बहुत दूर से चलकर आते हैं पहाड़ों पर तबाही मचाने वाले बादल

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  • विवेक अविनाशी (vivekavinashi15@gmail.com)

हिमालयी क्षेत्रों में बरसने वाले बादल बंगाल की खाड़ी और अरबसागर से चलकर लगभग ढाई से तीन हजार किलोमीटर का आसमानी सफर तय करके यहां तक पहुंचते हैं और मूसलाधार बारिश से तबाही मचा देते हैं। वास्तव में जल कणों से भरपूर इन बादलो की राह में कोई व्यवधान  आता है, तभी ये टकराकर बरस पड़ते हैं। 
बरसात का शायद ही कोई ऐसा मौसम होगा जब हिमाचल में  बादल फटने और मूसलाधार बारिश से भू-स्खलन के कारण जानमाल  के नुकसान की  खबरें सुर्खियां न बनी हों। हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में बादल फटने के बाद सोन खड्ड में बाद आ जाने से धर्मपुर में पांच लोगों को जान गंवानी पड़ी और करोड़ों की संपत्ति को नुकसान हुआ।  ऐसा हिमाचल में पहली बार नहीं हुआ है। 1970 में पहली बार बादल फटने की घटना का नोटिस लिया गया, जहां एक मिनट में 38.10 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी। शिमला जिले के चिड़गांव में 15 अगस्त ,1997 को 1500 लोग बादल फटने की घटना से हताहत हुए थे। किनौर, कुल्लू और मनाली से भी बादल फटने के समाचार यदा कदा आते रहते हैं।
मंडी शहर के अस्पताल रोड पर साल 1984 में भारी बारिश से करोड़ों का नुक्सान हुआ था। धर्मपुर क्षेत्र में भी वर्ष 2004 में बादल फटने के बाद बारिश का पानी 10 दुकानों में घुस गया था, जिससे दुकानों को भारी नुकसान हुआ था। तबाही वाले बादलों की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ ऐसे मूसलाधार बारिश करने वाले बादलों को ‘क्यूमोलोनिंबस’ बादल के नाम से पहचानते हैं। ये बादल गोभी की शक्ल के लगते हैं और ऐसा लगता है जैसे गोभी का फूल आकाश में तैर रहा हो।

गोभी जैसा बादल

क्यूमोलोनिंबस बादलों में एकाएक जब नमी पहुंचनी बंद हो जाती है या बहुत ठंडी हवा का झोंका इनमें प्रवेश कर जाता है तो ये सफ़ेद बादल एकदम काले हो जाते हैं। इसके बाद तेज गरज से वे उसी जगह अचानक बरस पड़ते हैं।

बादल फटने की यह घटना अमूमन पृथ्वी से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर होती है। इसके कारण होने  वाली बारिश लगभग 100 मिली मीटर की दर से होती है। वास्तव में पारिस्थितिक असंतुलन भी बादल फटने की घटनाओं  का एक कारण है। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण धरती के तापमान में वृद्धि से भी मूसलाधार बारिश की सम्भावनाएं बढती हैं। एक अनुमान के अनुसार यदि धरती का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ेगा तो वातावरण में जलकणों की मात्र 7 प्रतिशत बढ़ेगी। इसका अर्थ हुआ कि एक डिग्री तापमान बढ़ने से बारिश 4-6 फीसदी ज्यादा होगी।

हमारे देश में अभी ऐसे बादलों के बारे में भविष्यवाणी करना  सम्भव नहीं। जिला मंडी की जिला  आपदा प्रबंधन योजना-2012 में जारी सूचना के अनुसार प्रदेश का मंडी जिला प्राकृतिक आपदाओं की श्रेणी में उच्च अंकित किया गया है, इसलिए  इन आपदाओं से सबक लेकर प्रदेश सरकार ग्राम स्तर की आपदा  प्रबंधन समितियों को पूरी तरह सक्रिय कर सकती है, ताकि इस तरह की दुर्घटनाओं के समय जान-माल का नुकसान कम से कम हो।
(लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और जनहित के मुद्दों पर लंबे समय से लिख रहे हैं। इन दिनों ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं।)

युवाओं के लिए प्रेरणा है शांता कुमार का व्यक्तित्व

  • विजय इंद्र चौहान (vijayinderchauhan@gmail.com)

