गुलेरी जी के पुराने संदूकों में धूल फांक रही हैं ढेरों कहानियां

  • विवेक अविनाशी।।

आज 12 सितम्बर को हिंदी की कालजयी रचना “उसने कहा था “ के रचयिता स्वर्गीय पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की पुण्यतिथि है। उनका पैतृक गांव गुलेर (हिमाचल प्रदेश ) था। गुलेरी जी के पिता ज्योतिषाचार्य शिवराम जयपुर राजदरबार में थे, जहां चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का 1883 को जन्म हुआ था।

गुलेरी जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान मुझे उनके पौत्र डॉ. विद्याधर गुलेरी के सौजन्य से उनके पैतृक निवास “चंद्र-भवन” में गुलेरी जी की हस्तलिखित पांडुलिपियां, रोजमर्रा का सामान  और पुराने फोटो देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। अवकाश के क्षण गुलेरी जी अपने पैतृक गांव में गुजारते थे। यहां पड़े कई पुराने ट्रंकों में ढेरों कहानियों की पांडुलिपियां धूल फांक रही थीं।  ये कहानियां राजघराने के राजकुमारों या शायद नवोदित लेखकों द्वारा गुलेरी जी के पास सुधार, सम्पादन अथवा प्रकाशन हेतु प्रेषित की गईं थीं। हो सकता है इनमें से कुछ कहानियां गुलेरी जी की लिखी भी हों

चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी

गुलेरी जी विभिन्न  भाषाओं के विद्वान थे। उनकी विद्वता की स्पष्ट झलक उनके डायरी लेखन में नज़र आती है। गुलेरी जी लाल स्याही से होल्डर इस्तेमाल करके डायरी लिखते थे। जो कुछ दिन भर में होता, उसे ईमानदारी से डायरी में उतार लेते थे। स्वप्न-विश्लेषक तो वह कमाल के थे। अपनी डायरी में बहुत से ऐसे स्वप्नों का विश्लेष्ण उन्होंने विस्तार से किया था। सहयोगी साहित्यकारों  की मदद करने में भी गुलेरी जी सदैव आगे रहते थे।

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‘उसने कहा था….’ शीर्षक वाली कहानी हिंदी साहित्य की ऐसे अनमोल कृति है, जिसे बार-बार पढ़ने का मन करता है। यह जमादार  लहना सिंह की कहानी है, जो अपने बचपन के प्यार को मरते दम तक भुला नहीं पाता। ‘उसने कहा था’ की हस्त लिखित पांडुलिपि  भी मुझे वहां देखने को मिली थी। इसपर 1960 में इसी नाम से फिल्म भी आई थी, जिसमें सुनील दत्त मुख्य भूमिका में थे। मूवी देखने के लिए नीचे दी तस्वीर पर क्लिक करें

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गुलेरी जी का देहावसान 39 वर्ष की आयु में 12 सितंबर, 1922 को हुआ था। हिमाचल सरकार को चाहिए कि गुलेरी जी से सम्बंधित सभी सामग्री को एकत्रित कर उनके पैतृक गांव में एक म्यूजियम बनाने की पहल करे ताकि  भावी पीढ़ी इस महान  साहित्यकार के व्यक्तित्व और कृतित्व से अच्छी तरह से अवगत हो सके।

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(लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और जनहित के मुद्दों पर लंबे समय से लिख रहे हैं। इन दिनों ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे vivekavinashi15@gmail.com के जरिए संपर्क किया जा सकता है)

हिमाचल में हैं 10 हजार से ज्यादा महिला सेक्स वर्कर्स

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शिमला।।

शायद आप यकीन न करें कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश में महिला सेक्स वर्कर्स की संख्या 10 हजार से भी ज्यादा है। ये वे आंकड़े हैं, जो सरकार के पास हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि असल तादाद कहीं ज्यादा हो सकती है।

प्रदेश में हेल्थ सर्विसेज़ के डायरेक्ट डीएस गुरंग ने बताया कि प्रदेश में 10 हजार सेक्स वर्क्स हैं, जिनमें से 7 हजार महिलाएं इस काम को छोड़ना चाहती हैं। उन्होंने बताया कि ये महिलाएं एड्स कंट्रोल सोसाइटी से जुड़े एनजीओज़ के संपर्क में हैं।

