इन हिमाचल डेस्क
हिमाचल प्रदेश की आम ग्रामीण जनता के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ की इंतहा हो गई है। सरकारी डिप्पों से एक के बाद एक खाद्यान आइटम के सैंपल फेल पाए जा रहे हैं अभी कुल्लू के डिप्पुयों से चावल के सेम्पल फेल होने की खबर खत्म नहीं हुई थी की अब लेवि चीनी के लिए गए 17 सेम्पल के भी फेल होने की खबर अख़बारों में प्रमुखता से छपी है।
हिमाचल प्रदेश की 90 % जनता डिप्पों से राशन लेती है जिस गति से हर वस्तु के सेम्पल फ़ैल होने की ख़बरें आ रहीं है इस से जनता के बीच डर की स्थिति बानी हुई है साथ ही सरकार और खाद्यान विभाग की टेन्डर प्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है। आखिर ऐसे कैसे लोगों को टेंडर मिल रहे हैं जो हिमाचल के भोले भाले लोगों को खाद्य वस्तुयों के नाम पर कुछ भी खिला दे रहे हैं।
गौरतलब है की इस से पहले भी प्रदेश में तेल आदि के सैंपल फेल होते रहे हैं। इन मामलों में अभी तक विभाग की कारवाई संतोषजनक नहीं पाई गई है। मिलावटी सामान बेचने के कड़े प्रावधान कानून में दर्ज हैं परन्तु छोटे मोठे फाइन और टेंडर लेने वाली फर्म को ब्लैकलिस्ट करने का आश्वासन देने के अलावा विभाग कुछ ख़ास नहीं कर पाया है।
ऐसा उस विभाग में हो रहा है जो सरकार में सबसे तेज़ तर्रार माने जाने वाले मंत्री जी एस बाली के पास है। खाद्य आपूर्ति के साथ परिवहन और टेक्नीकल एजुकेशन देखने वाले बाली शायद इस मंत्रालय की जिम्मेदारी से न्याय नहीं कर पा रहे हैं उनकी अधिक दिलचस्बी परिवहन निगम के सुधारों में ज्यादा नजर आ रही है। जो भी है लेकिन आम जनता के स्वास्थ्य से प्रदेश में खुला खिलवाड़ हो रहा है परन्तु कोई भी कार्रवाई अभी तक शून्य पाई गई है। लोगों का कहना है की जब कानून में मिलावट करने वालों के लिए सख्त प्रावधान हैं तो सरकार को टेंडर लेकर मिलावटी सामान सप्लाई करने वाली फर्मों के खिलाफ जुर्माने के साथ साथ कानूनी कार्रवाई भी अमल में लानी चाहिए