मैं आठवीं कक्षा में था जब से मैंने शांता कुमार को जानना शुरू किया। यह 1992 की बात है जब शांता कुमार दूसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। मुझे यह ठीक से याद नहीं कि मैं क्यों शांता कुमार के व्यक्तित्व की ओर आकर्षित हुआ, मगर शायद उस समय की उनकी सरकार की नीतियां सारे देश मे चर्चा में थीं। इस बात से मैं उनकी ओर आकर्षित हुआ। उनकी दो मुख्य बातें सबसे ज्यादा पसंद थीं- 1. व्यवस्था सुधारने के लिए कड़ा निर्णय लेना, चाहे उसका राजनीतिक परिणाम कुछ भी हो। 2.  भ्रस्टाचार के प्रति कड़ा रुख।

हमारे घर मे उन दिनों अंग्रेज़ी अख़बार द ट्रिब्यून आया करता था। अंग्रेज़ी अख़बार में स्थानीय राजनीतिक खबरें ज्यादा न होने के कारण मैं पड़ोस की दुकान में जा कर हिंदी का अख़बार पढ़ा करता था। अख़बार खंगालने का एक ही मतलब होता था कि शांता कुमार कि कोई खबर मिले और उसे बड़े ध्यान से पढ़ा जाए। समय के साथ मुझे पता चला कि हिमाचल के लोगों की कई मूलभूत समस्याओं का समाधान करने में शांता कुमार का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पिछली बार 1977 मे जब शांता कुमार मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने घर-घर तक पीने का पानी पहुंचाकर महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या का समाधान करवाया था। इससे पहले हिमाचल में पीने के पानी की ब्यवस्था का कोई भी समर्पित सरकारी विभाग नहीं था और महिलाओं को दूर से पानी उठाकर लाना पड़ता था।
हिमाचल में पहला कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने का श्रेय भी शांता कुमार को जाता है। यह विश्वविद्यालय पालमपुर में है और पालमपुर के विकास में इस विश्वविद्यालय का महत्पूर्ण योगदान है। मैं पालमपुर का निवासी हूं और समझता हूं कि बिना कृषि विश्वविद्यालय के पालमपुर आज कुछ नहीं होता।
एक पुरानी तस्वीर(साभार: PIB)
दूसरी बार के मुख्यमंत्री कार्यकाल में भी उन्होंने कई योजनाएं शुरू कीं जिनमें से कई पूरी हुई और कुछ सरकार बदलने के कारण लटक गई जो आज 23 साल बाद भी पूरी नहीं हो पाईं हैं या यूं कहें कि शुरू भी नहीं हो पाईं। पालमपुर संबंधित योजनाएं जो शांता कुमार सरकार के जाने से अधर मे लटक गईं, उनमें मुख्यतः हैं- पालमपुर में AIIMS के दर्जे का अस्पताल, पालमपुर बस स्टैंड और रोप-वे इत्यादि। शांता कुमार की जिन योजनाओं को सराहा गया था, उनमें से एक थी “वन लगाओ और रोजी कमाओ”। इस योजना से जहां खाली पड़ी जमीन पर पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का काम हुआ, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला। आज हिमाचल में जितने हरे-भरे जंगल दिखाई देते हैं, उसका श्रेय कुछ हद तक उनकी इस योजना को भी जाता है।
प्रदेश कि अर्थव्यस्था के उदारीकरण में भी शांता कुमार का योगदान उल्लेखनीय है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में निजी निवेश का रास्ता शांता कुमार ने ही खोला था। यातायात और बिजली उत्पादन मे निजी निवेश से न सिर्फ सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा हुए और लोगों को अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलीं।
