ओ गालियां देने वालो! आप पर गुस्सा नहीं, तरस आता है

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गालियों और धमकियों के लिए शुक्रिया। आपकी टिप्पणियों से न तो गुस्सा आया और न ही डर लगा। बल्कि हंसी आई, तरस आया। कुछ दुख भी हुआ। जब-जब लोग हमें गालियां देते हैं तो हमें लगता है अभी इन लोगों के हृदय में परिवर्तन लाने के लिए अभी बहुत कुछ करना होगा। इसमें कोई शक नहीं कि पुलवामा हमले में जवानों की शहादत से हम सब दर्द और गुस्से में हैं। मगर अक्सर दर्द और गुस्सा हमारी समझ पर पर्दा डाल देता है। गुस्से में हम अक्सर सही-गलत का फर्क भूल जाते हैं। कुछ लोग हैं जो ऐसे मौकों का फायदा उठाते हैं। उन्हें सस्ती लोकप्रियता करने और राजनीति चमकाने का आसान रास्ता यही लगता है।

पालमपुर वाली घटना को लेकर ज़रा दो पल विचार कीजिए। बहुत से लोग कहेंगे कि ये मुस्लिम होते ही ऐसे हैं तो कुछ कहेंगे कि जो पिटे वे कश्मीरी थे। लेकिन जिन्हें पीटा गया, क्या वो आतंकवादी थे? क्या पुलवामा हमले को उन लोगों ने अंजाम दिया था? अगर वे आतंकी होते तो मार खा रहे होते? और जो लोग उन्हें पीट रहे थे, क्या वे ऐसा करने के लिए अधिकृत हैं? क्या कोई भी किसी को ऐसे पीट सकता है?

अगर आपका जवाब हां में है तो एक बार खुद को उनकी जगह रखकर सोचिए। कल को आप कहीं जाएं और आपको इसलिए पीट दिया जाए कि आप हिन्दू हैं। ये कहते हुए कि तुम हिंदुओं ने हमारे समुदाय के बंदों को पीटा, हम बदला ले रहे हैं। क्या यह तर्कसंगत बात होगी? ये सोशल मीडिया, मीडिया और सुनी-सुनाई बातों के आधार पर आप आपको नफरत की आग में मत झोंको। शायद आपमें से बहुत से लोग वर्कप्लेस, स्कूल या अन्य जगह किसी मुस्लिम के संपर्क में भी नहीं आए होंगे, मगर कुछ लोगों के एजेंडे के कारण धारणा बना बैठे हैं कि हर मुस्लिम एक जैसा है।

और बुद्धिजीवियों से शिकायत। ज़रा पिछली दो पोस्ट्स पर आए कॉमेंट्स पढ़िए। समझ आ जाएगा कि आप जो खुद को उदार और दूसरों को कट्टर बोलते हो, उसकी हक़ीक़त क्या है। मारने की बातें की जा रही हैं, काटने की बातें की जा रही हैं, ज़हर उगला जा रहा है। अगर ऐसी ही बातें मुस्लिम समुदाय के लोग कर रहे होते तो आप हाहाकार मचा रहे होते कि ये तो होते ही ऐसे हैं। मगर हिन्दू नफरत, हिंसा और साम्प्रदायिक बातें कर रहे हैं तो आप खामोश हैं।

बहरहाल, इन हिमाचल देश के संविधान के हिसाब से आगे भी काम करता रहेगा। ‘इन हिमाचल’ को अनफॉलो करना है तो शौक से कीजिए। लाइक्स और क्लिक्स की चिंता हमें कभी नहीं रही। पहले दिन से ‘इन हिमाचल’ ने वो बातें छापी हैं जो प्रदेश और देश के हित में रही हों। इसके लिए हम राजनीतिक दलों, नेताओं, उनके चमचों, सत्ता, विपक्ष, अफसरों, ठेकेदारों और पत्रकार साथियों की आंख की किरकिरी भी बने हैं। इसलिए, जिन्हें अनलाइक करना है वो अनलाइक करें, जिन्हें गालियां देने के लिए आते रहना है, उनका भी स्वागत।

टीम इन हिमाचल