धर्मशाला का नाम स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट में आने से नाखुश हैं चेतन बरागटा?

शिमला।।
धर्मशाला का चयन स्मार्ट सिटी के लिए होने से और शिमला के रह जाने से बीजेपी नेता और पूर्व बागवानी मंत्री नरेंद्र बरागटा के बेटे चेतन बरागटा नाखुश नजर आ रहे हैं। उनके फेसबुक पेज पर डाली गई पोस्ट से संकेत मिल रहे हैं कि  हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र की स्मार्ट सिटी योजना के लिए धर्मशाला का नाम दिया जाना शायद उन्हें रास नहीं आ रहा। शायद वह चाहते थे कि हिमाचल से शिमला को इस प्रॉजेक्ट के लिए नामित करना चाहिए था। यह ध्यान रहे कि हिमाचल से एक ही शहर नामित होना था। इसलिए उन्होंने धर्मशाला वासियों को बधाई तो दी है, मगर यह सवाल भी उठाया है कि शिमला को इस प्रॉजेक्ट में क्यों नहीं डाला गया।
चेतन बरागटा (twitter से साभार)
भारतीय जनता युवा मोर्चा नेता ने इस बारे में एक आरटीआई भी डाली थी, जिसके जवाब में कहा गया कि आपने जो पूछा है, वह जानकारी सूचना के दायरे में नहीं आती। बरागटा ने कहा है कि अब राज्य सरकार जानकारी छिपा रही है, जो कि गलत है और पक्षपात है।

बरागटा ने लिखा है, ‘हिमाचल प्रदेश का नागरिक होने के नाते मैं धर्मशाला के नागरिकों को स्मार्ट सिटी के लिए नामित होने की बधाई देता हूं। हालांकि, स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट से  शिमला को निकाल दिए जाने को लेकर मेरे सवाल अभी तक जवाब का इंतजार कर रहे हैं। मैंने आरटीआई के जरिए हिमाचल प्रदेश सरकार से सवाल पूछा। उन्होंने मुझे यह जानकारी नहीं दी। मैंने मंत्री से ट्विटर पर सवाल पूछा तो उन्होंने मुझे ब्लॉक कर दिया। हिमाचल सरकार जानकारी क्यों छिपा रही है, मुझे समझ नहीं आ रहा। यह पक्षपात क्यो?

As a citizen of Himachal, I congratulate the citizens of Dharamshala for being nominated for “ Smart City”.However my…
Posted by Chetan Singh Bragta on Saturday, August 29, 2015

गौरतलब है कि केंद्र ने राज्यों के लिए पहले ही बता दिया था कि उन्हें कितने शहरों के नाम भेजने हैं। इसके तहत हिमाचल प्रदेश से एक ही शहर का नाम स्मार्ट सिटी के लिए भेजा जाना था। हिमाचल प्रदेश की तरफ से धर्मशाला भेजा गया था, जिसका 28 अगस्त को देश के अन्य 98 शहरों के साथ ऐलान किया गया।
सोशल मीडिया पर नरेंद्र बरागटा द्वारा अपने फेसबुक पेज पर शेयर की गई पोस्ट को क्षेत्रवाद से प्रेरित बताया जा रहा है। लोगों का कहना है कि बरागटा शिमला से हैं, इसलिए उन्हें शिमला की ज्यादा चिंता है और प्रदेश हित में नहीं सोच रहे। एक अन्य शख्स ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, ‘चेतन बरागटा जानते हैं कि जब प्रदेश से एक ही नाम भेजा जाना था तो इसमें पक्षपात वाली बात क्या हो गई? कल को मंडी, मनाली, सोलन, हमीरपुर के लोग ऐसा बोलने लग जाएंगे। प्रदेश का हित नहीं दिखता इन राजनेताओं को।’
एक अन्य शख्स ने लिखा है कि राज्य सरकार पर धर्मशाला को चुनकर पक्षपात का आरोप लगाने वाले बरागटा यह नहीं देख रहे कि शिमला को न चुने जाने को लेकर उनका दर्द खुद पक्षपात से प्रेरित है। वह हिमाचल का नागरिक होने के नाते धर्मशाला के लोगों को औपचारिक बधाई तो दे रहे हैं, मगर शिमला वासी होने के नाते धर्मशाला को तरजीह दिए जाने को लेकर नाखुश हैं।’
उधर, जानकारों का कहना है कि शिमला में विस्तार की संभावनाएं बिल्कुल नहीं हैं। एक तरफ कंक्रीट का जंगल है और दूसरी तरफ वन। साथ ही राजधानी होने की वजह से वहां लगातार बोझ बढ़ता जा रहा है। इसलिए धर्मशाला को स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट में डाला गया है, जिससे वह शिमला के ऊपर लगातार बढ़ रहा बोझ साझा कर सके।
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