दूसरी बार के मुख्यमंत्री कार्यकाल में शांता कुमार अपनी कुछ नीतियों के कारण देश और विदेश में चर्चा में रहे। जब प्रदेश में विद्युत विभाग के कर्मचारी हड़ताल समाप्त नहीं कर रहे थे तो शांता कुमार ने “नो वर्क नो पे” नियम लागू कर दिया। जिसका मतलब था कि अगर आप काम नहीं करते हो तो आपको वेतन भी नहीं मिलेगा। हिमाचल में इस निर्णय का जितना विरोध हो सकता था हुआ, जबकि केंद्र सरकार और उच्चतम न्यायालय ने इस योजना की सराहना की। कुछ प्रदेशों और विदेशों ने इस योजना को अपने यहां लागू भी किया। मगर हिमाचल में चूंकि लगभग हर घर में एक सरकारी कर्मचारी था तो आने वाले चुनावों में शांता कुमार और सहयोगियों को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। शांता कुमार मुख्यमंत्री होते हुए भी अपनी विधायक की सीट नहीं बचा पाए। लोग विकास भी भूल गए, शांता कुमार की दूरदर्शी नीतियों को भी भूल गए और शायद याद रहा तो “नो वर्क नो पे” और दूसरा शांता कुमार ने मेरा काम नहीं किया।
यह विडंबना ही है कि जिस व्यक्ति की नीतियों को देश और विदेशों में सराहा गया, उसे अपने घर के लोग ही नहीं समझ पाए। शायद शांता कुमार की नीतियां समय से बहुत आगे की थीं। यही नीतियां दस साल बाद आतीं तो शायद लोगों को समझ में आ जातीं।
अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र सरकार में शांता कुमार कैबिनेट स्तर के मंत्री भी रहे और खाद्य आपूर्ति और ग्रामीण विकास जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कार्य देखा। केंद्रीय मंत्री रहते हुए भी शांता कुमार की कुछ योजनाएं जैसे अंतोदय अन्न योजना बहुत ही लोकप्रिय हुई। जहां हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए शांता कुमार ने प्रदेश वासिओं के पीने के पानी की समस्या का समाधान किया वहीं केंद्र में मंत्री रहते हुए सारे देश के गरीबों के लिए पेट भर भोजन का प्रावधान किया। तमाम अच्छे कामों और लोकप्रिय योजनाओं के वावजूद शांता कुमार को वाजपेयी मंत्रिमंडल से अपने आदर्शों के साथ समझौता न करने और अपनी बात जनता में कहने,  चाहे वह किसी को अच्छी लगे या बुरी, के लिए इस्तीफा देना पड़ा।
आजकल जहां लोग आगे बढ़ने के लिए कोई भी समझौता करने को तैयार हैं, शांता कुमार एक प्रेरणा हैं। शांता कुमार चाहते तो कुर्सी में बैठे रहने के लिए अपने आदर्शों के साथ समझौता कर सकते थे पर उन्होंने आगे बढ़ने के बजाय अपने आदर्शों पर बने रहने को बेहतर समझा। आज जब भी शांता कुमार का नाम आता है तो यह जरूर कहा जाता है कि शांता कुमार, जो अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। शांता कुमार आज जब अपने राजनीतिक जीवन पर नजर डालते होंगे तो उनको इस बात का अफ़सोस नहीं होता होगा कि वह कुर्सी पे इतना समय नहीं रहे जितना रह सकते थे। बल्कि उनको संतुष्टि का आभास और आनंद होता होगा कि 60 साल से ज्यादा के राजनीतिक जीवन में उनके ऊपर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा और वह हमेशा अपने आदर्शों पर कायम रहे।
आज जब हर क्षेत्र में मूल्यों का पतन हो रहा है, शांता कुमार का जीवन युवाओं और खासकर राजनेताओं के लिए एक प्रेरणा है।

