उपचुनावों में कांग्रेस ने दिए अपने बेस्ट कैंडिडेट, अब बीजेपी की बारी

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इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनावों के लिए कांग्रेस ने टिकटों की घोषणा कर दी है। जिन चेहरों को कांग्रेस ने टिकट दिया है, वह विनेबिलीटी यानी जीत की संभावना के आधार पर पार्टी के बेस्ट कैंडिडेट माने जा रहे हैं। उनकी जीत होगी या नहीं, यह तो जनता तय करेगी। मगर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कांग्रेस ने अपने पास उपलब्ध विकल्पों में सही चुनाव किया है। अब बीजेपी को भी उम्मीदवार तय करने में तगड़ी माथापच्ची करनी पड़ेगी।

मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह को टिकट दिया है। टिकट की घोषणा होते ही प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने फेसबुक पर पोस्टर डाला जिसमें कहा गया था- वोट नहीं श्रद्धांजलि। यह दिखाता है कि इस बार कांग्रेस की तैयारी दिवंगत वीरभद्र सिंह के नाम पर सहानुभूति वोट बटोरने की है।

इस बात का पता इससे भी चलता है कि कांग्रेस ने जब अपने  उम्मीदवारों के नाम जारी किए, उसमें प्रतिभा सिंह का नाम प्रतिभा वीरभद्र सिंह लिखा हुआ है। जबकि यह नाम उन्होंने पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया, 2014 के चुनावों में उनके हलफनामे में भी उनका नाम प्रतिभा सिंह ही लिखा हुआ था।

इन सभी बातों को देखें तो प्रतिभा सिंह कांग्रेस की सबसे मजबूत उम्मीदवार हैं। सहानुभूति वोट मिलेंगे या नहीं, यह तो अलग बात है मगर पहले भी इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व वह कर चुकी हैं। ऐसे में वह आश्रय शर्मा, कौल सिंह या अन्य किसी भी उम्मीदवार से कहीं मजबूत चॉइस हैं।

विधानसभा उपचुनावों में भी मजबूत उम्मीदवार
जुब्बल-कोटखाई में होने जा रहे उपचुनाव में पूर्व विधायक रोहित ठाकुर को कांग्रेस ने टिकट दिया है। उन्हें पहले से ही कांग्रेस का तय उम्मीदवार माना जा रहा था क्योंकि उन्होंने 2017 में हार के बाद भी वह अपने क्षेत्र में एक्टिव रहे थे और अपनी राजनीतिक जमीन पर पकड़ बनाए रखी थी। उनके अलावा कांग्रेस का और कोई चेहरा टिकट की दौड़ में शामिल नहीं था। वैसे भी पिछले चुनावों में वह मात्र 1062 वोटों से हारे थे। बीजेपी की ओर से यहां चेतन बरागटा का टिकट लगभग तय माना जा रहा है। ऐसा हुआ तो नीलम सरैक की नाराजगी भी बीजेपी को भारी पड़ सकती है।

फतेहपुर में भवानी सिंह पठानिया
भवानी सिंह पठानिया वह शख्स हैं जिन्होंने कुछ साल पहले फेसबुक पर लिखा था कि नेता पुत्रों को टिकट नहीं दिया जाना चाहिए। मगर आज वह पिता सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद खुद चुनाव लड़ने जा रहे हैं। पिता सुजान सिंह पठानिया की तरह जनता का प्यार उन्हें मिलेगा या नहीं, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। वहां कांग्रेस के कई धड़े हैं, कई नेता हैं जो टिकट मांग रहे हैं। मगर चुनावी राजनीति जीत की संभावना का खेल है। ऐसे में सबसे ज्यादा विनेबिलिटी भवानी सिंह पठानिया की ही थी।

अर्की में संजय अवस्थी ही कांग्रेस की चॉइस
भले ही टिकटों की घोषणा के बाद कांग्रेस में कई कार्यकर्ताओं ने पद छोड़ दिए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की मगर संजय अवस्थी के अलावा कांग्रेस किसी और को टिकट देने की स्थिति में नहीं थी। ऐसा इसलिए क्योंकि संजय अवस्थी ही कांग्रेस के वह नेता हैं जो लगातार लोगों के बीच एक्टिव थे। हालांकि पार्टी के ही लोगों की नाराजगी अवस्थी को नाराज कर सकती है। लेकिन अगर हम यह सोचें कि अवस्थी की जगह किसी और टिकट दिया जाता तो अवस्थी की नाराजगी तो कांग्रेस को और ज्यादा भारी पड़ सकती थी।

कुल मिलाकर बात यह है कि अब भारतीय जनता पार्टी को भी इन सभी सीटों पर मजबूत उम्मीदवार देने होंगे। आज रात तक बीजेपी की ओर से एलान होने की उम्मीद है। उसके बाद थो़ड़ा अंदाजा लग पाएगा कि किस सीट पर किसे आसानी से जीत मिलने की संभावना है और कहां पर मुकाबला कांटे का होगा।

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