कब तक आतंकवाद को यूं ही सहता रहेगा हिंदुस्तान

के.एस. ठाकुर।। जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपुर के पास गोरीपोरा में जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन द्वारा सीआरपीएफ की 54वी बटालियन व आर.ओ.पी. के दो जवानों सहित 44 जवान शहीद हो गएl यह आतंकवादी हमला इतना दर्दनाक था, जो कि हर किसी को झकझोर कर गयाl भारत में ही नहीं विश्व के शक्तिशाली देशों रूस, अमेरिका, फ्रांस तथा संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस कायर हमले की घोर निंदा की गईl भारत पर आतंकवाद का काला साया पिछले दो दशकों से मंडरा रहा हैl देश की नीति निर्माता तथा राजनीतिक नेतृत्व आतंकवाद जैसी लाइलाज बीमारी पर भी वोट बटोरने को बेताब रहता हैl पक्ष तथा विपक्ष की बयान बाजी कहीं न कहीं भारतीय सेना के जवानों पर भारी पड़ रही हैl जम्मू कश्मीर अपने अस्तित्व से लेकर अब तक निरंतर भारत की अखंडता को चुनौती देता आ रहा हैl केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) से समर्थन वापस लेने के कारण जम्मू कश्मीर में सीधा केंद्र का शासन स्थापित हो गया थाl साधारण शब्दों में बात करें तो जम्मू कश्मीर में शासन व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की बनती हैl केंद्र में भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सत्तासीन हैl वैश्विक मंच पर भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा आतंकवाद के मुद्दे को जोरों शोरों से उठाया गया लेकिन किसी भी तरह का कोई कठोर निर्णय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखने को नहीं मिलाl जिसके परिणाम स्वरूप 14 फरवरी 2019 का दिन भारत के इतिहास में “काला दिवस” के रूप में समा गयाl आतंकवादी संगठनों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वह दिनदहाड़े सरेआम निहत्थे लोगों तथा भारतीय सेना के सिपाहियों को अपना निशाना बना रहे हैंl विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व व जनमानस धरा का धरा बैठा हुआ हैl

दर्दनाक घटना घटित होने के बाद संवेदनाएं तथा प्रतिक्रियाएं सोशल मीडिया, टीवी चैनलों तथा समाचार पत्रों में सुर्खियां बटोरती हैl केंद्र में भाजपा की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ सत्तासीन है उम्मीद जताई जा रही थी कि यह सरकार आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करेगीl सर्जिकल स्ट्राइक जैसे साहसिक कार्यों द्वारा कुछ हद तक यह साबित करने की कोशिश भी की गईl वैश्विक मंचों पर भी आतंकवाद के मुद्दे को गंभीरता से उठाया गया लेकिन यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि आतंकवाद पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो सकीl सोलहवीं लोक सभा का नेतृत्व कुछ दिनों का मेहमान हैl ऐसे में कोई कठोर कानून तो नहीं बन सकता, लेकिन पुलवामा की घटना में शहीद हुए सैनिकों की शहादत का बदला जरूर दिया जा सकता हैl सोशल मीडिया पर भारतीय युवा तथा देशभक्त इस कायराना हरकत का बदला लेने के लिए अपनी प्रतिक्रियाएं उगल रहा हैl सोशल मीडिया रन का मैदान बन गया हैl अब देश के राजनीतिक नेतृत्व तथा सैन्य ताकत द्वारा आतंकवाद के पनाहगारो को उसकी औकात दिखाने का समय आ गया हैl