(लेखक एक मल्टिनैशनल कंपनी में कार्यरत हैं)

बादल फटने से धर्मपुर में तबाही; 5 की मौत, करोड़ों का नुकसान

मंडी।।

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में पड़ने वाले धर्मपुर में बादल फटने से भारी तबाही मची है। अभी तक 5 लोगों की मौत की खबर है, जबकि कई करोंड़ों का नुकसान होने की आशंका है। 5 बसों और 3 कारों के बहने की खबर सामने आई है, मगर बाद में संख्या बढ़ सकती है।

शुक्रवार रात को सोन खड्ड में अचानक बाढ़ आ गई। बादल फटने की वजह से आए पानी ने कुछ ही पलों के अंदर आसपास के इलाके में बने घरों और अन्य इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया। बहुत से लोग अपनी जान बचाकर बच निकले, मगर कुछ लोगों के बारे में अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। आशंका जताई जा रही है कि इन लोगों की मौत हो गई है, मगर प्रशासन ने 5 मौतों की ही पुष्टि की है।

गौरतलब है कि सोन खड्ड किनारे कुछ ही फीट की रोक लगाकर नया बस अड्डा तैयार किया गया है। खड्ड की एक धारा वहां से भी बहा करती थी, जहां पर यह निर्माण हुआ है। शुक्रवार रात को आए सैलाब ने तटबंध को तोड़ दिया और बस अड्डे में खड़ी कई बसों को अपने आगोश में ले लिया। पूरा इलाका, कॉलेज ग्राउंड, कई दुकानें भी पानी में डूब चुकी थीं। काफी घंटों तक खड्ड उफनती रही। जब पानी उतरा तो पीछे तबाही के निशान छोड़ गया। कई बसें बुरी तरह से तबाह हो चुकी हैं और बस अड्डे का फर्निचर और कागजात भी नष्ट हो गए हैं।

अन्य दुकानों औऱ घरों में भी कीचड़ औऱ मलबा भर गया है। कई बसें बह गई हैं तो कई छोटी गाड़ियों का नामो-निशां तक बाकी नहीं रहा है। सही मायनों में इस आपदा से कितना नुकसान हुआ है, इसका पता एक दो दिन में ही चल पाएगा। अभी अफरा-तफरी जैसी स्थिति है और सही स्थिति का पता नहीं चल पा रहा।

देखिए, तबाही की कुछ और तस्वीरें:

पानी उतरा तो ये थे हालात:

(बसों वाली ये तस्वीरें अमर उजाला से साभार ली गई हैं)

इससे पहले ऐसे थे हालात:

प्रदेश के निजी इंजिनियरिंग कॉलेज खाली, कुछ जगह एक ऐडमिशन भी नहीं

शिमला।।


प्रदेश में चल रहे एक दर्जन से अधिक प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में भारी संख्या में सीटें खाली रह गई हैं।
तीन राउंड की काउंसलिंग के बाद बुधवार को खाली सीटें भरने के लिए स्पॉट एडमिशन राउंड भी प्राइवेट कॉलेजों को राहत नहीं दे पाया। इस राउंड में भी महज दो प्राइवेट कॉलेजों को छोड़ शेष कॉलेज दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए।

आधा दर्जन से अधिक प्राइवेट कॉलेजों को तो स्पॉट एडमिशन राउंड में एक भी छात्र कॉलेज में दाखिला के लिए नहीं मिल पाया। प्रदेश भर के युवाओं के इंजीनियरिंग की तरफ घटते रूझान से प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रबंधक टेंशन में हैं।

कॉलेजों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि महज 20 से 25 विद्यार्थियों के लिए इंजीनियरिंग लेक्चरर के वेतन, बिल्डिंग, बिजली, पानी, लैबोरेटरी समेत अन्य खर्च कैसे पूरे हो पाएंगे। इससे भी बड़ी चिंता का विषय हर साल तकनीकी विवि हमीरपुर को दी जाने वाली एफिलेशन, रजिस्ट्रेशन और एग्जामीनेशन फीस की है। कम एडमिशन से प्राइवेट कॉलेजों के भविष्य पर तलवार लटकती नजर आ रही है। सीटें खाली रहने से संचालकों में हडकंप जैसी स्थिति बनी हुई है।
प्रदेश में चल रहे इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिविल इंजीनियरिंग, मेकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग और ऑटोमाबाइल में इंजीनियरिंग होती है।
कॉलेज का नाम – कुल सीटें – भरीं (5 अगस्त तक)
प्रगतिनगर शिमला – 120 – 120 (सरकारी कॉलेज)
ज्यूरी कॉलेज -80 – 80 (सरकारी कॉलेज)
सुंदरनगर कॉलेज -240 – 240 (सरकारी कॉलेज)
बेल्स इंस्टीट्यूट शिमला – 390 – 0
देवभूमि ऊना – 330 – 0
ग्रीन हिल्स सोलन – 510 – 0
एचआईटी शाहपु्र – 510 – 1
 हिमालयन सिरमौर – 540 – 0
एचआईटी सिरमौर – 180 – 0
आईआईटी सिरमौर – 480 – 0
केसी ग्रुप ऊना – 390 – 8
एलआर सोलन – 480 – 20
एमआईटी हमीरपुर – 480 – 0
शिवा कॉलेज बिलासपुर – 400 – 36
सिरडा मंडी – 600 – 4
टीआर अभिलाषी मंडी – 480 – 68
वैष्णो कॉलेज नूरपुर – 390 – 0

धूमल ने CM रहते बेटे अनुराग को 100 करोड़ की जमीन 1 रुपये में दी: कांग्रेस

नई दिल्ली।।
कांग्रेस ने ललित मोदी प्रकरण में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे और उनके बेटे दुष्यंत सिंह के बाद अब हिमाचल प्रदेश में जमीन आवंटन मामले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग ठाकुर को निशाने पर लिया है।


