्क संगत है? क्या बिलासपुर की संवेदनाओं  का फर्क बीजेपी नेतृत्व को नहीं पड़ता? कल तक यह भी पता चल जाएगा कि दुःख की इस घड़ी में भी हमीरपुर दरबार में हाजिरी लगाने और निष्ठा दिखाने के लिए बिलासपुर बीजेपी के कौन-कौन नेता जश्न में शामिल होने पहुंचे।

बीजेपी के शीर्ष नेता और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर में आई बाढ़ पर अपना जन्मदिन नहीं मनाकर नैतिकता का उदाहरण दिया था। मगर हमीरपुर में पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में पार्टी बिलासपुर के जख्म को अनदेखा करते हुए जीत का जश्न और   सम्मान  दिवस मना रही है।  हालांकि माननीय सांसद को जिताने में बिलासपुर ने भी शत प्रतिशत योगदान दिया था। खैर…

कपड़े उतारकर बचाव कार्य में जुटे रहे बिलासपुर के विधायक बम्बर ठाकुर

बिलासपुर
बिलासपुर में घटी बस दुर्घटना ने त्योहारों के इस सीजन में बिलासपुर के कई गांवों को गम के अंधेरे में डुबो दिया। घटनास्थल पर चीख-पुकार का आलम था। ऑफिस जाने के लिए निकले लोग, स्कूल-कॉलेज के लिए निकले छात्र और भी न जाने कितने लोग उस अभागी बस में सवार थे, जो  गोविन्द सागर में समा गई।

जैसे ही प्रशासन को इस बात का पता चला, पूरा सरकारी अमला घटना स्थल पर पहुंच गया। जहां पर बस गिरी थी, वह कोई गहरी खाई नहीं थी, लेकिन पानी में गिर जाने की वजह से लोग बाहर नहीं निकल सके। नावों का सहारा लेकर पहले बस को पानी में टटोला गया और फिर क्रेन फंसाकर उसे बाहर निकाला गया।

दाएं कपड़े उतारकर बैठे बिसापुर के एमएलए बम्बर ठाकुर

इसी बीच बिलासपुर के स्थानीय विधयक बंबर ठाकुर वहां पहुंचे। खुद को किनारे पर खड़े होकर राहत कार्यों का जायजा लेते महसूस कर वह बेचैन दिखे। वह खुद को रोक नहीं पाए और तुरंत कपड़े उतारकर इस कार्य में जुट गए। बंबर ठाकुर नाव में बैठ कर गहरे पानी में शाम तक लाशों को ढूंढने में मदद करते रहे।  विधायक का यह जज्बा क्षेत्र की जनता के लिए चर्चा का विषय रहा।

यह हादसा यूं तो साथ लगते घुमारवीं विधानसभा क्षेत्र में हुआ, लेकिन बम्बर ठाकुर का पैतृक निवास  भी हादसे के साथ लगते गावं में है। बम्बर ठाकुर की छवि एक दबंग और आम नेता की मानी जाती है।  गोविन्द सागर के किनारे गांव होने के कारन उन्हें झील में तैराकी  का भी काफी अनुभव है।  विधायक बनने से पहले भी वह जनहित के कार्यों में हमेशा उत्सुक रहते थे। कुछ समय पहले हुए  बंदला बस हादसे में भी उन्होंने  लोगों की मदद को हाथ बढ़ाए थे।  एक विधायक का यह जज्बा वाकई काबिले तारीफ़ है।

ज्योति मर्डर केस: दून के विधायक राम कुमार चौधरी बरी

चंडीगढ़।।

ज्योति मर्डर केस में फंसे हिमाचल प्रदेश के दून विधानसभा क्षेत्र से विधायक राम कुमार चौधरी समेत 12 आरोपी सबूतों के अभाव में रिहा हो गए हैं। कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विधायक और अन्य पर लगाए गए आरोपों को पुलिस साबित नहीं कर पाई है, इसलिए इन्हें बरी किया जाता है।

अदालत का फैसला आने के बाद कोर्ट परिसर में काफी संख्या में विधायक चौधरी के समर्थक जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे। फैसला आने के बाद विधायक चौधरी ने कहा कि जब मैंने कोई अपराध किया ही नहीं है तो वह साबित कैसे होगा।
चौधरी ने ज्योति के साथ करीबी संबंधों की बात कबूल की थी
 
गौरतलब है कि पंचकुला के बहुचर्चित ज्योति हत्याकांड में हिमाचल के दून विधानसभा क्षेत्र से विधायक राम कुमार ने पुलिस के सामने ज्योति रानी की हत्या का गुनाह कबूल लिया था, जिसके बाद से वह रिमांड पर थे।

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क्या था मामला?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राम कुमार चौधरी ने पुलिस को बताया था कि वह जून, 2010 में ज्योति के संपर्क में आए थे और दोनों के बीच अन्तरंग संबंध विकसित हो गए। इसके बाद से दोनों सहमति से एक-दूसरे के साथ व्यक्तिगत रूप से तथा फोन पर संपर्क में रहे।

ज्योति की तस्वीर दिखाते उसके परिजन

 