सांकेतिक तस्वीर

गुरंग ने बताया, ‘अब तक 50 महिला सेक्स वर्क्स एचआईवी पॉजिटिव पाई गई हैं और उनका इलाज प्रदेश के विभिन्न केंद्रों में किया जा रहा है।’ उन्होंने बताया कि अभी 550 महिलाओं को अन्य कामों की ट्रेनिंग दी गई है ताकि वे जीवनयापन कर सकें।

डीएस गुरंग ने कहा, ‘भले ही प्रदेश में एचआईवी प्रभावित लोगों की संख्या 8,091 है, जो कम लगती है। मगर पर्यटन वाला राज्य होने की वजह से यहां ऐसे मामले बढ़ने का खतरा ज्यादा है।’

भानुपल्ली- बिलासपुर रेलवे लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण शुरू

इन हिमाचल डेस्क।।
 
वर्षों से लटके भानुपल्ली – बिलासपुर रेलवे ट्रैक का कार्य एक बार फिर गति पकड़ने जा रहा है।  फिलहाल भूमि अधिगृहण के लिए केंद्र ने राज्य सरकार को धनराशि जारी कर दी है। इस प्रोजेक्ट के कुल बजट  2964 में  से  9 करोड़ की इस राशि से नयनादेवी हलके के ग्रामीणों को मुआवजा दिया जाएगा ।  इसके लिए बाकायदा बिलासपुर एवं केंद्रीय एडमिन की मीटिंग भी हो चुकी है।   नयनादेवी तहसील के 11 गावों की 104 हेक्टेयर भूमि रेलवे द्वारा अधिगृहीत की जाएगी जिसमे से 47 हेक्टेयर निजी एवं 57 हेक्टेयर सरकारी भूमि है।   लोगों के घर भी अधिग्रहण की जद में आ सकते हैं।
पंजाब के भानुपल्ली से लेकर बिलासपुर के बैरी हरनोड़ा  तक लगभग 64 किलोमीटर के इस रेलवे ट्रैक का निर्माण रेलवे विकास निगम द्वारा किया जाएगा।
प्रथम चरण में 20 किलोमीटर तक का निर्माण भानुपल्ली से नयनादेवी तहसील के धरोटा गावं तक किया जाएगा।  इस लाइन की कुल लम्बाई में से 10 किलोमीटर क्षेत्र पंजाब में आता है।  गौरतलब है की सामरिक नजरिये से भी यह ट्रैक महत्वपूर्ण है जिसे लेह तक बढ़ाया जा सकता है।  साथ  ही साथ व्यवसयिक नजरिये से देखा जाए तो  प्रदेश की तीनों सीमेंट फैक्ट्रियों को भी माल ढुलाई में आसानी रहेगी।  इन हिमाचल ने  प्रदेश से राज्यसभा  सांसद एवं विधानसभा में बिलासपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके  केंद्रीय स्वास्थ्या मंत्री जे पी नड्डा से इस बारे में अधिक जानने के लिए बात करनी चाही पर वो उपलब्ध नहीं हो पाये।
बिलासपुर भनुपल्ली रेलवे ट्रैक में सुरंग निर्माण भी तय है यह ट्रैक सतलुज नदी पर बनी गोविन्द सागर झील के साथ साथ होता हुआ बिलासपुर और बैरी  तक आएगा।
 
कुछ इस तरह का हो सकता है नजारा  ( चित्र सांकेतिक है )

सांसद निधि आबंटित करने में रामस्वरूप अव्वल : विप्लव , वीरेंदर और अनुराग फिसड्डी !