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ‘राजस्थान के मां-बेटे की कहानी के बाद अब हिमाचल के बाप-बेटे की कहानी का समय आ गया है। जयराम रमेश ने कहा कि 2002 से क्रिकेट के नाम पर हिमाचल प्रदेश में प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे अनुराग ठाकुर ने सत्ता का दुरुपयोग किया है। 

कांग्रेसी नेता का कहना था कि उन्होंने सार्वजनिक जमीन पर कब्जा कर लिया है। कपटपूर्वक निर्णय लिए गए हैं। हितों का भारी टकराव देखने को मिला है। उन्होंने आगे कहा, ’16 एकड़ जमीन धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट असोसिएशन को दी जाती है एक क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए। 16 एकड़ जमीन धर्मशाला में जो HP क्रिकेट असोसिएशन को दी गई थी, उससे हिमाचल सरकार को हर साल 94 लाख मिलने थे।’


इसपर अनुराग ठाकुर का कहना था, ‘कांग्रेस झूठ बोलने में पारंगत है। वे बीजेपी नेताओं पर आधारहीन और झूठे आरोप लगाने की कोशिश करते हैं। अगर किसी क्रिकेट संघ को जमीन दी गई तो मुझे व्यक्तिगत तो नहीं दी गई? वह एक संस्था है, उसको दी गई है।’ 


अनुराग ने आगे कहा, ‘हम लोग 28 लाख प्रतिवर्ष उसका किराया लेते हैं, कांग्रेस अपने वरिष्ठ नेताओं को भ्रमित करके प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाती है। HPTDC 100 होटल चलाकर भी 34 लाख घाटे में है, हम लोग जमीन का किराया 28 लाख प्रति वर्ष लेते हैं।’

ऊना में नड्डा का पार्टी को संकेत- शांता हमेशा सम्माननीय

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ऊना।।
प्रदेश बीजेपी के प्रशिक्षण  शिविर  में भाग लेने हेतु  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा  जब  ऊना पहुंचे तो  पार्टी की तरफ से खुद बीजेपी के  बुजुर्ग नेता शांता कुमार के नेर्तित्व  में उनका गर्मजोशी से   स्वागत किया गया  तत्पश्चात  नड्डा व शांता कुमार  इक्ट्ठे भरवाईं में पार्टी के महाप्रशिक्षण शिविर में भाग लेने के लिए रवाना हुए ।

पार्टीं के बदले परिद्वश्य के बीच नड्डा की भूमिका सब नेताओं से कहीं ऊपर नजर आ रही है। आज जिस तरह से शांता कुमार ने नड्डा का गर्मजोशी से स्वागत किया है उससे साफ संकेत मिलते हैं कि अब नई खिचडी़ पार्टी के बीच पककर ही रहेगी। नड्डा के साथ मंडी के सांसद रामस्वरूप व शिमला के सांसद वीरेंद्र कश्यप भी पहुंचे हैं। उधर, धूमल खेमे के नेता  सीधे ही भरवाईं  पहुंचे।

ऊना गेस्ट हाउस में  पार्टी नेतायों एवं कार्यकर्ताओं से खचाखच भरे हाल में जब नड्डा सोफे पर बैठने लगे तो अचानक उन्होंने अपने आसपास नजर दौड़ाई और शांता कुमार जी को बुलाते हुए कहा शांता जी आप कृपया यहाँ बैठे।  इसी के साथ उन्होंने शांतकुमार की एकदम बीच सोफे पर बिठाया।  नड्डा के इस अंदाज से समस्त हिमाचल बीजेपी यह समझ गयी की  लेटर बम के बावजूद यह ना समझा जाए की शांता कुमार पार्टी में अलग थलग हो गए हैं। नड्डा द्वारा शांता कुमार को दिए सम्मान से यह पता भी चल गया की  क्यों केंद्रीय आलाकमान  शांता कुमार के  लेटर वाले मुद्दे पर चुप रहा।  

 
 
 
प्रशिक्षण शिविर में भी नड्डा ने शांता कुमार का पूरा ख्याल रखा और पार्टी को संकेतों में चेता दिया शांता कुमार हमेशा सम्माननीय रहेंगे।  मंच पर पार्टी की एकजुटता  दिखाने के लिए भी सत्ती नड्डा धूमल और शांता कुमार ने  हवा में हाथ थामकर सन्देश देने की कोशिश की।  
 

