नई दिल्ली।।
इन दिनों सोशल मीडिया पर हिमाचल के युवाओं के बीच दो गाने बेहद पॉप्युलर हैं। इन गानों को देश-दुनिया में रह रहे हिमाचलियों ने ख़ासा पसंद किया है। जो लोग पहाड़ी नहीं समझ सकते, वे भी इन मधुर गानों की धुन पर झूमे बिना नहीं रह पाते। हम बात कर रहे हैं हिमाचल के प्रतिभाशाली युवाओं के बैंड ‘लमन’ की, जिन्होंने ‘शंकर संकट हरना’ और ‘काली घघरी’ से धूम मचा दी है।
लमन बैंड |
लमन की ख़ास बात यह है कि वे विडियो के साथ गाने ला रहे हैं। उनके म्यूज़िक विडियो भी कमाल हैं। आधुनिकता से साथ उन्होंने पारंपरिक हिमाचल की संस्कृति का अनूठा संगम पेश किया है। संगीत की मौलिकता से छेड़छाड़ किए बगैर मॉडर्न म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट्स के साथ किए एक्सपेरिमेंट्स को सुनकर ऐसा लगता है मानो हिमाचल के लोकगीत ने नई करवट ली है। ख़ास बात यह है कि इन गानों को सबसे ज्यादा प्रदेश की उस नई पीढ़ी ने सराहा जिसे अपने रीजनल म्यूजिक से शर्म महसूस होने लगी थी।
हिमाचली संगीत को इस दिशा में ले जाने की कोशिश कर रहे इन युवाओं के लिए संगीत प्रफेशन नहीं, पैशन है।पहाड़ी संगीत की खोई हुई विरासत को उसकी सरलता और मौलिकता के साथ वापस लेकर आना उनका सपना है। ‘इन हिमाचल’ लमन बैंड के सदस्य अभिषेक बिष्ट से लंबी बातचीत की। इस बातचीत में विभिन्न पहलुओं पर बात की गई। हमने जाना कि उनका अब तक का सफर कैसा रहा और आगे का रोडमैप क्या है।
अभिषेक बिष्ट |
अभिषेक बिष्ट लमन बैंड के लीड सिंगर हैं। वह हिमाचल प्रदेश में सुंदरनगर के रहने वाले हैं। अभिषेक वर्तमान में अम्बुजा सीमेंट की दाड़लाघाट इकाई में बतौर ऑटोमेशन इंजिनियर काम करते हैं। उनके इस जनून के दूसरे साथी हैं शिशिर चौहान, जो शिमला से हैं और मुंबई में संगीत की दुनिया में अपना नाम बनाने की जद्दोजहद में हैं।
अभिषेक, आपके मन में यह जुनून कैसे पैदा हुआ?
मुझे बचपन से ही संगीत का शौक रहा है। मेरी दादी अक्सर पहाड़ी गाने और भजन आदि गुनगुनाया करती थीं, जिसका मेरे ऊपर बहुत प्रभाव पड़ा। जिस भजन ने ‘शंकर संकट हरना’ ने हमारे बैंड लमन को पहचान दिलाई है, उसे मैंने अपनी दादी के मुंह से ही सुना था।
आजकल के युवा सिंगर रॉक और पॉप का रुख कर रहे हैं। फिर आपने हिमाचली म्यूजिक क्यों चुना, इसमें ऐसा क्या खास लगा आपको?
देखिए, पहाड़ी म्यूजिक एकदम सॉफ्ट है। इसके शब्दों में सरलता है और हर फोक सॉन्ग के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है। पहाड़ों के लोगों ने नदियों, पहाड़ों, जंगलों, पशु-पक्षियों को भी अपने परिवार का एक अंग माना है। पहाड़ी लोकगीतों में नदियों से बाते करने और पक्षियों को भाई बंधु की तरह मानने जैसे उदाहरण भी मिलते हैं।
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कोई उदाहरण देंगे?
हमने एक गाना गाया है- ‘साए-साए मत कर राविये।’ यह गाना चम्बा की ऐतिहासिक संस्कृति और रावी नदी से लोगों के प्यार और बातचीत को ही परिभाषित करता है। यह एक लोकगीत है, जिसे इन्होंने उसी मधुरता से प्राकृतिक चित्रण के साथ पेश करने की कोशिश की है, जिसे काफी सराहना भी मिली है।
बैंड के लिए ‘लमन’ नाम का आइडिया कहां से आया?
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कोई उदाहरण देंगे?