आखिर कब तक सहन करेंगे?
3 जनवरी 2016 पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमले में 7 जवानों की मौत हुई, 20 से ज्यादा घायल हुए थेl 21 फरवरी 2016 श्रीनगर के आंचलिक इलाके में एक सरकारी भवन में छिपे आतंकियों से मुठभेड़ में दो कैप्टन समेत 3 कमांडो मारे गए थेl 25 जून 2016 श्रीनगर के पंपोर के निकट फ्रेंस्टबल में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में आठ जवान शहीद हो गए थेl 18 दिसंबर 2016 उरी में सेना के मुख्यालय पर 18 जवान शहीद हुए 32 अन्य घायल हुए थेl वर्ष 2017 में जुलाई महीने में अमरनाथ यात्रा से लौटे बस पर आतंकवादी हमले में 7 लोग मारे गए थेl वर्ष 2016-17 में करीब 41 सैनिक सीधे आतंकवादी हमले में शहीद हुएl इसके अलावा छुटपुट घटनाओं में भी अनेक सैनिकों की शहादत हुईl लेकिन वर्ष 2019 में प्रारंभिक महीनों में ही एक आतंकवादी हमले में 44 सैनिकों का शहीद होना बहुत बड़ी दर्दनाक घटना हैl वर्ष 2018 में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि आतंकवाद पर लगाम लग रही है लेकिन वर्ष 2019 में सब पर पानी फिर गयाl गृह मंत्रालय द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक कश्मीर में सेना का ऑपरेशन ऑल आउट जारी है जिसके तहत पिछले 3 सालों में सुरक्षाबलों ने 586 आतंकी मार गिराएl नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन पर भी भारतीय सेना के जवान मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैंl सीमा पर लगातार आतंकी मुंह की खा रहे हैं, ऐसे में उन्होंने अपनी साजिशों को सरहदों से सड़कों पर पहुंचाने की साजिशें रची हैl इन साजिशों को भांपने में सैन्य शक्ति नाकाम सिद्ध हुईl जिसके परिणाम स्वरूप अवंतीपुरा की सड़कें खून से लथपथ हो गईl

सेना के आधुनिकीकरण में देरी क्यों?
संसद में आधुनिक सैन्य साजो- सामान, हथियार व लड़ाकू उपकरणों को खरीदने के लिए गहमागहमी मची हुई हैl राफेल का मुद्दा जगजाहिर हैl सैन्य आधुनिकीकरण में लेटलतीफी भी आतंकवाद को बढ़ावा देती हैl स्वार्थ पूर्ण राजनीति भारतीय सेना पर भी भारी पड़ रही हैl आतंकवादी संगठन आधुनिक हथियारों से लैस होते हैं और उनका सूचना तंत्र भी भारतीय सैन्य प्रणाली से कहीं आगे बढ़ चुका हैl ऐसे में भारतीय सैन्य के काफीलो पर आतंकवादी हमले बढ़ते जा रहे हैंl देश की सुरक्षा एकता व अखंडता के साथ किसी भी तरह का कोई भी कंप्रोमाइज नहीं होना चाहिए तभी भारत सुरक्षित बन सकता है तथा बाहरी दमनकारी शक्तियों से महफूज रह पाएगाl

130 करोड़ के भारतवासी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से यह गुहार लगाए बैठे हैं पुलवामा में भारतीय सैनिकों की अमर शहादत के गुनाहकारों को कड़ी सजा दी जाए, तभी भारत माता के इन सपूतों की आत्मा को शांति मिलेगीl हिमाचल प्रदेश के हर तीसरे घर से एक जवान भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहा हैl इस छोटे से पहाड़ी प्रदेश का देश की सुरक्षा में बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहता हैl शहादत में भी प्रदेश के जवान सबसे आगे हैंl देश के लिए मर-मिटने की कसम खाकर सेना में भर्ती होते हैं, पूर्ण ईमानदारी, सजगता के साथ अपनी ड्यूटी करते हैं तथा अंत में तिरंगे के कफन में देवभूमि की माटी में समा जाते हैंl इन वीर जवानों की गौरवशाली शहादत का मोल धन, यश से पूरा नहीं किया जा सकताl लेकिन फिर भी इनको एक सम्मानजनक विदाई देने का प्रावधान होना चाहिएl

पुलवामा आतंकी हमले में कांगड़ा जिले के जबाली विधानसभा क्षेत्र के सीआरपीएफ जवान तिलक राज शहीद हो गयाl इस वीर जवान की शहादत की खबर से पूरा हिमाचल गहन सदमे में चला गयाl केंद्रीय नेतृत्व को भी हिमाचली वीर जवानों की शहादत को उचित मान सम्मान तथा प्रतिनिधित्व देना चाहिएl काफी लंबे समय से हिमाचल अपनी अलग बटालियन की मांग कर रहा हैl केंद्र सरकार को हिमाचल को अपनी अलग से बटालियन दे देनी चाहिए।

लेखक कर्म सिंह ठाकुर सुंदरनगर, मंडी, हिमाचल प्रदेश से हैं, उनसे 98053 71534 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
(ये लेखक के निजी विचार हैं)
SHARE