इन हिमाचल डेस्क 
भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार अगर विकास कार्यों के लिए सांसद निधि के धन के उपयोग की अभी तक बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के सांसदों का ओवरआल रिकॉर्ड ठीक नहीं है। सिर्फ मंडी लोकसभा के सांसद रामस्वरूप शर्मा अभी तक मिली अपनी निधि को  पूरी तरह विकास कार्यों के लिए आबंटित कर पाये हैं।
भारत सरकार ने यह सारी  जानकारी वेब साइट पर पब्लिक डोमेन में डाली है। मगर इसमें इस बात का ज़िक्र नहीं है कि ये आंकड़े किस अवधि के हैं।  लोकसभा के सांसदों की बात की जाए तो  हिमाचल से चार लोकसभा सांसद हैं।  जिन्हे पिछले वर्ष केंद्र से विकास कार्यों के लिए 10 करोड़ की ग्रांट मिलना तय थी अभी तक अनुराग ठाकुर शांता कुमार एवं वीरेंदर कश्यप को जहाँ   7. 5 करोड रुपये रिलीज़ किये गए वहीँ  मंडी के सांसद रामस्वरूप शर्मा को 5 करोड रुपये विकास कार्यों के लिए दिए गए।  केंद्र सब सांसदों को एक साथ धन आबंटित नहीं करता बल्कि निश्चित किश्त के आधार पर करता है इसलिए मंडी लोकसभा के सांसद को एक किश्त अभी कम मिल पायी है।
एक साल में  अपने -अपने लोकसभा  क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए आबंटित की गयी राशि की   बात की जाए तो।  वीरेंदर कश्यप सबसे पीछे पाये गए हैं।   7. 5 करोड रुपया जो  उन्हें मिला उसमे से वो मात्र  2. 61  करोड़ ही खर्च कर पाये उनके खाते में अभी भी 4. 93 करोड़ रूपए बचे हैं।  परसेंटेज आधार पर देखे तो   वीरेंदर कश्यप अभी तक अपनी निधि का  लगभग  35 % ही खर्च कर पाये हैं।  वहीँ हमीरपुर के सांसद  अनुराग ठाकुर  लगभग 40 %, शांता कुमार  52 % खर्च कर पाये हैं।
लोकसभा सांसदों की  निधि का ब्यौरा
विकास कार्यों के लिए धन आबंटन की बात की जाए तो मंडी के सांसद  रामस्वरूप  शर्मा लोकसभा सांसदों में अव्वल पाये गए हैं  रामस्वरूप शर्मा को हालंकि बाकियों से 2.5 करोड की क़िस्त काम मिली है परन्तु इन्होने अपने हिस्से के 5 करोड लगभग पुरे विकास कार्यों के लिए आबंटित कर दिए हैं।  रामस्वरूप के खाते में सिर्फ 5 लाख रूपए बचे हैं।
 राज्य सभा सांसदों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश से विमला कश्यप , जे पी नड्डा और विप्लव ठाकुर तीन सांसद हैं।  जगत प्रकाश नड्डा और विमला कश्यप ने अपनी निधि में  से क्रमश 90 और 85 %  राशि विकास कार्यों के लिए आबंटित कर दी है वहीँ विप्लव ठाकुर 40 % के साथ सबसे पीछे हैं।  उल्लेखनीय है की इस जानकारी के साथ यह भी साफ़ साफ़ लिखा गया है की  सांसद सिर्फ विकास कार्यों के लिए धन आबंटन कर सकता है बाकी उसे जमीन स्तर पर खर्च करने का कार्य जिला अधिकारीयों का है।
लोकसभा सांसदों की  निधि का ब्यौरा
कोई भी व्यक्ति  इस जानकारी को  नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके प्राप्त कर सकता  हैं।
 
 
 
 

हिमाचल सरकार ने आर्मी माउंटेन डिवीज़न के लिए नहीं दी जमीन : उत्तराखंड को मिला प्रोजेक्ट

हिमाचल सरकार ने आर्मी  माउंटेन डिवीज़न के लिए नहीं दी जमीन : उत्तराखंड को मिला  प्रोजेक्ट 

शिमला 
 
हिमाचल प्रदेश को सेना व वायु सेना के लिए गठित की जाने वाली माउंटेन डिवीजन के लिए जमीन ही नहीं मिल पाई और उत्तराखंड ने इस बड़े प्रोजक्ट को हाथोंहाथ झटक लिया है। दैनिक समाचार पत्र दिव्या हिमाचल में छपी खबर के अनुसार  के मुताबिक वर्ष 2013 में रक्षा मंत्रालय की तरफ से हिमाचल, उत्तराखंड व पश्चिम बंगाल को प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें माउंटेन डिवीजन स्थापित करने के लिए उपयुक्त जमीन चाहिए थी। प्रदेश सरकार ने उस दौरान सोलन व कांगड़ा के उपायुक्तों को उपयुक्त जमीन तलाशने के लिए लिखित निर्देश दिए थे। सूत्रों का दावा है कि इन जिलों से समय पर कोई जवाब ही नहीं आया, लिहाजा हजारों करोड़ के पूंजी निवेश पर आधारित व सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माउंटेन डिवीजन से हिमाचल महरूम रह गया।
इससे पहले भी कांगड़ा व ऊना में सेना के कुछ बड़े प्रोजेक्ट जमीन के अभाव में लटकते रहे हैं। जानकारों के मुताबिक चीन व पाकिस्तान की तरफ से लगातार बढ़ती चुनौतियों के दृष्टिगत रक्षा मंत्रालय ने चीन बार्डर के नजदीकी राज्यों में यह डिवीजन स्थापित करनी थी, जिसके लिए अब उत्तराखंड का चयन हुआ है। हालांकि रक्षा मंत्रालय व सेना की ही डिमांड पर प्रदेश के सीमांत इलाकों में सड़कों का नेटवर्क मजबूत किया जा रहा है। सेना की ही मांग के अनुरूप उपयुक्त स्थलों पर हेलिपैड भी स्थापित किए जा रहे हैं, लेकिन जानकार मानते हैं कि यदि माउंटेन डिवीजन प्रदेश में स्थापित हो जाती तो हिमाचल के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती थी

