इन हिमाचल डेस्क।।
फेसबुक प्रोफाइल पर लगी हर तस्वीर स्टाइलिश। क्लीन शेव्ड लुक, बढ़िया सूट-बूट, सलीके से लगी टाई, काला चश्मा, जेल लगाकर सेट किए बाल, कलाई पर महंगी घड़ी और पैरों पर चमकते जूते…. देखने में एकदम सभ्य नजर आता है वह। मगर फेसबुक टाइमलाइन पर थोड़ा सा नीचे जाएं, तो कलई खुल जाती है। वाहियात बातों, छिछले कॉमेंट्स, बेढंगी पोस्ट्स और मां-बहन की गालियों के अलावा आपको कुछ नहीं मिलेगा। ऐसा लगता है मानो किसी जाहिल गंजेड़ी ने ये बातें लिखी हों, क्योंकि प्रोफाइल पर लगी फोटो से वे मैच नहीं करतीं।
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नीरज भारती |
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के ज्वाली से विधायक नीरज भारती की। कांगड़ा से पूर्व कांग्रेस सांसद चंद्र कुमार के सुपुत्र नीरज भारती आजकल चीफ पार्ल्यामेंट्री सेक्रेटरी, एजुकेशन हैं। एक तरह से प्रदेश में एजुकेशन डिपार्टमेंट के जूनियर मिनिस्टर। इनका पहनावा तो इस पद के साथ पूरा न्याय करता है, मगर इनकी भाषा और बौद्धिक स्तर सब गोबर कर देता है। हिमाचल प्रदेश का दुर्भाग्य है कि एजुकेशन जैसा अहम विभाग देख रहा शख्स इतना स्तरहीन और जाहिल है। पहली नजर में लगता है कि यह कोई फेक प्रोफाइल है, मगर खुद नीरज भारती ने इन हिमाचल से बातचीत में बताया कि यह असली है (पेज के आखिर में जाकर देखें)।
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महिला से गलत व्यवहार |
ऊपर हमारे द्वारा इस्तेमाल किए शब्द कठोर जरूर हैं, मगर नीरज भारती की फेसबुक प्रोफाइल पर जाकर आप इसकी पुष्टि कर सकते हैं। हमने आपको बताया था कि कैसे
नीरज भारती ने नरेंद्र मोदी को लेकर टिप्पणी की थी और फिर लोगों को गालियां दी थीं। अब फिर महिला के साथ बदतमीजी से बात करने और अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर अभद्र भाषा इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है। कई बार हमने यह मुद्दा उठाया, क्योंकि प्रदेश की इज्जत का सवाल था। मगर किसी और ने इस मुद्दे में रुचि नहीं दिखाई। यही वजह है कि नीरज भारती जैसा शख्स आज बेलगाम हो चुका है।
पढ़ें: नीरज भारती ने इस्तेमाल की अमर्यादित भाषा
अपनी प्रोफाइल पर नीरज भारती कहते हैं कि वह लोगों को उनकी भाषा में ही जवाब दे रहे हैं। जनाब! आपमें और गली के लफंगों में फर्क है या नहीं? हिमाचल प्रदेश के तमाम नेता फेसबुक पर हैं, उनकी टाइमलाइन तो इतनी गंदी नहीं है। फिर आपकी क्यों? मक्खियां गंदगी की तरफ आकर्षित होती हैं भारती जी, सफाई रखिए अपनी टाइमलाइन पर, मक्खियां नहीं आएंगी। अपना नहीं, तो कम से कम अपने पिता और परिवार की इज्जत का ख्याल रखिए।
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माना कि कोई शख्स अभद्र भाषा इस्तेमाल कर रहा है, तो क्या नेता को भी उसी के स्तर पर उतर आना चाहिए? |
मुख्यमंत्री वीरभद्र को भी शर्म नहीं?
मुख्यमंत्री वीरभद्र का नाम राजनीतिक गलियारे में आज भी इज्जत के साथ लिया जाता है। मगर कई बार नीरज भारती की करतूतें जाहिर होने के बावजूद वह खामोश बैठे रहे। वह शख्स पीएम को गालियां देता रहा, महिलाओं से बदसलूकी करता रहा, मगर मुख्यमंत्री राजनीतिक रोटियां सेंकते रहे और कांग्रेसी ‘राजा साहब’ की जय करते रहे। कहते हैं कि नीरज भारती को सीपीएस इसलिए बनाया गया, क्योंकि वीरभद्र हमेशा ‘अपनों’ का ख्याल रखते हैं। मुख्यमंत्री जी! अगर अपनों का ख्याल रखते हैं, तो इस बात का भी रखा करो कि वे क्या कर रहे हैं।
कांग्रेसियों को तो डूब मरना चाहिए
शर्म तो उन तमाम कांग्रेसियों को भी आनी चाहिए, ‘राजा जी’ और ‘टीका जी’ का जाप जपे बिना जिनका खाना हजम नहीं होता। अगर उन्हें अपनी पार्टी और अपने प्रदेश की चिंता होती, तो वे जरूर पूछते कि आखिर क्यों इतने सारे विधायकों को नजरअंदाज कर ऐसे शख्स को इस पद पर बनाए रखा गया है? क्यों उसकी तमाम गलतियों को नजरअंदाज किया जा रहा है? क्यों उसे पार्टी और सरकार की इमेज को नुकसान पहुंचाने दिया जा रहा है?
