इन हिमाचल डेस्क।। मंगलवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मंडी के खलियार में कोविड के मरीजों की देखभाल के लिए बनाए मेकशिफ्ट कोविड अस्पताल को जनता को समर्पित कर दिया। यहां पर 200 बिस्तरों की व्यवस्था है जिनके साथ ऑक्सीजन की सुविधा है। है तो यह अस्थायी अस्पताल मगर इसमें कई सारी आधुनिक सुविधाएं हैं। लेकिन इसे जनता को समर्पित करने के लिए कुछ ऐसा कर दिया जिसे कोरोना काल का सबसे खराब उदाहरण कहा जा सकता है।
प्रदेश में रोजाना लगभग तीन हजार नए मामले सामने आ रहे हैं और औसतन 60 लोगों की जान जा रही है। संक्रमण घटे, इसलिए लिए राज्य सरकार ने प्रदेश भर में धारा 144 लगाई है ताकि बिना वजह लोगों का जमावड़ा न लगे। सार्वजनिक, राजनीतिक कार्यक्रमों पर रोक है और विवाह आदि समारोहों पर सख्त पाबंदियां हैं। सीएम ने तो यहां तक अपील की थी कि यदि संभव है को तो मौके की नज़ाकत को समझते हुए लोग विवाह समारोहों को कुछ समय के लिए टाल दें। मगर अफसोस, सीएम खुद मौके की नज़ाकत समझने में चूक गए।
कल जब इस अस्पताल को को मंडी में लोकार्पित किया गया, तब कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगाई गई पाबंदियां जमकर टूटीं। वैसे भी संकट के दौर में अस्थायी अस्पताल बनाया गया है, कोई मील का पत्थर नहीं कि तामझाम के साथ बड़ा कार्यक्रम करके इस अस्पताल का उद्घाटन किया जाता। होना तो यह चाहिए था कि इस अस्पताल को ऑनलाइन लोकार्पित कर दिया जाता। मगर न जाने क्यों सरकार ने मौके पर जाकर इसका उद्घाटन करना चुना।
यही नहीं, कल इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल, विधायक कर्नल इंद्र सिंह, राकेश जम्वाल, इंद्र सिंह गांधी, हीरा लाल, जवाहर ठाकुर, विनोद कुमार, प्रकाश राणा और अनिल शर्मा, अध्यक्ष जिला परिषद पाल वर्मा, डीसी मंडी, महापौर नगर निगम मंडी दीपाली जस्वाल भी उपस्थित रहे। इनके अलावा इनके स्टाफ, ड्राइवर और अन्य सुरक्षाकर्मी आदि भी मौजूद रहे।
चूंकि यह संकट का काल है, इसलिए अगर सीएम को उद्घाटन करना ही था तो मंत्रियों और विधायकों को बुलाने की क्या जरूरत थी? कार्यक्रम के दौरान भारी भीड़ नजर आई। यही नहीं, अंदर जब फैसिलिटी का मुआयना किया गया, तब सामाजिक दूरी की भी धज्जियां उड़ती दिखीं। अफसोस, पत्रकार बंधु भी भारी संख्या में वहां मौजूद थे और उनमें फोटो-वीडियो लेने की जो होड़ मची, उसमें भी नियम टूटते दिखे।
इस तरह से यह पूरा आयोजन प्रदेश की जनता के लिए एक खराब उदाहरण की तरह पेश हुआ। हर व्यक्ति मौके की संवेदनशीलता को समझे, उसे कोरोना की गंभीरता का अहसास हो, यह संभव नहीं। इसलिए तो सरकार को नियम, जुर्माना और दंड लगाने की व्यवस्था करनी पड़ी है। और अगर इन नियमों का पालन करवाना है तो खुद भी नियमों का पालन करना पड़ेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि आप खुद कानूनों को ठेंगा दिखाएं और फिर जनता से भावुक अपील करते रहें।
ऐसा लगता है कि इस सरकार में विजन की ही नहीं, कॉमन सेंस की भी कमी हो गई है। वरना इतने मंत्री, इतने नेता, इतने अधिकारी हैं, कोई तो सलाह देता कि इस दौर में इस तरह का आयोजन करना शोभा नहीं देता। यह सरकार जिसमें नेताओं से लेकर बड़े टफ कंपीटीशन के बाद चुने जाने वाले प्रशासनिक अधिकारी भी हैं, उनकी कलेक्टिव कॉन्शस की नाकामी का उदाहरण है। इतिहास याद रखेगा कि मुश्किल के दौर में भी कैसे हर बात को इवेंट बनाने की कोशिश की गई थी।