हाई कोर्ट के आदेश पर महंगा हुआ JNNURM वाली बसों का किराया
गरीब परिवारों के कब्जे नियमित करेगी वीरभद्र सरकार
दोस्त के लिए 3 दिन का सफर डेढ़ दिन में नाप डाला पर कुदरत को कुछ और ही था मंजूर
हिमाचल प्रदेश के युवा पर्वतरोही अरुण शर्मा का शव उसके जन्मदिन के एक दिन बाद घर पहुंचेगा। नोएडा में डेल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर अरुण शर्मा का शव शनिवार सुबह उसके पैतृक गांव देहरा उपमंडल के मानगढ़ लाया जाएगा। हिमाचल सरकार ने शुक्रवार को भी अरुण का शव चौपर से लाने की कोशिश की, लेकिन मौसम बाधा बन गया। अरुण शर्मा का जन्म 21 अगस्त 1983 को हुआ था। और, उसका शव उसके घर 22 अगस्त 2015 को पहुंचेगा। एक मां के लिए यह बड़ा दुखदायक होगा।
Letter to Prime Minister: Corporate jobs should be transferred to rural areas
Letter to Prime Minister for transferring some corporate jobs to rural areas
Vijay Inder Chauhan.
(vijayinderchauhan@gmail.com)
1989 के बाद के ग्रैजुएट सुधार सकते हैं अपनी डिविजन: यूनिवर्सिटी दे रही है चांस
रोहतांग में CNG वाली गाड़ियां चलाने से हो सकती है कैंसर की संभावना: धूमल
भारतीयों को ही आने नहीं दे रहा कसोल का एक इजरायली कैफे
- ए. आर. प्रसन्न
जहां विदेशियों ने माहौल बनाया हो, वहां पर भारतीय टूरिस्ट भी खिंचे चले आते हैं। मगर क्या हो, जब भारत की ही जमीन पर बने रेस्तरां में भारतीयों की एंट्री बैन हो? जी हां, जिस कसोल में आपको हिब्रू में साइन बोर्ड तक लगे दिखते हैं, वहां पर एक ऐसा रेस्तरां हैं, जिसमें भारतीयों के प्रवेश पर बैन लगा हुआ है।
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| इस कैफे में नहीं आ सकते भारतीय |
चिंकी सिन्हा लिखती हैं, ‘इजरायलियों ने भारत में फ्री कसोल नाम से कैफे बनाया है, जिसमें भारतीयों की एंट्री बैन है। उन्होंने एक गोरे दोस्त को तो जाने दिया, मगर भारतीय को रोक दिया।’
So, some Israelis have set up a cafe called Free Kasaul in Kasaul, and deny Indians admission. Our friend was denied…
Posted by Chinki Sinha on Sunday, August 16, 2015
चिंकी ने आगे लिखा है, ‘इजरायल जाने पर वे लोग पूरे कपड़े उतारकर तलाशी लेते हैं और वहां बंद बस्तियां बनाई हैं। वे यहां निर्वाण के नाम पर मस्ती करने आते हैं और मानते हैं कि वे ही यहां हे सर्वेसर्वा हैं। ‘
This restaurant in Kasol is called ‘Free Kasol’. The freak asshole who runs it refuses to serve Indians. I walked in…
Posted by Stefan Kaye on Monday, August 17, 2015
हिमाचल प्रदेश सरकार को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और इस कैफे समेत कसोल में चल रहे खेल पर लगाम लगानी चाहिए।
(लेखक ‘इन हिमाचल’ के स्तंभकार हैं)
नाहन शहर के बीचोबीच चल रहा था बम, कारतूस बनाने का कारखाना
नाहन शहर के बीचोबीच एक चार मंजिला मकान में गोला-बारूद और विस्फोटकों का भंडार पकड़ा गया है। अखबार ‘हिमाचल दस्तक’ में छपी खबर के अनुसार पुलिस ने शमशेरजंग मोहल्ला निवासी इमरान शेख पुत्र इमतयाज शेख उर्फ भाईजान के घर से विस्फोटक सामग्री बनाने में उपयोग होने वाले केमिकल्स के अलावा 3000 कारतूस, 220 किलो छर्रे, सैकडों किलो बारूद, डिटोनेटर, कई कट्टे, फ्यूज वायर, चार बंदूकें और भारी मात्रा में बंदूकें बनाने का सामान बरामद किया है।
इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद होने से नाहन शहर में सनसनी फैल गई है। फरेंसिक और सेना के विस्फोटक विशेषज्ञों ने विभिन्न कैमिकलस व विस्फोटक सामग्री की जांच के बाद कुछ सैंपल भर जांच शुरू कर दी है। विस्फोटक सामग्री की मात्रा देख कर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों से शहर में बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
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| सांकेतिक तस्वीर |