फिर बिगड़े नीरज भारती के बोल, पीएम मोदी को कहा ‘भौंकने वाला’

कांगड़ा।।

ज्वाली से विधायक एवं हिमाचल प्रदेश के मुख्या संसदीय सचिव शिक्षा नीरज भारती की बेबाक टिप्पिणिया थमने का नाम ही नहीं ले रही हैं। प्रधानमंत्री की निशाना बनाया गया है। प्रधानमंत्री के छप्पन इंच के सीने वाले ब्यान पर तंज कसते हुए भारती ने एक पोस्ट को शेयर किया है।

इमेज रुपी इस पोस्ट में गुरदासपुर अटैक का जिक्र है। यह किसी औऱ की पोस्ट है, जिसे भारती ने रीशेयर किया है। इसमें लिखा गया है, ‘ये भौंकेंद्र मोदी बस भौंकता ही रहेगा या कराची जा कर काटेगा भी ! कुछ तो भौंको अंधभक्त भौंकुओ !”

गौरतलब है की कल रात को डाली गयी इस पोस्ट को लगभग 100 लोगों ने पसंद किया है एवं 16 लोगों ने इस पर टिप्पणियाँ भी की हैं। हिमाचल बीजेपी समय समय पर इस मुद्दे को उठाती रही है। सतपाल सत्ती ने इस मामले में नीरज भारती के खिलाफ मुख्यमंत्री को संज्ञान लेने की मांग भी की। परन्तु अपने ऊना प्रवास के दौरान मुख्यमंत्रीं वीरभद्र सिंह ने कहा था की बीजेपी के लोग भी ऐसे अभद्र पोस्ट शेयर करते हैं तो हमारे भी करेंगे।

धूमल-शांता गुटों में मारामार, नड्डा के लिए रास्ता तैयार !

सुरेश चंबियाल 


यूँ तो शांता कुमार को लेटर बम फोड़े बहुत दिन हो गए हैं परन्तु हिमाचल प्रदेश की राजनीति में असल धमाके होना अब शुरू हुए हैं।  शांता विरोधी  गुट के नेता पहले तो चुप रहे परन्तु अब धीरे धीरे तीरों का रुख शांता की तरफ मोड़ दिया है।  हालाँकि शांता कुमार के पत्र विवाद के बाद केंद्रीय  बीजेपी   संग़ठन ने राजीव प्रताप रूडी के माध्यम से अपना वक्तत्व जारी किया एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रीं शिवराज सिंह चौहान ने  शांता कुमार को जो पत्र लिखा उसे बीजेपी ने अपनी वेबसाइट पर डाल कर इस विवाद से किनारा कर लिया। गौरतलब है की मामला और सुर्ख़ियों में न आये और मीडिया को मसाला न मिले इस चक्र में बीजेपी के बड़े नेता इस पत्र के सवालों से बचते रहे। 
परन्तु हिमाचल प्रदेश में हालत अलग है।  यहाँ मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह  के ऊपर लगे आरोपों पर शांता कुमार की चुप्पी को निशाना बनाकर धूमल गुट ने अभियान छेड़ दिया है।  पहले अनुराग ठाकुर ने शांता कुमार को नसीहत देते हुए ऊना में तंज़ कसा वहीँ धूमल  के ख़ास सिपहलसार कभी शांता के कट्टर समर्थक रहे देहरा के विधायक रविंदर सिंह रवि ने इस मुद्दे पर प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा की शांता कुमार को वीरभद्र सिंह का भरस्टाचार नजर नहीं आता जबकि उन्हें अपनी पार्टी की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।  रवि यहीं नहीं रुके उन्होंने शांता कुमार  को दो टूक यह भी कह दिया की  किस आधार पर वो पंजाब में जीत का श्रेय ले रहे हैं , वहीं तो पार्टी जी सीटें कम हुयी थीं  ? गौरतलब है  केंद्रीय मंत्रीं  जगत  प्रकाश नड्डा  उस समय पंजाब में  सहप्रभारी थे।  रवि ने हिमाचल में भाजपा की हार के लिए भी शांता कुमार को ही जिम्मेवार ठहराया।  रविंदर रवि की इन टिपण्णियों का शांता कुमार क्या जबाब देते हैं यह तो आने वाला वक़्त बताएगा परन्तु यह बात तो अब तय हो गयी है अगले चुनाव में फिर  बीजेपी में आपस में ही तलवारे खींचने वाली हैं। 
लोग तो इसे शांता- धूमल गुटों की चिर खींचतान मान  रहे हैं परन्तु राजनैतिक पंडित इसमें अलग ही समीकरण देख रहे हैं।  राजनैतिक पंडितों का मानना है इस खींचतान से सब से अधिक फायदा केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा को हो रहा है।  प्रदेश में आने को आतुर नड्डा इस सारे मामले को बस बाहर से देख रहे हैं।  उनके ख़ास सिफालसार और प्रदेश मीडिआ  प्रभारी श्रीकांत शर्मा भी चुप्पी साधे हुए हैं और पार्टी को अनुशाशन का घोल नहीं पीला रहे हैं।

