देवभूमि को बना दिया ‘रेव’भूमि, मणिकर्ण घाटी में सजा नशे का कारोबार

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, कुल्लू।। नशे के लिए बदनाम हो चुकी मणिकर्ण घाटी में अब विदेशियों को लुभाने के लिए रेव, फुलमून और हाफमून पार्टियों के आयोजन हो रहे हैं । मणिकर्ण घाटी के छलाल के जंगल में इसी तरह की पार्टी का आयेाजन होने की जानकारी है जिसमें विदेशी पर्यटकों ने फूहड़ता का नंगा नाच किया है। इतना ही नहीं, इस पार्टी में नशे का कारोबार रातभर होता है। पुलिस को खबर लग चुकी और ऐक्शन ले रही है।

सूत्रों के अनुसार इससे पहले एक फुलमून पार्टी हो चुकी थी और अगले दिन फिर से दूसरी पार्टी का आयोजन की तैयारियां पूरी हो गई थीं।  मगर मणिकर्ण घाटी में आयोजित इस रेव पार्टी पर एसपी कुल्लू ने तुरंत ऐक्शन लिया है। पुलिस ने पाया है कि रेव पार्टी हुई है। ऑर्गनाइजार पर मामला दर्ज करके अगली पार्टी पर रोक लगा दी है। पुलिस टीम को रात को ही मणिकर्ण घाटी रवाना कर दिया गया। एसपी का कहना है कि तरह की पार्टियां किसी भी हालत में नहीं होने दी जायेगी और दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया जाएगा और नशे का कारोबार नहीं होने दिया जाएगा।

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ध्यान देने वाली बात यह है कि विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए व नशे के कारोबार को चमकाने के लिए फुलमून पार्टी का आयोजन होता रहा है। इस तरह की पार्टियों में सबसे पहले विदेशी माफिया सक्रिय है। विदेशियों से सीख लेकर स्थानीय कुछ संलिप्त लोगों ने भी इस तरह की पार्टियों के आयोजन शुरू किए और यह पार्टियां पूरी तरह से सफल भी हुई हैं। मीडिया की नजर में आने के बाद इस तरह की पार्टियों का जब खुलासा हुआ तो पुलिस भी सतर्क हुई है।

फुलमून पार्टी में विदेशी पर्यटकों को मैसेज भेजकर आमंत्रित किया जाता है और पूरे प्रदेश में आए विदेशी पर्यटकों को जब यह गुप्त मैसेज पहुंच जाता है तो वे उस घाटी की ओर रूख कर लेते हैं और इस तरह की पार्टी में शरीक होते हैं। बाकायदा इस तरह की पार्टियों में पर्यटकों से एंट्री फीस 1000 से 2000 तक ली जाती है। उसके बाद पार्टी में प्रवेश करने के बाद अंदर नशे का हर साजो सामान मुहैया होता है। उसके दाम अलग से मनचाहे लिए जाते हैं।

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घाटी में एक बार फिर से विदेशी पर्यटकों को लुभाने के लिए इस तरह की पार्टियों का आयोजन होने लगा है। अब देखना यह है कि पुलिस व प्रशासन इस तरह की पार्टियों को लगाम लगाने में कहां तक सफल रहती है।

(Cover Picture भी प्रतीकात्मक है)

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