इन हिमाचल डेस्क
बीजेपी प्रसिडेंट सतपाल सत्ती ने अपनी कार्यकरणी का विस्तार कर दिया है जिसमे कई नए पुराने चेहरों को जगह दी गई है। कुछ लोग और पुराने कार्यकर्ता अपना नाम न देखकर नाराज भी पाए गए हैं। जो भी है यह पार्टी का आंतरिक मामला है पर इन हिमाचल को ऐसे ही किसी नाराज वरिष्ठ कार्यकर्ता का मेल प्राप्त हुआ जिसमें उन्होंने अमित शाह को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी अलग ही तरीके से व्यक्त की है। यहाँ आपको हम वो पत्र लिखने वाले की भाषा में ही दिखा रहे हैं पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया दें
” आदरणीय
श्री अमित भाई शाह जी
राष्ट्रीय अद्यक्ष भारतीय जनता पार्टी
सादर प्रणाम आपके संज्ञान में अवश्य यह बात आई होगी की हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्य्क्ष श्री सतपाल सिंह सत्ती जी ने अपनी कार्यकरणी का गत दिवस गठन कर लिया है। मेरी तरह और अन्य लोगों की तरह आप देखेंगे तो यह नयी कार्यकरणी सिर्फ पुरानी बोतल में नई शराब की तरह है या यूँ कहें की लक्सेरी बस में बैठे लोगों की बस सीट बदल दी गई है।
महोदय मैं 1985 से पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूँ इससे पहले के विद्यार्थी परिषद के जीवन को तो मैं गिन ही नहीं रहा हूँ। महोदय मेरे जैसे सैंकड़ों कार्यकर्ता लोगों की उम्मीद हर बार की तरह इस बार भी टूट गयी है की उन्हें भी कभी संग़ठन में किसी पद पर बिठाया जाएगा। आखिर हम जैसे लोगों के साथ ऐसा क्यों हो रहा है हम लोग न पार्टी टिकट चाहते हैं न लाल बत्ती के सपने देखते हैं बस दिन रात पार्टी के कार्यों में लगे हुए हैं की देश में भाजपा का परचम हो। आखिर हैं तो हम भी इंसान एक चपरासी भी लम्बी नौकरी के बाद सोचता है उसे कलर्क प्रोमोट कर दिया जाए ऐसे ही हम भी सोचते हैं की पार्टी सरकार में न सही संग़ठन में ही हमें जिम्मेदारी सौंपे पर यहाँ तो हमारा प्रोमोशन चैनल ही अवरूद्ध है।
यहाँ मास्टर आफ आल हैं हमारा नंबर आता ही नहीं जिन्हे विधायक बनना है वही संग़ठन में भी हैं। जिन्हे चेयरमैन बनना है वो भी संग़ठन में है। जनाब जब यही लोग सब कुछ घूम घूम कर होते रहेंगे तो हमारा क्या होगा।
बहुत क्रांतिकारी विचारों से राजनीति में आए थे भले जमाने में पिताजी ने खेती के दम पर शहर पढ़ने भेजा था अपने गावं के इकलौते लड़के थे जो कालेज की देहलीज़ तक पहुंचे थे पार्टी के लिए मार खाई गावं गावं घूमे पोस्टर लगाए पढ़ाई लिखाई सब चौपट की।
उस जमाने में तुरंत नौकरी लग जाती थी एक इंटरव्यू में लगभग फाइनल काम था पर जिस दिन इंटरव्यू था उस दिन हम जोशी आडवाणी के साथ कारसेवक बनकर आयोध्या पहुँच गए थे। पिताजी ने बहुत रोका नहीं माने पार्टी के लिए चले गए। पर मिला क्या पाव के पंजे भी घिसट घिसट के छोटे हो गए हैं पर हम उस समय भी कार सेवक थे आज भी कार सेवक ही हैं। मोदी जी तो चाय बेच के प्रधानमंत्री बन गए पर हम तो चाय बेचने के लायक भी आज नहीं रहे।
