बिलासपुर।। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में कांग्रेस के विधायक बंबर ठाकुर के बेटे पर जो आरोप लगे हैं और उसके बाद जो सियासत हो रही है, उसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है। जहां कुछ अखबारों ने खुलकर घटनाक्रम में आरोपियों के नाम लिखे तो कुछ अखबारों ने नाम लेने से बचने की कोशिश की। कुछ ऑनलाइन पोर्टल्स ने एक ही पक्ष रखा और कुछ ने मामले को गोल-मोल कर दिया। ऐसे में साफतौर पर पता नहीं चल रहा कि क्या हो रहा है। ‘इन हिमाचल’ ने कुछ चश्मदीदों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने खुलकर सामने आने से इनकार कर दिया। हम भी यह नहीं चाहते थे कि गुप्त रहने वालों के आधार पर कोई रिपोर्ट लिखी जाए। इसलिए हमने फैसला किया कि हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित अखबारों की रिपोर्ट्स के आधार पर कड़ियां जोड़ी जाएं और मामले को समझने की कोशिश की जाए। इस संकलन में हमारी तरफ से कोई भी फैक्ट वेरिफाई नहीं किया गया, बस अन्य अखबारों से जानकारियां जुटाई गई हैं। जिन अखबारों ने कांग्रेस नेता का नाम नहीं लिखा, समझा जा सकता है कि उनका इशारा किस ओर था। आप मूल खबर को पढ़ने के लिए लिंकों पर क्लिक कर सकते हैं, जो हमने टेक्स्ट के साथ दिए हैं।
हुआ क्या था?
सबसे पहले जानते हैं कि हुआ क्या। अमर उजाला की एक खबर का शीर्षक है- हमलावरों को छोड़ने पर भड़के लोग, पुलिस पर बरसाए पत्थर, लाठीचार्ज। इसमें लिखा है- ‘हिमाचल के बिलासपुर जिले के डियारा सेक्टर में युवकों पर जानलेवा हमले के बाद शुरू हुआ विवाद और गहराता जा रहा है। देर रात दो बजे तक हंगामे के बाद शनिवार को भी माहौल तनावपूर्ण रहा। आरोपी को शाम आठ बजे जमानत मिलने की खबर सुनते ही लोगों का गुस्सा भड़क उठा। मौके पर पहुंची पुलिस से भी लोगों की धक्कामुक्की हो गई। आरोपी युवक के घर के बाहर जुटी भीड़ ने पुलिस प्रशासन और कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।’
बिलासपुर सदर से कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर
आरोप लगाया जा रहा है कि मारपीट करने वालों में विधायक बंबर ठाकुर का बेटा भी था। मगर आज पंजाब केसरी की खबर के मुताबिक बंबर ठाकुर कहते हैं, ‘दो गुटों की लड़ाई में भाजपा बेवजह मेरे बेटे का नाम घसीट रही है जबकि सच्चाई यह है कि मेरा बड़ा बेटा मारपीट प्रकरण के दिन चंबा में था। नाना की मृत्यु के चलते वह अपनी माता को लाने के लिए चंबा के भरमौर गया हुआ था।’
मगर उस दिन अमर उजाला की खबर में लिखा था- ‘पुलिस की क्यूआरटी (क्यूक रिस्पांस टीम) की दो गाड़ियां आरोपी के घर के बाहर लगाई गईं। पुलिस ने मौका देखते ही करीब साढ़े 12 बजे आरोपियों को गाड़ियों में भरना शुरू किया। भारी मशक्कत के बाद करीब 17 लोगों को गाड़ियों में ले जाया गया। इनमें विधायक का बेटा भी शामिल था।‘
