आउटसोर्स्ड कर्मियों को मर्ज करना बेरोजगारों से भद्दा मजाक

प्रतीकात्मक तस्वीर
  1. इन हिमाचल डेस्क।। दूरदृष्टिहीन नेताओं की निशानी- बेरोजगार युवाओं को नौकरी के समान अवसर न देना और बैकडोर से किसी और की भर्ती करके वाहवाही लूटना। जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा है कि विभाग में आउटसोर्स पर रखे 989 कर्मचारियों को विभाग में मर्ज किया जाएगा।

पहले सरकारें कहती हैं- रेगुलर भर्ती के लिए पैसे नहीं हैं, हम आउटसोर्स कर्मी रखेंगे। मजबूर युवा औने-पौने मेहनताने पर कंपनियों से जुड़ जाते हैं। ये कंपनियां (ठेकेदार) सरकार से पैसे लेकर अपने जो कर्मचारी रखती है, उन्हें कम वेतन देती है। युवा इस उम्मीद में अपना शोषण करवाते हैं कि किसी दिन पक्के हो जाएंगे।

उधर, दूसरी ओर बाकी बेरोजगार आस लगाते हैं कि आउटसोर्स की व्यवस्था तो टेम्पररी है, किसी दिन पक्की भर्ती निकलेगी और हमें आवेदन का मौका मिलेगा। मगर फिर किसी दिन कोई मंत्री एलान करता है कि आउटसोर्स पर रखे गए कर्मचारी महकमे में मर्ज किए जाएंगे। फिर किसी दिन वे रेगुलर भी हो जाएंगे।

इस तरह असंख्य बेरोजगारों का सपना टूट जाता है। बिना कम्पीट किए वो नौकरी की दौड़ से बाहर हो जाते हैं। जबकि आउटसोर्स में लगने वाले कर्मचारी, जो स्वेच्छा से यह जानते हुए निजी कम्पनी या ठेकेदार के पास लगे थे कि उनकी नौकरी सरकारी नहीं है, वे सरकारी मुलाजिम बन जाते हैं।

पिछली सरकार को दोष दिया जाता है कि ये व्यवस्था उसने की थी। अजी, आपाने क्यों सत्ता में आने के बाद ये बन्द नहीं की? अब आपको चिंता हो रही है कि इनके साथ शोषण न हो, इसलिए हम इन्हें महकमे में शामिल कर रहे हैं। आपको इनके शोषण की चिंता है, बाकी बेरोजगारों की नहीं?

और फिर सरकार का वो शुरुआत वाला लॉजिक भी धरा का धरा रह जाता है कि ‘हम रेगुलर भर्ती करके लोग इसलिए नहीं रख रहे कि पैसा नहीं है।’ अरे जब पक्का ही करना था तो शुरू से ढंग से भर्ती निकालकर लोगों को कम्पीट करने का मौका देते! क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं सबको समान अवसर देने की?

हर महकमे में यही हो रहा है। इसे कहते हैं बैकडोर भर्तियां। चहेतों को नौकरी देना, भले उनसे कहीं ज्यादा लायक लोग बेरोजगार रह जाएं। शिक्षा विभाग इसका उदाहरण है। और इस तरह की नाइंसाफी के लिए पहले धूमल और वीरभद्र की सरकारें जिम्मेदार थीं, अब मौजूदा सरकार भी उसी राह पर चल रही है।

इस बीच, सीएम का 2 साल पहले का बयान पढ़िए:

आउटसोर्स्ड कर्मचारी रेग्युलर नहीं किए जा सकते: मुख्यमंत्री

 

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