‘हिमाचली रसोई’ से पर्यटकों को हिमाचल का जायका दे रहा है एक नौजवान

शिमला।।
शिमला में इन दिनों एक रेस्ट्रॉन्ट स्थानीय लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ‘हिमाचली रसोई’ नाम का यह रेस्तरां अपने यहां आने वाले लोगों को हिमाचली धाम और प्रदेश के अन्य पारंपरिक व्यंजनों को परोस रहा है। लोग भी हिमाचल के असली जायके का लुत्फ उठाकर वाहवाही करते नहीं थक रहे। सोशल मीडिया पर हो रही चर्चा के बाद इन हिमाचल ने बातचीत की इस रेस्ट्रॉन्ट के मालिक हिमांशु सूद से।
टूरिस्ट्स के आकर्षण का केंद्र बना रेस्ट्रॉन्ट
हिमाचली रसोई को सफलता से चला रहे हिमांशु सूद का शिमला के मशहूर मॉल रोड पर फास्टफूड का रेस्ट्रॉन्ट था।  जाहिर है, आजकल फास्टफूड बड़े चाव से खाया जाता है, इसलिए धंधा जमा हुआ था। लेकिन एक बार हिमांशु को परेशान कर रही थी। बाहर से आए पर्यटक अक्सर उनसे पूछा करते थे कि यहां कुछ ऐसा कहां खाने को मिलेगा, जो हिमाचल का अपना हो। पर्यटक हिमाचली जायके को चखना चाहते थे और ऐसा न मिलने पर निराश हो जाया करते थे।
सादगी भरा माहौल
काफी सोच-विचार करने के बाद हिमांशु ने यही करने का मन बनाया। ग्रामीण पृष्ठभूमि से थे और बोटियों (बोटी दरअसल वे शेफ हैं, जो धाम बनाने में माहिर होते हैं) के साथ काम करने का भी उनके पास अनुभव था। उन्होंने कांगड़ी और मंडयाली बोटियों के साथ काम करने के अपने अनुभव पर भरोसा किया और ‘हिमाचली रसोई’ की कल्पना को धरातल पर उतार दिया।
प्रेम से धाम परोसने की तैयारी करते हिमांशु
आज आप हिमाचली रसोई में हिमाचली धाम का लुत्फ उठा सकते हैं। हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले लोग जानते होंगे कि ‘धाम’ का अर्थ हिमाचल प्रदेश की पारंपिक दावत को कहा जाता है। त्योहारों, उत्सवों या अन्य विशेष कार्यक्रमों में दी जाने वाली धाम में कई तरह के व्यंजन होते हैं। हर इलाके का व्यंजन, उसने बनाने का तरीका और स्वाद आदि वहां की पहचान है। उदाहरण के लिए कांगड़ा की कांगड़ी धाम, मंडी की मंडयाली धाम और बिलासपुर की केहलूरी धाम।
मुंह में पानी आया या नहीं?
इसी तरह से हिमाचली रसोई में सिड्डू या सीडू नाम की डिश भी आपको मिल जाएगी। यह ब्रेड की तरह की डिश है, जिसे मोमोज़ की ही तरह भाप में पकाया जाता है। कई जिलों में इस डिश को बड़े चाव के साथ खाया जाता है। बाहर से आने वाले पर्यटक भी इसकी तारीफ किए बगैर नहीं रह पाते।
खास बात यह है कि हिमाचली व्यंजनों से भरपूर धाम को खाने का तुल्फ जमीन पर बैठकर उठाया जा सकता है। सुविधा के लिए यहां पर उन्होंने पटड़े बनाए हैं। साथ ही बुजुर्गों या उन लोगों के लिए जो घुटनों के दर्द आदि की वजह से नीचे नहीं बैठ सकते, टेबल पर बैठने की भी व्यवस्था है।
आराम से बैठकर खाइए धाम
जब इन हिमाचल ने हिमांशु से पूछा कि क्या आप हिमाचली रसोई के और आउटलेट्स खोलेंगे, तो उन्होंने कहा, ‘हम तो चाहेंगे कि अन्य जगहों पर भी हिमाचली धाम और अन्य पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ लोग उठाएं। मगर यहां मैं खुद क्वॉलिटी का पूरा ख्याल रखता हं। बाकी जगहों पर भी ऐसा करना बहुत जरूरी होगा। अगर ऐसा करना संभव होगा तो जरूर आगे बढ़ेंगे।’

हिमांशु ने सोमवार को ‘सेवा’ शुरू करने की भी इच्छा जताई। इसके तहत कोई भी भोजन कर सकेगा। बदले में वह अपनी इच्छानुसार पैसे दे सकता है और अगर सक्षम नहीं है तो बिना कुछ दिए भी भोजन कर सकता है।

तो अगर अगली बार शिमला जाएं तो हिमाचली रसोई में हिमाचली धाम का जायका चखना न भूलें। प्रदेश के बाहर से कोई दोस्त या मेहमान आए तो उसे भी प्रदेश के व्यंजनों का जायका यहां पर चखाया जा सकता है।

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