लेख: संस्कृत क्यों अनिवार्य करवाना चाह रहे हैं आचार्य देवव्रत?

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आई.एस. ठाकुर।।

जिस दिन आचार्य देवव्रत को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था, उस दिन मैंने उनके बारे में थोड़ा रीसर्च किया था। मैंने पाया कि वह एकदम संघ की विचारधारा पर चलने वाले शख्स हैं। मुझे संघ या संघ से जुड़े लोगों से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है और उल्टा कई बातों को लेकर मैं उनसे सहमत भी हूं। कई साल शाखाओं में भी जाता रहा हूं। मगर मुझे तब संघ से दिक्कत होने लगती है, जब यह लोगों की जिंदगियों में घुसपैठ करके अपने हिसाब से चीज़ें चलाना चाहता है।

आचार्य देवव्रत हिमाचल प्रदेश आए और राज्यपाल बने। आते ही उन्होंने राजभवन में चल रहा मयखाना यानी बार बंद करवा दिया। उन्होंने कहा कि सुबह-शाम परिसर में हवन होगा, एक गाय पाली जाएगी और वह भी देसी। अच्छी बात है, उनकी जो इच्छा, वह करें। अगर बाकी राज्यपाल सरकारी पैसे से बार चालू रख सकते हैं तो उसी पैसे से वह हवन कराएं या पकौड़े खिलाएं, उनकी इच्छा। मगर मेरा माथा उस वक्त ठनका था, जब उन्होंने कहा था कि हिमाचल प्रदेश में संस्कृत को अनिवार्य करना और नशाबंदी करना उनका लक्ष्य है, ताकि यह सही मायनों में देवभूमि बन सके।

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कल उन्होंने दोबारा कहा कि हिमाचल प्रदेश में +2 तक संस्कृत अनिवार्य होनी चाहिए। हमारे कुछ हिंदू भाई, जो खुद को भारतीय सस्कृति का झंडाबरदार मानते हैं, बहुत खुश होते होंगे। वे फूले नहीं समाते कि वाह, यह राज्यपाल तो भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। मगर इन्हीं लोगों में मैं सवाल पूछना चाहता हूं कि आपने संस्कृत पढ़ी है? जिन्होंने पढ़ी है, उनके कितने नंबर आते थे? और अगर अच्छे नंबर आते थे तो आज उस संस्कृत से उन्हें क्या फायदा हो रहा है?

आचार्य देवव्रत

जाहिर है कुछ लोग पुरोहित बन गए होंगे, कुछ शास्त्री और कुछ प्रफेसर आदि भी। मगर बाकी लोगों का क्या? ‘पठ धातु’ और ‘मातृ-पितृ’ शब्द याद करने में जिन्हें पसीना आता था, अध्यापकों के डंडों से जिनके नितंब लाल हो जाया करते थे, क्या वे भी ईमानदारी से चाहते हैं कि संस्कृत प्लस टू तक पढ़ाई जानी चाहिए?