हमने एक गाना गाया है- ‘साए-साए मत कर राविये।’ यह गाना चम्बा की ऐतिहासिक संस्कृति और रावी नदी से लोगों के प्यार और बातचीत को ही परिभाषित करता है। यह एक लोकगीत है, जिसे इन्होंने उसी मधुरता से प्राकृतिक चित्रण के साथ पेश करने की कोशिश की है, जिसे काफी सराहना भी मिली है।
बैंड के लिए ‘लमन’ नाम का आइडिया कहां से आया?
हम यह चाहते थे कि बैंड को कुछ ऐसा नाम दिया जाए, जो पहाड़ी संस्कृति के किसी शब्द से जुड़ा हो। इसी खोजबीन में एक दिन कुल्लू के पारम्परिक नृत्य और गायन का रूप ‘लामण’ सामने आया। लामण कुल्लू घाटी में प्रेमी-प्रेमिका की आपसी नोकझोंक से सबंधित गानों के रूप में एक वार्तालाप है। बस यहीं से हमने इस नाम को लमन के रूप में फाइनल कर दिया।
वर्तमान में पहाड़ी संगीत को आप कहां देखते हैं?
वर्तमान में पहाड़ी संगीत को आप कहां देखते हैं?
राष्ट्रीय प्लैटफॉर्म की बात की जाए, तो हिमाचली संगीत पिछड़ता हुआ नजर आता है। पिछले दशकों में कई गाने संगीतकारों ने दिए, मगर सबका म्यूजिक लगभग एक सा ही रहा है। बॉलिवुड सॉन्ग्स की कुछ पंक्तियों और धुनों को पहाड़ी संगीत में ऐड कर दिया गया। इस तरह के प्रयोगों ने हिमाचल प्रदेश के संगीत की आत्मा और सरलता का मानों गला ही घोंट दिया। प्रॉब्लम संगीत नहीं, हमारे चित्रण और परिभाषा में है। बस उसे ही दुरुदत करना है।
आपके विडियो के बहुत चर्चे हैं। इस तरह के विडियो बनाने के पीछे क्या मकसद है?
(अभिषेक ने मुस्कुराते हुए कहा) देखिए, ऑडियो के साथ साथ विडियो का बहुत बड़ा रोल है। आप देखेंगे कि ज्यादातर हिमाचली गाने जो अब तक आए हैं, उनमें विडियो के नाम पर औपचारिकता निभा दी जाती है। उनके विडियो में कहीं पर भी कुछ लोगों को खड़ा कर दिया जाता है और बस बन गया विडियो। यही कुछ कारण रहे कि हिमाचल प्रदेश की नई पीढ़ी और युवा धीरे-धीरे अपने संगीत कला से दूर होने लगे और उन्होंने इसमें दिलचस्पी लेना बंद कर दिया। हमने अपने फिल्मांकन में हिमाचल प्रदेश की संस्कृति, यहां की लोकेशंस खूबसूरती को साथ में संजोया है। आप हैरान होंगे कि हमें कई लोगों के देश-विदेश और बाहरी राज्यों से फ़ोन और मेल आए कि हमें हिमाचल घूमने जाना है, बताइए कि ये लोकेशंस कहां हैं। लोग कहते कि क्या वाकई हिमाचल इतना खूबसूरत है? असल में लोगों को हमने गानों के माध्यम से बताया है कि शिमला और मनाली के अलावा भी हिमाचल में बहुत कुछ है।
भविष्य के लिए आपका क्या रोडमैप है?
कोई रोडमैप ऐसे तय नहीं है, क्योंकि हम प्रफेशन से नहीं बल्कि पैशन से चीजों को देख रहे हैं। बीइंग अ हिमाचली, हम बस यही रोडमैप लेकर चल रहे हैं कि पहाड़ी संगीत, परम्परागत धुनों और कहानियों को बिना छेड़े नए तरीके से मॉडर्न इंस्ट्रूमेंट्स और विडियो से सामने लाया जाए, ताकि वक़्त के साथ हमारी पीढ़ी हमारी संपन्न ऐतिहासिक विरासत को न भूल जाए। अभी तक के गानों का रेस्पांस जहां तक आया है, उससे यही लगता है कि काफी हद तक हम इसमें कामयाब भी रहे हैं। अभी हमारी जुलाई तक नई अल्बम भी आने वाली है, जिसमें हमने कुछ ऐसे ही कुछ प्रयोग किए हैं।
‘काली घगरी’ और ‘शिव कैलासों के वासी’ बहुत पसंद किये जा रहे हैं। आपको अब हिमाचल प्रदेश में सेलिब्रिटी के रूप में देखा जा रहा है…
हा हा हा… नहीं, सेलिब्रिटी तो क्या कह सकते हैं, बस लोगों का प्यार है। यही कलाकार के लिए पूंजी हैं। नई जेनरेशन ने हमारे गाने पसंद किए, सोशल मीडिया पर भारी रेस्पांस मिला, यह देखकर अच्छा लगा। शिव कैलासों के वासी के लिए हमें दूसरे राज्यों से भी कॉल आए कि आपने बहुत अच्छा गया है, शानदार है। देश के बाहर बसे प्रवासी भारतीयों तक के काल आए कि हिमाचल को इस रूप में देखकर सुनकर वे इमोशनल हो गए।
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आप प्रदेश में स्टेज शो आदि को प्राथमिकता देंगे अगर आपको मंच मिलता है?