पंजाब केसरी में छपी खबर के मुताबिक इस बीच ज्योति गर्भवती हो गई और चंडीगढ़ के सेक्टर-20 में जिंदल नर्सिंग होम में उसका अबॉर्शन करवाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान राम कुमार चौधरी वहां पर ज्योति के पति के हैसियत से मौजूद थे।

ज्योति की बहन की शादी की एक तस्वीर

 

रिपोर्ट्स के मुताबिक राम कुमार होशियारपुर में ज्योति की बहन की शादी में भी शामिल हुए थे और उन्होंने ज्योति के बैंक अकाउंट में बड़ी रकम  भी जमा करवाई थी।

आडवाणी पर भारी पड़े उनकी आधी से भी कम उम्र के अनुराग ठाकुर

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नई दिल्ली
बीजेपी के संसदीय बोर्ड से लालकृष्ण आडवाणी को बाहर करके मार्ग दर्शक मंडल में भेजने के बाद अब उन्हें इन्फर्मेशन ऐंड टेक्नॉलजी मिनिस्टरी की उस स्टैडिंग कमिटी का सदस्य बनाया गया है, जिसके चेयरमैन उनसे आधी से भी कम उम्र के अनुराग ठाकुर हैं। उधर, बीजेपी के दूसरे दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी और विपक्षी कांग्रेस के लिए सिर्फ इतनी राहत है कि जहां जोशी को एस्टीमेट कमिटी का चेयरमैन बनाया गया है, वहीं विपक्ष का नेता पद खोने के बाद कांग्रेस के नेताओं को पांच मंत्रालयों की स्टैडिंग कमिटियों के चेयरमैन का पद मिला है।

पिछले ही महीने आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड से हटाने के बाद ही राजनीतिक क्षेत्रों में यह सवाल उठा था कि क्या आडवाणी को बिलकुल अलग-थलग किया जा रहा है। लेकिन अब आडवाणी को एक कमिटी में सदस्य बनाए जाने पर एक बार फिर इस मामले में विवाद खड़ा हो सकता है। दिलचस्प यह है कि जिस कमिटी में आडवाणी हैं, उसी में ही वरुण गांधी, हेमामालिनी, जया बच्चन और सचिन तेंदुलकर को भी रखा गया है। इससे पहले आडवाणी गृहमंत्रालय की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य थे लेकिन उस वक्त केंद्र में यूपीए की सरकार थी।

आडवाणी के साथ दूसरे दिग्गज मुरली मनोहर जोशी को एस्टीमेट कमिटी का चेयरमैन बनाया गया है। हालांकि उन्हें भी डिफेंस मंत्रालय की कमिटी में सदस्य रखा गया है। गौरतलब है कि स्टैडिंग कमिटियों के सदस्यों और चेयरमैन के नाम की सिफारिश राजनीतिक दल ही भेजते हैं। जिन कमिटियों का चेयरमैन कांग्रेसी नेताओं को बनाया गया है, उनमें विदेश मामलों की कमिटी का चेयरमैन शशि थरूर होंगे जबकि फाइनैंस कमिटी के वीरप्पा मोइली होंगे। इसी तरह से होम के लिए बनी कमिटी के चेयरमैन पी. भट्टाचार्य होंगे। साइंस ऐंड टेक्नॉलजी मंत्रालय की स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन अश्विनी कुमार होंगे।

इसी तरह केवी थामस को पहले ही पीएमसी का चेयरमैन बनाया जा चुका है। महत्वपूर्ण है कि राहुल गांधी विदेश मामलों की कमिटी के सदस्य होंगे लेकिन सोनिया गांधी को किसी भी कमिटी में नहीं रखा गया है। रेलवे की कमिटी के चेयरमैन टीएमसी के दिनेश त्रिवेदी होंगे जबकि शहरी विकास मंत्रालय की कमिटी का चेयरमैन बीजेडी के पिनाकी मिश्रा को बनाया गया है। केडी सिंह को ट्रांसपोर्ट का चेयरमैन बनाया गया है और ग्रामीण विकास के लिए पी वेणुगोपाल चेयरमैन होंगे। अन्य कमिटियों में सतीश चंद्र मिश्रा (हेल्थ), बीसी खंडूरी (डिफेंस) को चेयरमैन बनाया गया है।

करप्शन के आरोपों पर सीबीआई को नहीं मिले वीरभद्र के खिलाफ सबूत

नई दिल्ली
सीबीआई ने मनी लॉन्डरिंग और घूस केस में एक तरह से हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को क्लीन चिट दे दी है।

दिल्ली हाई कोर्ट में ऐफिडेविट फाइल करते हुए सीबीआई ने कहा है, ‘हमे करप्शन के आरोपों की जांच करते हुए ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि आरसी(रेग्युलर केस) रजिस्टर किया जाए।’

हालांकि, सीबीआई ने कहा है कि अगर कोर्ट कहे तो हम एफआईआर कर सकते हैं, लेकिन बेहतर होगा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इस मुद्दे की जांच करे। हम ऐसे मामलों की जांच करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।