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संस्कृत का बुनियादी ज्ञान हो, अच्छा है। हमने भी 10वीं कक्षा तक संस्कृत पढ़ी है और हमेशा 90 से ज्यादा अंक हासिल किए। छात्रवृत्ति पाई है संस्कृत के लिए मैंने। मगर मेरा मानना है कि संस्कृत पर फालतू का जोर देने के बजाय किसी अन्य विदेशी भाषा या फिर इंग्लिश पर ही जोर दिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि जीवन भावनाओं पर नहीं, कठोर इम्तिहानों पर चलता है। आज इंग्लिश का ज्ञान जरूरी है। संस्कृत में न तो कहीं पर बातचीत होती है और न ही कहीं और किसी काम में इस्तेमाल होती है। फिर जीवन के मह्तवूर्ण 5-10 साल क्यों इसपर खपाए जाएं? क्यों न हिंदी या फिर इंग्लिश पर जोर दिया जाए, जिसका चारों तरफ इस्तेमाल हो रहा है।

देवभूमि का मान देवभूमि के रूप में तभी होगा जब यहां के लोग संपन्न होंगे, सफल होंगे। इंग्लिश के ज्ञान के बिना आज के दौर में सफल होना मुश्किल है। संस्कृत में पंडित बनकर शादी या हवन ही करवाया जा सकता है या फिर अध्यापन कार्य मिल सकता है। मगर वह भी कितनों को मिलेगा? मेरी गुजारिश है राज्यपाल महोदय से कि अगर आप प्रदेश के बच्चों के हित के बारे में नहीं सोच पाएं, तो कम से कम उनके अहित की योजना न बनाएं।

पढ़ें: अपने फायदे के लिए हिमाचल को मत बांटिए प्लीज़

यह तो अच्छा हुआ कि राज्यपाल के हाथ में कुछ नहीं होता, वरना इनका बस चले तो अपनी हर बात को लागू कर ही दें। अच्छी बात यह भी है कि राज्य में कांग्रेस सरकार है, इसलिए इनकी बातों को तवज्जो नहीं मिलेगी। मगर प्रदेश में बीजेपी की सरकार होती और मुख्यमंत्री संघ का करीबी होता तो प्रदेश की ऐसी-तैसी हो जाती औऱ वह भी सिंबॉलिक चीज़ों की वजह से।

बात संघ की इसीलिए हुई, क्योंकि देवव्रत “संघी” हैं और इसी वजह से वह इस पद पर भी हैं। जाहिर है, संघ का अजेंडा लागू करना चाहते हैं। संघ का यह अजेंडा कम से कम व्यावहारिक बिल्कुल नहीं है। संघ को भी वक्त के साथ अपने अंदर बदलाव लाना चाहिए। जबरन किसी बात पर अड़कर कुछ नहीं होगा। वरना तालिबान की कट्टर और स्थिर सोच और आपकी वैसी ही पक्की और पुरातन सोच के बीच कोई फर्क नहीं रहेगा।

लोग भला मानें या बुरा, मगर मैं तो प्रदेश हित की बात करता आया हूं और आगे भी बेबाकी से ऐसा ही करूंगा। भले ही आपको मेरी बातें अभी खराब लग रही हों, मगर इत्मिनान से सोचेंगे तो पाएंगे कि प्रदेश ही नहीं, देश के लिए भी ये बातें सही हैं।

(लेखक मूलत: हिमाचल प्रदेश के हैं और पिछले कुछ वर्षों से आयरलैंड में रह रहे हैं। उनसे kalamkasipahi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)


नोट:
आप भी अपने लेख inhimachal.in@gmail.com पर भेज सकते हैं। हमारे यहां छपने वाले लेखों के  लिए लेखक खुद जिम्मेदार है। ‘इन हिमाचल’ किसी भी वैचारिक लेख की बातों और उसमें दिए तथ्यों के प्रति उत्तरदायी नहीं है। अगर आपको कॉन्टेंट में कोई त्रुटि या आपत्तिजनक बात नजर आती है तो तुरंत हमें इसी ईमेल आईडी पर मेल करें।

