आई.एस. ठाकुर।। हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वालीं कंगना रणौत पिछले कुछ समय से चर्चा में हैं। वो और उनकी बातें ऐसी हैं, जिन्हें लेकर आपका तटस्थ रहना बहुत मुश्किल है। या तो आप उनका समर्थन करेंगे या विरोध। वो क्या कहती हैं, क्या नहीं, इस पर बहुत चर्चा हो चुकी। आए दिन उनकी बातें मीडिया में सुर्खियां बटोरती है। लेकिन जो बात अटपटी लगी, वह है मीडिया के एक वर्ग जिसमें दुर्भाग्य से ‘इन हिमाचल’ भी शामिल है, द्वारा कंगना के एक ट्वीट को ऐसे पेश करना जैसे उन्होंने कुछ अपराध किया हो।
कंगना ने ट्वीट किया है कि वह 15 साल की उम्र में पहली ‘बागी राजपूत महिला’ बनी थीं। उन्होंने कहा है कि उनके पिता लाइसेंस बंदूकधारी थे और ‘गुंडे’ के रूप में जाने जाते थे। फिर भी उन्होंने अपने पिता से बग़ावत की। फिर उन्होंने अगले एक ट्वीट में अपने पिता की तस्वीर शेयर करते हुए कुछ लिखा है। वह लिखती हैं-
“मेरे पिता मुझे दुनिया का बेस्ट डॉक्टर बनाना चाहते थे। उन्हें लग रहा था कि मुझे बेहतरीन संस्थानों से शिक्षा दिलाकर वह क्रांतिकारी पापा बन रहे हैं। जब मैंने स्कूल जाने से इनकार कर दिया तो उन्होंने मुझे थप्पड़ मारने की कोशिश की। मैंने उनका हाथ थामा और कहा- अगर आप मुझे थप्पड़ मारेंगे तो मैं भी आपको चांटा मारूंगी।”
My papa he wanted to make me the best doctor in the world, he thought he was being a revolutionary papa by giving me education in best institutions, when I refused to go to school he tried to slap me I held his hand and famously told him “ if you slap me I will slap you back” pic.twitter.com/5nU6x6iQtL
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) February 20, 2021
वो लिखती हैं, “वो हमारे रिश्ते का अंत था। उन्होंने मेरी तरफ देखा, फिर मां की तरफ और कमरे से चले गए। मैंने जानती थी कि मैंने हद पार की है और मैं वापस उस तरह से उन्हें नहीं पा सकी. लेकिन आप समझ सकते हैं कि मैं आजादी के लिए कहां तक जा सकती हूं. कोई चीज़ मुझे कैद नहीं कर सकती।”
That was it end of our relationship something changed in his eyes, he looked at me then my mother and left the room, I knew I had crossed the line and never found him back again but one can only imagine the extend i can go to break free, nothing can keep me caged.
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) February 20, 2021
अब ऊपर की इन बातों में लोग इसी को देख रहे हैं कि कंगना ने अपने पिता का हाथ थाम लिया था और कहा था कि मैं भी वापस थप्पड़ मारूंगी। लेकिन लोग इस बात का मर्म नहीं समझ रहे। पहली बात तो ये कि मामला स्कूल जाने भर का नहीं था। मामला था अभिभावकों द्वारा अपनी इच्छा थोपने का जबकि कंगना अपनी मर्जी से कुछ और करना चाहती थीं।
होना तो यह चाहिए कि अभिभावक अपने बच्चों के हुनर और इच्छा को पहचानें। अगर वह गुंडा, ड्रग पेडलर या कोई असामाजिक तत्व बनने की इच्छा कर रहा हो, तब तो बात अलग है। तब तो उसे समझाएं। वरना वह किसी अच्छी फील्ड में जाना चाहता है, तो उसका समर्थन करना चाहिए। अगर बच्चा कोई बात नहीं भी मान रहा तो उसे मारने पीटने के बजाय समझाना चाहिए
मगर कंगना ने बताया है कि उनके पिता गुंडे किस्म के थे, तो उन्होंने समझाने की जगह हिंसा का रास्ता अपनाने की कोशिश की थी। और माहौल को देखते हुए कंगना पर जो असर पड़ा होगा, उसने वैसी ही प्रतिक्रिया दी होगी। इसके लिए कंगना के बजाय उनके परिवेश को दोष देना चाहिए। कंगना ने हिम्मत का काम किया है कि उन्होंने बेबाकी से बात कह दी कि उन्होंने बचपन में क्या किया था। वरना उस उम्र में माता-पिता से विवाद होते हुए लगभग हर टीनेजर भला-भुरा कह देता है।
लेकिन चूंकि कंगना ने पिछले दिनों कुछ ऐसी बातें की हैं, जिनसे सभ्य समाज सहमत नहीं हो सकता, इसलिए पिता को लेकर कही गई बात में लोगों को एक ही पहलू दिखा। कंगना की प्रतिक्रिया। वे भूल गए कि उस समय कंगना की उम्र क्या थी, पिता का रुख कैसा था, घर का माहौल कैसा रहा होगा। वे ये भी भूल गए कि अपने बचपन या टीनेज में वे खुद कैसे थे।
सोचिए कि कहीं कंगना का विरोध करने के चक्कर में आप माता-पिता द्वारा बच्चों पर दबाव बनाए जाने का समर्थन तो नहीं कर रहे? कहीं कंगना के प्रति भरे पूर्वाग्रहों के कारण आप बच्चों पर हिंसा के प्रयोग का समर्थन तो नहीं कर रहे? मैं भी कंगना की कई बातों से सहमत नहीं और मेरा मानना है कि उन्हें किसी तरह खुद पर काबू पाना चाहिए। लेकिन इस मसले पर मैं बिल्कुल अलग विचार रखता हूं। कई बार कुछ बातों को स्वतंत्र रूप से देखना चाहिए और किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हर पहलू पर विचार करना चाहिए।
(लेखक लंबे समय से हिमाचल प्रदेश से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं. उनसे kalamkasipahi@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)