चिरंजीत परमार।। जयराम जी, आप तो किसान परिवार से हैं। आपको इस बात से बखूबी वाकिफ होना चाहिए के पौधे केवल “लगाने” भर से ही नहीं लग जाते। रोपने के बाद इनकी समुचित देखभाल भी होनी चाहिए। क्या आपने (मेरा मतलब सरकार ने) यह भी सुनिश्चित किया है कि इन पौधों की बाद में देखभाल भी जाएगी?
कोई कर्मी यहाँ नियमित रूप से जाया करेगा, इनके तौलिये आदि बना कर इनकी गुड़ाई करेगा? जब जरूरत होगी तो इनकी सिंचाई करेगा? इनको जंगली जानवरों से बचाएगा? कीड़े या बीमारी का प्रकोप होने पर इनका समुचित बचाव करेगा, बाद में इनके खाद आदि भी दी जाएगी?
अगर ऐसा नहीं होगा तो इन पौधों का भी वही हश्र होगा जो पिछले साठ वर्षों से वन महोत्सवों या अन्य पौधारोपण समारोहों में लगाए गए अरबों-खरबों पौधों का हुआ है। कहीं नजर आते हैं वे पौधे?
ऐसे समारोहों का कोई लाभ नहीं है जब तक यह सुनिश्चित न कर लिया जाये कि रोपने के बाद इन पौधों के समुचित देख भाल की जाएगी और इनको किसी भी हालत में मरने नहीं दिया जाएगा।
आप तो जानते हैं कि नया रोपा हुआ पौधा छोटे बच्चे के तरह देखभाल मांगता है जो कम से कम चार साल तक चलनी चाहिए। तभी इन आयोजनों का लाभ हो सकेगा वरना ये पैसे की बरबादी के सिवाय कुछ नहीं हैं।
जय राम जी, आप अन्य नेताओं से अलग पृष्ठ भूमी के नेता हैं। आप इन कार्यक्रमों में बदलाव लाएँ ताकि वास्तव में परिणाम मिल सकें। यह आपकी बहुत उपलब्धि लोगी और इसके लिए आप याद रखे जाएँगे।
मेरा मित्रों से अनुरोध है कि वे इस पोस्ट को इतना शेयर करें कि यह माननीय मुख्य मंत्री महोदय तक पहुँच जाये और वे इस पर कारवाई कर लें।
(लेखक जानेमाने फ्रूट साइंटिस्ट हैं। लेख उनकी फेसबुक टाइमलाइन से आभार सहित लिया गया है)