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मोदी और अटल के खिलाफ अभद्र भाषा |
कहां सोई है हिमाचल बीजेपी?
एक शख्स… कोई ऐरा-गैरा शख्स नहीं, सरकार में शामिल शख्स आपके प्रधानमंत्री और आपकी पार्टी के संस्थापक को गालियां दे रहा है। वह सामान्य लोगों को भी गालियां दे रहा है, मगर आप खामोश हैं। आपका जमीर नहीं जाग रहा। आपको लगता है कि वह पब्लिसिटी बटोर रहा है, रहने दो। अजी आपको उसकी पब्लिसिटी से क्या लेना-देना? अनुराग ठाकुर, एचपीसीए, धर्मशाला ग्राउंड, क्रिकेट ही आपके लिए मुद्दा बचा है? इन मामलों में तो आप एक-दूसरे का सिर फोड़ने पर उतारू हो जाते हैं। आप सेशन नहीं चलते दे। कोई दूसरी पार्टी का संवैधनिक पद पर बैठा शख्स आपके सम्मान को ठेस पहुंचा रहा है और आप आराम से बैठे हुए हैं? धिक्कार है ऐसी राजनीति पर!
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दिव्य हिमाचल पर किया गया प्रहार |
प्रदेश का मीडिया क्यों खामोश है?
‘इन हिमाचल’ न्यू मीडिया है और इसकी पहुंच अभी अखबारों जैसी व्यापक नहीं है। मगर दिव्य हिमाचल, दैनिक जागरण, भास्कर, पंजाब केसरी और अमर उजाला जैसे अखबार क्या कर रहे हैं? क्या वे भूल गए हैं कि खबर क्या होती है? क्या उन्हें एक सीपीएस द्वारा गाली देने में खबर नहीं दिखती? या स्थानीय पत्रकार अपने हितों की चिंता करते हुए और संबंध खराब हो जाने के डर से न्यूज लगाने से बच रहे हैं? यही है आपकी पत्रकारिता?
कुछ दिन पहले दिव्य हिमाचल ने खबर छापी थी, तो उस पर भी नीरज भारती ने भला बुरा कहते हुए चुनौती दी थी। इस पर क्या हार मान ली दिव्य हिमाचल ने? एक दिन फ्रंट पेज पर आप नाम और स्क्रीनशॉट के साथ इसकी खबर दिखाइए, अगले दिन से बंदे की अक्ल ठिकाने न आए तो कहना। हम सब पत्रकारिता कर रहे हैं। प्रतियोगिता भाव की बात नहीं है, यह हमारे पेशे की बात है। अगर कोई आपको कुछ कहता है, तो वह पूरी बिरादरी पर हमला है। आपकी प्रतिष्ठा से हम सबकी प्रतिष्ठा जुड़ी है। आप आगे बढ़िए, हम आपके साथ हैं।
शर्मिंदा तो हम भी हैं
हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक हों। हमने नीरज भारती ही नहीं, तमाम मुद्दों को उठाने की कोशिश की है। हमारी पहुंच जरूर कम है, मगर इरादे और जज्बा बड़ा है। अगर नीरज भारती जैसों पर लगाम नहीं लगाई गई, तो एक दिन आएगा, जब हमारे प्रदेश की राजनीति की हालत भी उन प्रदेशों जैसी हो जाएगी, जहां पर ऐसी बातें आम हैं। और अफसोस की बात तो यह है कि उन प्रदेशों में भी ऐसी हरकतें कोई नेता नहीं करता। नीरज भारती जैसे लोग मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के ऊपर कलंक हैं, क्योंकि वह उन्हीं की बदौलत इस पद पर हैं। और पूरे हिमाचल प्रदेश के गाल पर एक तमाचे की तरह हैं, क्योंकिं हमारे प्रदेश की छवि को वह खराब कर रहे हैं और हम खामोश हैं।
हमने नीरज भारती से सवाल करके पूछा कि क्या यह उनकी ही प्रोफाइल है, तो जवाब मिला हां। उनसे जब M***C*** और B****C*** को लेकर सवाल पूछा गया, तो जवाब बेहद मजेदार था। उनका कहना था कि यह Before Christ और Mahan Chanakya भी हो सकता है। ऐसे तर्क तो खुद चाणक्य ने भी नहीं दिए होंगे। खुद देखिए बातचीत का स्क्रीनशॉट:
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नीरज भारती का पक्ष
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