स्वामित्व एवं फंडिंग

इन हिमाचल ने सीधे किसी से विज्ञापन न लेने की अपनी नीति में बदलाव किया है जिसकी जानकारी अपने पाठकों को देना हम अपना कर्तव्य समझते हैं।

इन हिमाचल की स्थापना साल 2014 में की गई थी ताकि पाठकों तक वह खबरें, विचार और अन्य सूचनाएं पहुंचाई जा सकें जो पारंपरिक मीडिया किन्हीं विवशताओं के कारण प्रकाशित या प्रसारित नहीं करता। इस लक्ष्य में इन हिमाचल के टाइटल के तहत पत्रकारों, कानूनविदों, पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, बाग़वानों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को जोड़ा गया। वैचारिक पोर्टल से शुरू हुआ रास्ता बाद में समाचार पोर्टल तक पहुँच गया।

शुरु में स्वतंत्र पोर्टल के तौर पर काम करने वाला इन हिमाचल वर्ष 2019 में एक पंजीकृत कंपनी के तौर पर अस्तित्व में आया जिसका स्वामित्व अब मेज मीडिया के पास है। 2021 जून तक इन हिमाचल ने सरकार, किसी दल, संगठन, संस्था, व्यक्ति या कंपनी से सीधे कोई विज्ञापन नहीं लिया। कंपनी की आय लंबे समय तक फ़ेसबुक ऑडियंस नेटवर्क और गूगल ऐडसेंस पर आधारित रही और इसी आय से डोमेन, होस्टिंग, मेनेटेनेंस के खर्च पूरे किए जाते रहे।

इन हिमाचल ने सात साल तक कई निजी विज्ञापन ठुकराए और आर्थिक दबाव का सामना किया मगर बदलती हुई तकनीक के कारण यह फैसला लेने को विवश होना पड़ा है। अब लोग वीडियो कॉन्टेंट अधिक देखते हैं जिस कारण इन हिमाचल को लिखित आर्टिकल्स और समाचारों के विज्ञापनों से गूगल ऐड के माध्यम से होने वाली आय बंद हो गई है।

इस बीच पाठकों से अनुदान लेने की भी कोशिश की गई मगर हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य से कम रकम आने के कारण पोर्टल का विस्तार कर पाना संभव नहीं हो पाया। इसलिए, अब इन हिमाचल ने सीधे विज्ञापन न लेने की नीति में बदलाव करने का फैसला किया है ताकि आर्थिक रूप से सशक्त होकर अपने पाठकों को अच्छी सामग्री उपलब्ध करवाई जाए।

पाठकों को यह भरोसा दिलाया जाता है कि विज्ञापन की चाह में पत्रकारिता के मूल्यों से किसी तरह का समझौता नहीं होगा। किसी से आर्थिक अनुदान लेकर उनपर निर्भरता नहीं बनाई जाएगी ताकि कल वे कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर हमारे कॉन्टेंट को न प्रभावित करने लगें। अभी भी राजनीतिक विज्ञापनों से दूरी बनाकर रखी जाएगी।

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