माना जा रहा है की धूमल- शांता गुटों में सदियों से  उलझती प्रदेश भाजपा को बाहर  निकालने और इस गुट बाज़ी को हमेशा के लिए खतम करने के लिए  प्रधानमंत्री मोदी एवं पार्टी अध्य्क्ष  अमित शाह नड्डा के हाथ में हिमाचल प्रदेश  की कमान सौंप सकते हैं।  जिस तरह से शांता कुमार अनुराग ठाकुर को दरकिनार करते हुए मोदी ने नड्डा की  केंद्रीय मंत्रिमंडल में एंट्री  और बीजेपी की टॉप संस्थाओं केंद्रीय चुनाव सीमिति एवं पार्लियामेंट्री बोर्ड में नड्डा को लिया है उस से यह साफ़ हो गया है की नड्डा को जल्द ही यह इशारा भी कर दिया जाएगा की हिमाचल प्रदेश का रुख करें।  अंदरखाते पार्टी कार्यकर्ता  भी दुखी हैं बड़े नेताओं की इस तरह की आपसी रार में उनका भी नुक्सान हो रहा है।  शिमला से भाजपा के एक दिग्गज नेता ने बातों बातों में कह भी दिया की अब पार्टी को आगे का सोचना चाहिए और नया बाँदा आना चाहिए।  खैर बीजेपी क्या करती है यह उसका मुद्दा है परन्तु  इसमें कोई दो राय  नहीं की सड़क तक पहुँच गयी भाजपा -गुटों की इस आपसी  रार में नड्डा के आने के आसार सब से प्रबल हैं और भविष्ये में यह मारामारी और बढ़ती है तो नड्डा को ही फायदा होने वाला है अगर वो मुख्यमंत्री बनाना चाहते हों तो हालाँकि इसी रार का नतीजा भाजपा पहले भी भुगत चुकी है और सत्ता से बआहार हुयी है।  

शिमला के होटलों में जिस्मफरोशी का नंगा नाच, 8 युवतियां अरेस्ट

शिमला।।

सोलन-शिमला मार्ग पर शोघी इलाके के एक होटल में सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है।  अमर उजाला में छपी खबर के अनुसार यहां बार बालाओं से पहले डांस और फिर जिस्मफरोशी का धंधा करवाया जा रहा था। पुलिस ने दबिश देकर यहां से आठ बार बालाओं और सत्रह लोगों को गिरफ्तार किया है। सभी बार बालाएं लुधियाना की रहने वाली बताई जा रही हैं। पकड़े गए पुरुष राजस्थान के हैं। दलाल भी पुलिस गिरफ्त से नहीं बच पाया। पुलिस ने मौके पर से शराब की बोतलें और कंडोम बरामद किए हैं। पुलिस ने करीब एक लाख रुपये भी रिकवर किए हैं। होटल संचालक और आरोपियों के खिलाफ थाना बालूगंज में मुकदमा दर्ज किया गया है।

रविवार को पुलिस को सूचना मिली कि शोघी के नजदीक एक निजी होटल में डांस की आड़ में जिस्मफरोशी का धंधा चल रहा है। वीकेंड पर यहां पार्टी चल रही है। सूचना मिलने के बाद एएसपी सिटी की अगुवाई में एक टीम ने होटल में दबिश दी। शराब की खाली बोतलें चारों ओर बिखरी हुई थीं, सब मदहोश थे। डांस का मजा ले रहे व्यक्तियों ने कहा कि वह राजस्थान से घूमने आए हैं। एक दलाल के मार्फत इस होटल में पहुंचे। इनमें अधेड़ उम्र के लोग भी शामिल हैं। एसपी शिमला डीडब्ल्यू नेगी ने बताया कि सेक्स रैकेट का धंधा चल रहा था। एएसपी सिटी भजन देव नेगी ने बताया कि पकड़े लोगों से पूछताछ की जा रही है। कई बड़े खुलासे होंगे।