‘हिमाचली रसोई’ से पर्यटकों को हिमाचल का जायका दे रहा है एक नौजवान

शिमला।।
शिमला में इन दिनों एक रेस्ट्रॉन्ट स्थानीय लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ‘हिमाचली रसोई’ नाम का यह रेस्तरां अपने यहां आने वाले लोगों को हिमाचली धाम और प्रदेश के अन्य पारंपरिक व्यंजनों को परोस रहा है। लोग भी हिमाचल के असली जायके का लुत्फ उठाकर वाहवाही करते नहीं थक रहे। सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा के बाद इन हिमाचल ने बातचीत की इस रेस्ट्रॉन्ट के मालिक हिमांशु सूद से।
टूरिस्ट्स के आकर्षण का केंद्र बना रेस्ट्रॉन्ट
हिमाचली रसोई को सफलता से चला रहे हिमांशु सूद का शिमला के मशहूर मॉल रोड पर फास्टफूड का रेस्ट्रॉन्ट था।  जाहिर है, आजकल फास्टफूड बड़े चाव से खाया जाता है, इसलिए धंधा जमा हुआ था। लेकिन एक बार हिमांशु को परेशान कर रही थी। बाहर से आए पर्यटक अक्सर उनसे पूछा करते थे कि यहां कुछ ऐसा कहां खाने को मिलेगा, जो हिमाचल का अपना हो। पर्यटक हिमाचली जायके को चखना चाहते थे और ऐसा न मिलने पर निराश हो जाया करते थे।
सादगी भरा माहौल
काफी सोच-विचार करने के बाद हिमांशु ने यही करने का मन बनाया। ग्रामीण पृष्ठभूमि से थे और बोटियों (बोटी दरअसल वे शेफ हैं, जो धाम बनाने में माहिर होते हैं) के साथ काम करने का भी उनके पास अनुभव था। उन्होंने कांगड़ी और मंडयाली बोटियों के साथ काम करने के अपने अनुभव पर भरोसा किया और ‘हिमाचली रसोई’ की कल्पना को धरातल पर उतार दिया।
प्रेम से धाम परोसने की तैयारी करते हिमांशु
आज आप हिमाचली रसोई में हिमाचली धाम का लुत्फ उठा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले लोग जानते होंगे कि ‘धाम’ का अर्थ हिमाचल प्रदेश की पारंपिक दावत को कहा जाता है। त्योहारों, उत्सवों या अन्य विशेष कार्यक्रमों में दी जाने वाली धाम में कई तरह के व्यंजन होते हैं। हर इलाके का व्यंजन, उसने बनाने का तरीका और स्वाद आदि वहां की पहचान है। उदाहरण के लिए कांगड़ा की कांगड़ी धाम, मंडी की मंडयाली धाम और बिलासपुर की केहलूरी धाम।
मुंह में पानी आया या नहीं?
इसी तरह से हिमाचली रसोई में सिड्डू या सीडू नाम की डिश भी आपको मिल जाएगी। यह ब्रेड की तरह की डिश है, जिसे मोमोज़ की ही तरह भाप में पकाया जाता है। कई जिलों में इस डिश को बड़े चाव के साथ खाया जाता है। बाहर से आने वाले पर्यटक भी इसकी तारीफ किए बगैर नहीं रह पाते।
खास बात यह है कि हिमाचली व्यंजनों से भरपूर धाम को खाने का तुल्फ जमीन पर बैठकर उठाया जा सकता है। सुविधा के लिए यहां पर उन्होंने पटड़े बनाए हैं। साथ ही बुजुर्गों या उन लोगों के लिए जो घुटनों के दर्द आदि की वजह से नीचे नहीं बैठ सकते, टेबल पर बैठने की भी व्यवस्था है।
आराम से बैठकर खाइए धाम
जब इन हिमाचल ने हिमांशु से पूछा कि क्या आप हिमाचली रसोई के और आउटलेट्स खोलेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘हम तो चाहेंगे कि अन्य जगहों पर भी हिमाचली धाम और अन्य पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ लोग उठाएं। मगर यहां मैं खुद क्वॉलिटी का पूरा ख्याल रखता हं। बाकी जगहों पर भी ऐसा करना बहुत जरूरी होगा। अगर ऐसा करना संभव होगा तो जरूर आगे बढ़ेंगे।’

हिमांशु ने सोमवार को ‘सेवा’ शुरू करने की भी इच्छा जताई। इसके तहत कोई भी भोजन कर सकेगा। बदले में वह अपनी इच्छानुसार पैसे दे सकता है और अगर सक्षम नहीं है तो बिना कुछ दिए भी भोजन कर सकता है।

तो अगर अगली बार शिमला जाएं तो हिमाचली रसोई में हिमाचली धाम का जायका चखना न भूलें। प्रदेश के बाहर से कोई दोस्त या मेहमान आए तो उसे भी प्रदेश के व्यंजनों का जायका यहां पर चखाया जा सकता है।