अब सच कौन कह रहा है और झूठ कौन, इसका फैसला हम नहीं कर सकते। मगर कई अखबारों ने प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से लिखा है कि बंबर ठाकुर अपनी गाड़ी में अपने बेटे को बिठाकर ले गए। पंजाब केसरी ने खबर छापी थी, जिसका टाइटल था- दबंग विधायक के बेटे की गुंडागर्दी पर भड़के लोग, तोड़फोड़-पथराव के बाद तनाव। इसमें लिखा है- ‘बताया जा रहा है कि भीड़ व अंधेरे का लाभ उठाते हुए हमलावर मौके से फरार हो गए। इस दौरान बंबर ठाकुर भी मौके पर पहुंचे तथा अपने बेटे को गाड़ी में बैठाकर ले गए। नेता की इस हरकत पर स्थानीय जनता भड़क गई तथा रात को 2 बजे तक लोग सिटी चौकी के पास डटे रहे। मामले के तूल पकडऩे पर हरकत में आई पुलिस ने 6 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया।’
अमर उजाला ने तो यहां तक लिखा है- ‘सवाल यह भी है कि अपना और अपने पुत्र का मामले से कोई सरोकार नहीं होने का दावा करने वाले उक्त नेता का पुत्र आखिर आरोपियों के कमरे में क्या कर रहा था? जो लड़कियां साथ थीं, वे क्या कर रही थीं। इनके साथ तीन माह का नवजात बच्चा भी था। कुछ और लड़के भी कमरे में थे, वे भी 18 साल से कम उम्र के थे। आरोपियों के कमरे में तेजधार हथियार भी थे।’ इस खबर को आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं। अब लड़कियों के भागने वाले इस प्रकरण का एक विडियो हमें यूट्यूब पर मिला, जिसे किसी विवेक ठाकुर नाम के शख्स ने डाला है। हम इस विडियो की पुष्टि नहीं कर सकते, मगर इसमें टाइटल है- बंबर का बेटा। इसमें लड़कियां भागती हुई नजर आ रही हैं।
गौरतलब है कि अब बंबर ठाकुर ने इस मामले को नशाखोरी का मामला बना दिया है। उनका कहना है कि यह झड़प नशे के कारोबार से जुड़े लोगों के बीच हुई औऱ उनके बेटे का नाम बेवजह घसीट दिया गया। अब कभी कांग्रेस इस मामले पर शक्ति प्रदर्शन कर रही है तो कभी बीजेपी मशाल की बात कर रही है। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह प्रकरण हिमाचल के लिए शर्मनाक है। ईटीवी ने इस खबर को प्रमुखता से जगह दी, जिसमें टीवी पर बंबर के बेटे को एक तस्वीर में पिस्तौल के साथ पोज़ करते दिखाया गया है।
इस तरह की तस्वीरें अगर किसी अन्य राज्य के विधायक के बेटे ने डाली होती या ऐसी हरकत की होती तो नैशनल मुद्दा बन गया होता, मीडिया कवर कर रहा होता। मगर घटना हिमाचल की है और सत्ताधारी पार्टी का है। उम्मीद तो नहीं की जा सकती कि पुलिस बिना दबाव के काम करेगी या फिर सरकार कोई निष्पक्ष जांच करवाएगी। इस दौर में खुलकर सच्ची कहानी बताने भी शायद ही कोई आएगा। मगर प्रतिष्ठित अखबार अगर कई सालों से हिमाचल में छप रहे हैं तो हम इतना मान ही सकते हैं कि इनकी रिपोर्ट झूठी नहीं है। और ये रिपोर्टें इशारा करती हैं कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ है। वैसे भी बंबर ठाकुर की खुद की इमेज इतनी साफ नहीं है। वह डॉक्टर को तबादला करने की धमकी देने के आरोपों में घिरे है।
In Himachal की राय: इस तरह से गुंडागर्दी हिमाचल की संस्कृति नहीं है। हिमाचल प्रदेश को इस राजनीति का और सरकार की चुप्पी का विरोध करना होगा, वरना वह दिन दूर नहीं जह यहां की राजनीति भी कुछ अन्य बदनाम राज्यों की तरह गंदी और गुंडागर्दी भरी हो जाएगी।