‘काली घगरी’ और ‘शिव कैलासों के वासी’ बहुत पसंद किये जा रहे हैं। आपको अब हिमाचल प्रदेश में सेलिब्रिटी के रूप में देखा जा रहा है…
हा हा हा… नहीं, सेलिब्रिटी तो क्या कह सकते हैं, बस लोगों का प्यार है। यही कलाकार के लिए पूंजी हैं। नई जेनरेशन ने हमारे गाने पसंद किए, सोशल मीडिया पर भारी रेस्पांस मिला, यह देखकर अच्छा लगा। शिव कैलासों के वासी के लिए हमें दूसरे राज्यों से भी कॉल आए कि आपने बहुत अच्छा गया है, शानदार है। देश के बाहर बसे प्रवासी भारतीयों तक के काल आए कि हिमाचल को इस रूप में देखकर सुनकर वे इमोशनल हो गए।
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आप प्रदेश में स्टेज शो आदि को प्राथमिकता देंगे अगर आपको मंच मिलता है?
देखिए, हमारी प्राथमिकता बस जनता के बीच जाने की है। छोटा-बड़ा मंच हमें मैटर नहीं करता है। सुंदरनगर के नलवाड़ मेले में भी हमने परफॉर्म किया है। अभी सोलन में ग्रीन हिल्स इंजिनियरिंग कॉलेज के फेस्ट में हम जा रहे हैं। यह हमारे लिए बहुत रोमांच का विषय है। हम दिन-रात उसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से मुझे कभी कभी लगता है कि हमारे प्रदेश में कितने मेले होते हैं। हर जिले का अपना कल्चर है, पर मेलों में होने वाली कल्चरल नाइट्स सारी पंजाबी म्यूजिक ने हैक कर ली है। ऐसा नहीं है कि हम किसी भी तरह के म्यूजिक के खिलाफ हैं, परन्तु हमें खुद को उस लेवल तक लाना होगा कि हमारे म्यूजिक के प्रति भी लोगों में वैसी दीवानगी पैदा हो। पर थोड़ा हम सरकार से भी चाहते हैं, प्रदेश के इंस्टिट्यूट्स से भी चाहते हैं, विभिन संस्थाओं से भी हमारी उम्मीद है कि वे हमें मंच पर आने का मौका देते रहें।
इन हिमाचल के पाठकों से आप कुछ कहना चाहेंगे?
ज्यादा तो मैं क्या कहूंगा, पर बस धन्यवाद देता हूं। जो भी प्यार हमें मिला है, वही हमारी पहचान है। प्रशंसा के साथ-साथ हम अपने चाहने वालों से आलोचना की भी उम्मीद करते हैं, तभी निरंतर सुधार हममें भी हो पाएगा। हम चाहते हैं कि संगीत की फील्ड में शौक रखने वाले लोग किसी भी क्षेत्र के पुराने फोक सॉन्ग की कहानी से हमें अवगत करवाएं, ताकि हम और ज्यादा एक्स्प्लोर कर पाएं। कई युवा प्रदेश के विभिन संस्थानों में पढ़ते हैं, वहां की कल्चरल कमिटी के हिस्सा हैं। उनसे हम उम्मीद रखते हैं कि वे अपनी ऐनुअल फेस्ट कल्चरल नाइट्स में लमन बैण्ड को परफॉर्मेंस का मौका दें, ताकि इस बहाने हम भी ज्यादा से ज्यादा लोगों से रूबरू हो पाएं। बाकी सबके स्नेह प्रेम और सपोर्ट के हम तहे दिल से आभारी हैं।
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