जब स्कूल में बच्चों ने किया हिमाचली लोकनृत्य

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इन हिमाचल डेस्क।।

हिमाचल प्रदेश को उत्सवों की भूमि कहा जाए तो गलत नहीं होगा। यहां के लोग बड़ी खुशी और सहजता से उत्सव मनाते हैं। वॉट्सऐप पर शेयर किया जा रहा एक विडियो तबीयत खुश कर देता है। इसमें कुछ स्कूली बच्चे ग्रुप डांस करते नजर आ रहे हैं।

विडियो देखने के लिए नीचे स्क्रॉल करें

डीजे पर बॉलिवुड या पंजाबी गानों पर नाचना आजकल आम है, मगर इसमें ये बच्चे हिमाचली गानों पर डांस कर रहे हैं और वह भी लोकनृत्य यानी Folk dance. ऐसा देखना आजकल किसी चमत्कार से कम नहीं लगता 🙂

देखिए, विडियो:

हिमाचल कैबिनेट का संभावित चेहरा राजेश धर्माणी: संक्षिप्त परिचय

इन हिमाचल डेस्क।।

कयास  लगाए जा रहे हैं कि घुमारवीं के विधायक एवं सीपीएस राजेश धर्माणी हिमाचल कैबिनेट का नया चेहरा हो सकते हैं।  वीरभद्र सिंह पर इस संसदीय क्षेत्र में पैदा हुए असंतुलन को ठीक करने का दबाव बना हुआ है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि हाईकमान ने दिल्ली में इस बात को लेकर मुख्यमंत्री से  चर्चा की है।  वैसे तो कैबिनेट में मंत्रियों के संख्या पूरी हो गयी है  परन्तु ख़राब सेहत के चलते आई पी एच मंत्रीं विद्या स्टोक्स धर्माणी के लिए अपनी सीट छोड़ सकती हैं या विवादों में फंसते जा रहे ठाकुर सिंह भरमौरी से इस्तीफा लिया जा सकता है। राजेश धर्माणी राहुल गांधी के भी ख़ास सिपहसलार भी रहे हैं।राजनितिक परिचय
बिलासपुर जिले की घुमारवीं विधानसभा को रीप्रेसन्ट करने वाले धर्माणी का  जन्म  2 अप्रैल 1972  को घुमारवीं के पास लगते बाड़ी करगोड़ा गावं में हुआ था।  राजेश धर्माणी के दादा इलाके के एक प्रसिद्ध बोटी थे।  इनके पिता रतन लाल शिक्षा विभाग में मुख्याध्यापक पद से सेवानिवृत हुए है।

धर्माणी की प्रारंभिक शिक्षा गवर्नमेंट बॉयज स्कूल घुमारवीं से हुयी।  इसके पश्चात धर्माणी ने ऐन आई टी हमीरपुर ( तात्कालिक रीजनल इंजीनियरिंग कालेज ) से सिविल में बी टेक की डिग्री प्राप्त की।  धर्माणी ने इग्नू से एम बी ए भी कर रखी है।राजेश धर्माणी ने अपने बचपन की दोस्त सोनिका शर्मा से शादी की है। उनकी एक पुत्री है।

यूथ कांग्रेस से राजनीति में प्रवेश करते हुए धर्माणी ने 2007 में अपना पहला चुनाव लड़ा था।  राहुल गांधी के ख़ास राजेश धर्माणी 2012 में लगातार दूसरी बार घुमारवीं से जीत कर आये हैं और फिलहाल सी पी एस (वन विभाग ) के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।  इसी के साथ धर्माणी जिला बिलासपुर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं।राजनीति के अतिरिक्त धर्माणी संवेदना नाम से एक चैरिटेबल सोसाइटी भी चलाते हैं जो गरीब छात्रों और विधवाओं के हितों के लिए कार्य करती है।

इलाके में धर्माणी अपने मृदु सवभाव के लिए जाने जाते हैं।  पढ़े लिखे वर्ग से लेकर समाज के पिछड़े तबके तक धर्माणी की एक अलग पैठ है।   वही  विधानसभा में धर्माणी अपने आक्रामक तेवरों के लिए भी विख्यात हैं।  सी पी एस होने के बावजूद धर्माणी से  मिलने वाली त तमाम सहूलते वापिस  कर दी हैं।  अब देखना यह होगा की वीरभद्र सिंह से 36 के आंकड़े के बावजूद क्या धर्माणी अगर मंत्री बन भी जाते हैं तो सामंजस्य बिठा पाएंगे या नहीं।

