केलांग।।
जिला में बागबानी के प्रति युवा किसानों का रुझान बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में नए फलदार सेब के पौधे लगाने के साथ-साथ किसानों द्वारा आधुनिक तकनीक को भी अपनाया जा रहा है। जिला में पिछले एक दशक में कई हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फलदार पौधे लगाए गए हैं और हज़ारों टन सब्जियों का उत्पादन भी दर्ज किया है। पट्टन घाटी के युवा किसान और बागवान आशीष ने बताया कि पिछले दस बर्ष में जिला के हज़ारों हेक्टेयर क्षेत्र में सरकारी मदद और अपने आप किसानों बागवानों ने फलदार सेब के पौधे लगाए हैं और इन पौधों से फलों का उत्पादन शुरू भी हो चूका है। इसी प्रकार कई हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों द्वारा ऑर्गेनिक सब्जियां उगाई गई हैं और इस क्षेत्र में पिछले सालों में टनों के हिसाब से सब्जियों का उत्पादन हुआ है। किसानों द्वारा कई हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती भी की जा रही है और इनसे हज़ारों के हिसाब से स्टीक्स का उत्पादन किया गया है।
जाहलमा गाँव के एक युवा किसान ने बताया कि किसानों को सब्जियों के उत्पादन को वैज्ञानिक और आधुनिक तकनीक के साथ भी जोड़ा जा रहा है। अब तक किसानों द्वारा कई हेक्टेयर क्षेत्र में पोलीहाउस की स्थापना की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि बाकि जिलों में सरकार सब्जी और फल उत्पादक किसानों को विभाग द्वारा प्लास्टिक क्रेट 50 से 80 प्रतिशत अनुदान पर दिए जाते हैं । लाहौल में भी सब्जी उत्पादक किसानों को आधुनिक कृषि के लिए मिनी किट भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।
उदयपुर उपमंडल के एक युवा किसान वीरेंदर बताते हैं ” कैसे अधिकारी और बड़े अफसरों ने (जिसमें डी सी भी परिवार के साथ शामिल था) किसानों के नाम पर 25-30 लाख खर्च कर हवाई जहाज में सफ़र कर बड़े बड़े स्टार होटलों में केरल घूम कर आये हैं अगर इस पैसे से लाहौल के किसानों को हिमाचल और पंजाब में स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी या हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग देते तो कुछ लाभ होता मगर अफसरों ने नेताओं के चमचों के साथ किसानों का पैसा मौज मस्ती में उड़ा लिया, हैरानी पूछने वाला कोई नहीं है।”
किसानों ने मांग की है की आलू और मटर के बीज पर सरकार को अनुदान देना चाहिए और बागबानी अधिकारियों को निर्देश दिए जाने चाहिए कि वे जिला में सेब,अखरोट व भौगोलिक स्थिति में मुताबिक अन्य फलों के बाग लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करें।
उन्होंने यह भी कहा कि बागवानी अधिकारी अधिक से अधिक किसानों को संपर्क करें और उनके बीच बैठकर विभाग की योजनाओं की जानकारी दें और उन्हें फलों और सब्जियों की आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीक अपनाने के लिए भी प्रेरित करें।
साभार: लाहौल स्पीति पेज