यह विस्फोटक व गोला बारूद नाहन में सदर थाना व एसपी ऑफिस से महज 50 मीटर दूरी पकड़ा जाना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है। शहर के बीचोबीच इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक की मौजूदगी सुरक्षा और खुफिया विभागों की नाकामी उजागर करता है। बहरहाल पुलिस ने इस मकान के मालिक इमरान शेख व उसके दो भाई शरिक शेख व वाशिर शेख को गिरफ्तार कर लिया है। इनके अलावा कुछ और लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए नाहन छावनी क्षेत्र से फस्ट पेरा के विस्फोटक विषेषज्ञ और शिमला से फोरेंसिक विशेषज्ञों के दल ने विस्फोटकों की जांच कर कुछ कैमिल के सैंपल जांच के लिए भेज दिए हैं। एसपी सौम्या सांबशिवन ने बताया कि शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि घर की तलाशी के दौरान 220 किग्रा छर्रे सिक्का, छर्रे बनाने के सांचे, 3000 कारतूस, 4 टोपीदार बंदूकें, बंदूक बनाने की अन्य सामग्री ब्रामद की गई। उन्होंने बताया कि विस्फोटक सामग्री, गन पाउडर, सल्फर, कार्बन व अन्य सामान, कलपुर्जे जिनकी पहचान नहीं हो सकी है, भी बरामद किए गए हैं।
परिवहन मंत्री के फैसले मातृशक्ति के लिए ऐतिहासिक पहल
- सुरेश चंबियाल
उद्द्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने ऊना जिला के पंडोगा में 122 करोड़ के इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की घोषणा की तो शिमला में वीरभद्र सिंह ने कर्मचारियों एवं पेंशनर्स होल्डर्स के लिए 6 % डी ए की की घोषणा के साथ ट्राइबल इलाकों के लिए 8 नयी एम्बुलेंस देने के साथ लोकनिर्माण विभाग के 6 -7 दिहाड़ीदारों को पक्का किया। बाकि मंत्री अपने विभाग की तरफ से कुछ ख़ास उपलब्धि आगे नहीं ला पाये।
इन सब से अलग परिवहन मंत्री मंडी में ऐसे गरजे की कार्यक्रम के बाद लोगों की जुबान पर बाली की ही चर्चा थी। मीडिआ ने भी उन्हें ख़ास तवज्जो दी। बाली ने हिमाचल प्रदेश में ऐतिहासिक पहल करते हुए इस बार का अपना सारा कार्यक्रम एवं योजनाये महिला शक्ति के नाम सपर्पित कर दी।
प्रदेश की आधी आबादी ,3,382,729 (2011 जनगणना) महिलाओं को परिवहन मंत्री ने आने वाले सोमवार यानि 17 अगस्त से प्रदेश के अंदर सरकारी बसों के किराए में 25 % छूट की ऐतिहासिक घोषणा मंडी के सेरी मैदान से करते हुए आधी आबादी का दिल जीत लिया। बाली यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने मौजदा समय के सबसे ज्वलंत मुद्दे महिला सुरक्षा पर भी संज्ञान लेते हुए ,महिलाओं के ही एक ऐसे स्पेशल दस्ते की घोषणा कर दी जो महिलाओं से यात्रा के दौरान कोई बदतमीजी न कर सके इस बात का ख्याल रखेगा साथ ही साथ बस स्टॉप या खाना खाने के लिए जो भी होटल आदि हैं वहां महिलाओं के लिए पर्याप्त स्वच्छ टॉयलेट फैसिलिटी से सबंधित चेकिंग आदि भी देखेगा।
आखिर क्यों हम युवाओं के कंधों पर टिका है स्वच्छ भारत का सपना ?
- प्रज्ज्वल बस्टा।।
दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से जाने जाता हमारा देश भारत आज स्वतंत्रता के 67 साल बाद एक नई करवट ले रहा है। जब पिछले साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वछ भारत की कल्पना का दर्शन दिया तो वास्तव में पूरा देश एक नए प्रण के लिए उमड़ पड़ा। सच में 2 अक्टूबर 2014 का दिन भारत के लिए महत्वपूर्ण था। महात्मा गांधी की जयंती, उनका स्वप्न और युवा पीढ़ी का उत्साह; सब कुछ अछा होता दिख रहा था, जब प्रधानमंत्री जी ने 9 स्वच्छता प्रहरी नियुक्त किए और वो भी युवा। मुझे वास्तव में विश्वास हो गया कि यह स्वछता अभियान अब जनांदोलन बन जाएगा, क्योंकि प्रधानमंत्री जी ने इसे सफल बनाने के लिए युवा पीढ़ी को चुना है।
‘नहीं रुकती रवानी है, नहीं झुकती जवानी है’ –
शायद इसी बात को देख कर यह अभियान युवा पीढ़ी ने अपने हाथों में लिया है। हम गंदगी के कारण बढ़ते रोगों को अब देख नहीं सकते , हम कूड़े के ढेर पर लिपटे अपने शहर को लज्जित होते कब तक देखेंगे , कब तक सांप सपेरों के देश की बात हम विदेशों से सुनते रहेंगे?











