मेहनत और प्लानिंग से मंडी के कालीदास ने लगाया आम का बागीचा, कमा रहे हैं लाखों

मंडी।। स्वरोजगार के जरिए जीवन बदल सकता है। हम प्रदेश के युवाओं के लिए अब कई ऐसे कामयाब लोगों की कहानियां ला चुके हैं जो घर बैठे ही मेहनत करके लाखों कमा रहे हैं। हमें अखबारों, न्यूज पोर्टल्स या फेसबुक आदि के जरिए किसी के बारे में पता चलता है तो हम उसकी कहानी अपने पाठकों से जरूर शेयर करते हैं। इसी कड़ी में हम आपको आज मंडी जिले के कालीदास के बारे में बताने जा रहे हैं। 60 साल के कालीदास बागवानी में माहिर हैं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए वह सफलता से पैसे भी कमा रहे हैं।

कालीदास मंडी जिले के जोगिंदर नगर की ग्राम पंचायत कुछेड़ा के रहने वाले हैं। घर के पास उनकी ढलानदार पहाड़ी पर सीढ़ीनुमा खेत थे जहां पारंपरिक तौर पर मक्की उगाई जाती थी। मगर मक्की से अच्छे रिटर्न्स नहीं मिल रहे थे। ऐसे में उन्होंने बागवानी करने का फैसला किया और सरकार से अनुदान पर आम के पौधे लिए और करीब 250 पौधे लयहां लगा दिए। ऐसा नहीं किया कि एक ही वराइटी लगाई। दशहरी, सफेदा और लंगड़ा जैसी किस्में लगा दीं। आग इनका आमों का बाग तैयार है। हर साल वह करीब 40 क्विंटल आम पैदा कर रहे हैं और इनकी बिक्री से अच्छी खासी कमाई भी कर रहे हैं।

कालीदास बताते हैं कि पास के ही गांव में रहने वाले ऋषि राणा ने उनकी मदद की जो उपनिदेशक, उद्यान रिटायर हुए हैं। उन्होंने कई जानकारियां मुहैया करवाईं। अब बाग लगाया तो सिंचाई जरूरी है। इसलिए लिए उन्होंने पास के ही नाले से पानी की व्यवस्था की और चेक डैम बनवाया और अपने यहां टैंक भी बनवाया। पाइप के लिए भी सरकार से मदद मिली।
अपनी मेहनत और सरकार की योजनाओं का सही से लाभ उठाकर उन्होंने आज कामयाबी की इबारत लिखी है।

फलों को जंगली जानवरों या फिर मौसम की मार से बचाने के लिए उन्होंने बीमा भी करवा दिया है। कालीदास कहते हैं कि वह कीटनाशक वगैरह को इस्तेमाल करने से बचते हैं। फलों को भी प्राकृतिक तौर पर ही पकने दिया जाता है। इसीलिए उनके बाग के आम ए ग्रेड होते हैं। ज्यादाकर लोग तो उनके घर आकर ही आम ले जाते हैं। खास बात यह है कि वह कलम लगाने में भी एक्सपर्ट हो गए हैं। उन्होंने विभाग से इसकी ट्रेनिंग ली है। वह अन्य लोगों के यहां भी कलम लगाने जाते हैं जिससे उनकी अतिरिक्त इनकम हो जाती है।

कालीदास जैसे मेहनती लोग हमें सिखाते हैं कि सरकारी योजनाएं और सब्सिडी वगैरह खाने-उड़ाने के लिए नहीं बल्कि धैर्य और प्लानिंग के लगाने के लिए है। तभी कामयाबी मिलेगी। वरना प्रदेश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो दिखावे के लिए सरकारी योजनाओं से वॉटर टैंक, ग्रीनहाउस और अन्य चीजें बनवाते हैं और कुछ ही दिनों में किसी और काम के लिए उन्हें इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं।

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