बार बाला ने पुलिस पूछताछ में बताया कि उन्हें डांस करवाने के लिए ही एक दलाल यहां लेकर आया है। डांस के दौरान अगर कोई कस्टमर उन्हें रूम में ले जाना चाहे तो उसके अलग से पैसे लिए जाते हैं।
 
 


चित्र  सांकेतिक है 
 
 
इनमें से कई बार बालाओं ने पुलिस को बताया कि उनका पति मर चुका है, तो कोई कह रही हैं कि उनके पति ने उन्हें छोड़ दिया है। पेट पालने की खातिर वह इस धंधे में उतर आईं। दलाल के माध्यम से ही वह लुधियाना से दूर जाकर होटल में बार बालाओं का काम करती हैं।

पंजाब के रहने वाले इस दलाल की जड़ें काफी मजबूत मानी जा रही हैं। पुलिस को अंदेशा है कि यह शिमला, आसपास के कई होटलों में इस तरह की पार्टियों को करवाता रहा होगा। पुलिस ने मौके पर से कुछ बैग भी बरामद किए हैं। 
इन बैगों में क्या है इसका पता छानबीन के बाद ही चल पाएगा। मौके से रुपये भी मिले हैं।

हेल्थ सर्विसेज की खस्ता हालत पर CM के IT सलाहकार ने सरकारों को लताड़ा

शिमला।।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के आईटी अडवाइजर गोकुल बुटेल ने प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर निशाना साधा है। उन्होंने इशारों में कहा है कि अब तक रही सरकारें प्रदेश में एक भी ऐसा अस्पताल नहीं बनवा पाईं, जहां पर जटिल ऑपरेशन किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसी वजह से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तक को चंडीगढ़ के निजी अस्पताल में सर्जरी करवानी पड़ी।
बुटेल ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है, ‘हाल ही में हमारे राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का चंडीगढ़ के एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन हुआ। मैं उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। हमारे स्वास्थ्य मंत्री को ऑपरेशन के लिए चंडीगढ़ जाने पड़े तो मैं सोचता हूं कि हिमाचल में अच्छे अस्पतालों की बहुत जरूरत है, भले ही वे प्राइवेट हों या सरकारी।’

गोकुल ने आगे लिखा है, ‘हम स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में देश में अग्रणी होने के दावे करते हैं, मगर प्रदेश में एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है, जो जटिल सर्जरी कर सकता हो।’

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में अब तक कांग्रेस और बीजेपी सरकारें बारी-बारी आती रही हैं और कांग्रेस अन्य दलों के मुकाबले ज्यादा सत्ता में रही हैं। इसीलिए गोकुल का यह बयान काफी अहमियत रखता है। इस तरह से गोकुल ने एक तरह से बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस की सरकारों पर भी निशाना साधा है, जिनके मुखिया उनके बॉस वीरभद्र सिंह रह चुके हैं और अभी भी हैं।
आगे गोकुल ने लिखा है, ‘मेरा मानना है कि एक के बाद एक आने वाली सरकारों और प्रदेश के लोगों को इस बारे में बीड़ा उठाना होगा। मैंने लोगों का जिक्र  इसलिए किया, क्योंकि उन्हें अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए अपनी  प्राथमिकताएं तय करनी होंगी। उन्हें तबादलों और अपना फायदा उठाने में ही व्यस्त नहीं रखना चाहिए।’
मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार का इस तरह से प्रदेश की सरकारों (वीरभद्र की सरकारों समेत) पर सवाल उठाना युवाओं को काफी पसंद आ रहा है। अपनी ही सरकार पर गोकुल की इस पोस्ट की युवा काफी तारीफ कर रहे हैं। वे इस बात से प्रभावित हैं कि गोकुल को बुटेल परिवार की वीरभद्र सिंह से करीबी के चलते यह पद मिला है, मगर वह इस बात की परवाह किए बगैर इस तरह बेबाकी से लिख रहे हैं।