एक बार फिर ‘बगावत’, दिल्ली दरबार पहुंची वीरभद्र कैबिनेट

सुरेश चंबियाल, शिमला।।

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जल्द मंत्रिमंडल में फेरबदल कर सकते हैं। सूचना है कि पार्टी आलाकमान से इस बाबत बातचीत हुई है, जिसके तहत जहां एक मंत्री को ड्रॉप किया जा सकता है, वहीं उनके स्थान पर किसी नए प्रभावी चेहरे को मौका दिया जा सकता है। किसी वरिष्ठ विधायक को इस कवायद में मौका मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक प्रयास यह भी है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मौजूदा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल को मंत्रिमंडल में शामिल करके, वहां किसी नए चेहरे को तैनात किया जाए। इसी तरह कई मंत्रियों के महकमों में भी फेरबदल किया जा सकता है। जानकारी मिली है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह इस बाबत पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से बैठक करने के बाद अंतिम निर्णय लेंगे। विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भी मुख्यमंत्री ने इसी बाबत अपने करीबियोें के साथ मंत्रणा की थी।

कैबिनेट में शामिल हुए मंत्री करण सिंह को हफ्ता भी नहीं हुआ है कि विद्रोह की आंच दिल्ली पहुंच गयी है।  वीरभद्र विरोधी खेमा सिंह को मंत्रीं बनाये जाने से खासा नाराज है और आर -पार की लड़ाई के मूड में है।  गौरतलब है की तमाम तरह के विरोध के बावजूद मुख्यमंत्रीं ने बंजार के विद्याक करण सिंह को अपनी कैबिनेट में स्थान दे दिया है।  विरोधी खेमे का तर्क है की इस से हिमाचल प्रदेश में क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ गया है अकेले मंडी लोकसभा हलके से पांच मंत्री  करण  सिंह समेत  प्रकाश चौधरी, अनिल शर्मा, ठाकुर सिंह भरमौरी, एवं कॉल सिंह हो गए हैं। वहीँ हमीरपुर लोकसभा सीट से एक भी मंत्रीं कैबिनेट में नहीं है।  विरोधी खेमा यहाँ से कांग्रेस के युवा तुर्क घुमारवीं के विधायक एवं सी पी एस  राजेश धर्माणी को मंत्रिमंडल में शामिल करवाना चाहता था।  धर्माणी इस से पहले भी हमीरपुर हलके की अनदेखी का आरोप वीरभद्र पर लगाते रहे हैं।
बुधवार को विधानसभा अद्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल ने कांग्रेस अद्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी।  हालाँकि इसे शिस्टाचार भेंट बताया जा रहा है।  बुटेल के अलावा कॉल सिंह और खुद मुख्यमंत्री ने भी सोनिया से मिलने का समय माँगा है।  सुनने में आ रहा है की विरोधी खेमा इस बार आर पार के मूड में है।  वीरभद्र सिंह ने चेयरमैन और पी एस बंनाने के लिए जो नाम आगे किये हैं वो विधयाक भी सुना है वीरभद्र खेमे से ही हैं।
इसी आधार पर एक दूसरे की खिलाफत करने के लिए दिल्ली दरबार में कांग्रेस के दोनों धड़ों ने डेरा डाल दिया है।  अभी तक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह , स्वास्थय मंत्री कौल सिंह परिवहन मंत्रीं जी एस बाली , सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्रीं विद्या स्टोक्स सेहरी विकास मंत्री सुधीर शर्मा एवं सी पी एस विनय कुमार के डेल्ही पहुँचने की सुचना है  साथ ही कुछ कॉल सिंह समर्थक विधायक भी दिल्ली में हैं।
देखना यह होगा की सोनिया से मुलाक़ात कर के कौन धड़ा अपनी बात सही ढंग से आगे रख पाता  है।  कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस के अंदर का यह ज्वालामुखी फूटने के कगार पर है उधर दिल्ली हाई कोर्ट ने भी वीरभद्र सिंह के मामले में सी बी आई से स्टेटस रिपोर्ट मांग ली है।  जिस से वीरभद्र सिंह के ऊपर भी दबाब बढ़ा है।  कांग्रेस आलाकमान इस मामले को किस तरह से लेता है यह आने वाला वक़्त ही बताएगा।