इस बारे में जब बड़े नेता से बात करो तो कहा जाता है की ” अभी कार्य करते रहिये संग़ठन में जल्द ही आपको लिया जाएगा ” धूमल साब हमारे सामने सामने आए थे सांसद बने फिर मुख्यमंत्री हो गए एक दिन पता चला उनका कोई बेटा भी है ” अनुराग ठाकुर ” अभी नाम ही सुना था की वो फुर्र से सांसद भी हो गए और राष्ट्रीय मोर्चा के अद्यक्ष भी बन गए , बरागटा जी का बेटा आज सुना है कोई इंचार्ज बना हुआ है दिल्ली में , कुल्लू में पढ़ने वाले गोविन्द ठाकुर हमारे दौर के थे जब तक हमें शादी के लिए लड़की मिली तब तक वो दो बार विधायक भी हो गए। रैली के लिए लोगों को ढोते रह गए गावँ गावं से। अब तो बीवी भी ताने मारती है नेता तो तुम क्या बनते पर ठेकदार तक नहीं बन पाए। जब जब पार्टी की सरकार आई लोगों ने सरकार आने पर ट्रांसफर करवा के पैसे कमाए कुछ ठेकदार हो गए और हम दीन दयाल जी का “एकात्म मानवतावाद ” और शांता कुमार का अंतोदय पाठ रटते रह गए।
अंत में सब तरफ से हारकर भलेमानस लोगों के कहने पर हमने भी अपनी शैली बदली यानी भाजपा से हटकर नेता के पीछे लगने लगे कई गुट बदले पर कोई मेहरबान नहीं हुआ। ये शांता जी भी बड़े जालिम निकले सोचा था कभी हमारा उद्धार करेंगे पर इन्हे भी कपूर निक्का , परमार परवीन जी ही भाए। धूमल जी की आँख में कभी हम सुहाए ही नहीं और नड्डा जी से जादू की जफ्फी और प्यारी मुस्कान के अलावा हमारे हिस्से में कुछ आया नहीं।
महोदय अब किसी छोटे पद की लालसा भी करो तो बड़े नेता प्यार से समझाते हुए कह देते हैं की ” अरे भाई पुराने आदमी हो पार्टी के अब इस छोटे पद पर अच्छे थोड़ी लगेगा। दिल तो करता है यह बोल दे पुराने हैं तो अद्यक्ष क्यों नहीं बना देते छोटे बड़े के बहाने क्यों बनाते हो जब नहीं देना है कुछ तो सीधे बोलो /
आज के विधायकों के और पार्टी के कारदारों के घरों का यह हाल है की अभी बाप पीछे हटा नहीं उनके स्कूल जाने वाले बच्चे सफ़ेद कपडे पहनकर अपनी राजनीति पुष्ट करने में लगे हैं। युवा मोर्चा तो भारतीय जनता युवा मोर्चा नहीं बल्कि भाजपा नेता पुत्र एडजस्टमेंट मोर्चा हो गया है। महोदय आखिर हममे और कांग्रेस में फिर क्या फर्क रह गया है ? कांग्रेस तो एक पप्पू को एडजस्ट करने में लगी है। यहाँ तो सप्पू , टप्पू , नप्पु झप्पू आदि बहुत बच्चे लाइन में हैं।
1985 से पार्टी मे घिसटते हुए कार्यकर्ता का टैग लगाये हुए मेरे जैसे कई लोग अभी भी राज्य कार्यकारणी में नाम आने की राह देख रहे हैं। और कुछ लोग हवाई सफर करते हुए मीलों आगे चले गए हैं अब यह टैलेंट है या सेटलमेंट कौन जाने
हर बार कार्यकरणी बनने से पहले बड़े नेता लोगों के चक्कर लगाते थे की इस बार कुछ होगा इस बार पक्का होगा उस बार पक्का होगा परन्तु अब तो टुकुर टुकुर उम्मीदों को ढोती यह आँखे भी अंधी हो चली हैं।
दुखी हूँ पर अनुशाशन का पक्का हूँ। क्या करूँ पुराना आदमी हूँ संस्कार समेटे हुए हूँ। आपको खीज में पत्र लिखा उसमे नाम भी लिख दिया मीडिया को भी दे रहा हूँ पर वहां नाम नहीं दूंगा। नहीं तो बड़े नेता जो कार से उतरते चढ़ते हुए जरा सा देखकर मुस्कुरा देते हैं नाम ले के पुकार देते हैं तो वो भी बंद हो जाएगा। अब इसी सहारे तो समाज में टिके हुए हैं। चार ज्ञान की बाते कहीं चौक पर पेल देते हैं तो लोग सुन लेते हैं की जानकार आदमी है पार्टी का बड़े लोग जानते हैं इसे। अगर यह भी बंद हो गया तो गावं मोहल्ले में वही इज़्ज़त रह जाएगी जो घर में बीवी बच्चों के सामने है। इसलिए मीडिया में नाम देने का रिस्क नहीं ले सकता
इसी के साथ शब्दों को विराम देता हूँ आपके पत्र का इंतज़ार रहेगा। मेरा वक़्त तो गया पर उम्मीद है मेरी भावनाओं को पढ़कर आप उन नौजवानों के लिए भविष्ये में कोई एंट्री स्कीम पार्टी संग़ठन में लेकर आएंगे जिनका कोई माई बाप गॉडफादर पार्टी में नहीं है। “
धन्याबाद
एक भड़का हुआ भाजपाई
पद -कार्यकर्ता
अनुभव – 31 वर्ष ”