लेख: टोपी पहनकर जनता को टोपी पहनाने का वक्त अब गया

आई.एस. ठाकुर।। भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता और हिमाचल के हमीरपुर से बीजेपी के सांसद अनुराग ठाकुर इन दिनों कुछ अजीब कारणों से चर्चा में हैं। कभी वह अपनी पार्टी के वरिष्ठ मंत्री को एम्स के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करते हैं तो कभी गुड़िया मामले में वीडियो डालकर श्रेय लेने की कोशिश करते हैं। कभी वह मंत्री को ट्वीट करके खामियां गिनाने की कोशिश करते हैं तो कभी राहुल गांधी के वंशवाद के बयान को लेकर खुद ही अपने आप को लेकर सफाई देने लगते हैं। मगर अब जब हिमाचल में टोपी का मामला उछला है, तो अक्सर बिना टोपी के नजर आने वाले अनुराग ठाकुर लाल टोपी पहने मीडिया के सामने बयान देते नजर आए।

सुर्खियों के लिए बहुत कुछ करते रहे हैं अनुराग
बहरहाल, ऊपर जो मामले बताए गए हैं, उन सभी को लेकर बीजेपी के समर्थकों तक में चर्चा छिड़ी हुई है कि आखिर अनुराग पिछले कुछ दिनों से ऐसा क्यों कर रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि यह नई  बात नहीं है क्योंकि एक बार वह मूंछों में ताव रखकर लेफ्टिनेंट की वर्दी पहनकर सरकारी कार्यक्रमों में भी पहुंच गए थे, मगर अब फिर से अपने पुराने अंदाज में आ गए हैं। इसी तरह से विपक्ष में रहते हुए उन्होंने तिरंगा यात्रा छेड़ दी थी, जबकि पता था कि उन्हें श्रीनगर जाने नहीं दिया जाएगा। मगर सत्ता में आने के बाद उन्होंने कभी लाल चौक जाकर तिरंगा यात्रा करने की जहमत नहीं उठाई।

(वीडियो: News 18 Himachal)

वीरभद्र पर किस मुंह से आरोप?
लाल टोपी पहनकर मीडिया से अनुराग ने कहा, “मैं पहले ही कहता हूं। वीरभद्र जी निचले हिमाचल की अनदेखी करते हैं।  ये केवल किसी टोपी को ठुकराना नहीं, मान-सम्मान को ठुकराने के बराबर है।” अनुराज जी से पूछना चाहता हूं कि वीरभद्र ने यह टोपी नहीं पहनी तो इससे सिर्फ तथाकथित ‘निचले हिमाचल’ का अपमान कैसे हुआ? अगर अपमान हुआ होगा तो पूरे हिमाचल का हुआ होगा न? यानी आप मानते हैं कि आप ये जो लाल टोपी पहनते हैं, उसे आप तथाकथित ‘निचले हिमाचल’ की निशानी मानते हैं और वीरभद्र की टोपी को तथाकथित ‘अपर हिमाचल’ की। और अगर ऐसा है तो आप किस मुंह से वीरभद्र पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं? और टोपी आप किसी और रंग की भी पहन सकते थे, लाल ही क्यों?

टोपी से लगाव है तो पिता की तरह अपनाएं
अनुराग ठाकुर बीजेपी के कार्यक्रमों, चाहे वे हिमाचल में हों या कहीं और टोपी पहने नजर नहीं आते। जहां उनके पिता प्रेम कुमार धूमल हमेशा टोपी पहने नजर आते हैं और यह उनकी पहचान है, अनुराग ने चुनिंदा कार्यक्रमों में टोपी पहनाए जाने के अलावा इक्का-दुक्का मौकों पर ही टोपी पहनी है। मगर अब जब वीरभद्र सिंह का टोपी न पहनने का मामला उछला है तो वह मीडिया के सामने लाल टोपी पहनकर आ गए और टोपी को लेकर और क्षेत्रवाद की राजनीति का आरोप लगाने लगे।

अब कोई नेता जनता को टोपी नहीं पहना सकता
शायद नेताओं को लगता है कि उनके ऐसे प्रपंचों को जनता समझ नहीं पाएगी। मगर उन्हें समझ जाना चाहिए कि वक्त बदल गया है। ऐसे दिखावे से काम नहीं चलने वाला। और अनुराग ही नहीं, हर नेता, जो टोपी या इस तरह के सतही मुद्दों की बात करता है, उसे समझ जाना चाहिए कि अब टोपी की राजनीति करके जनता को टोपी पहनाने का दौर नहीं रहा।

(लेखक हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से संबंध रखते हैं और इन दिनों आयरलैंड में एक कंपनी में कार्यरत हैं। उनसे kalamkasipahi @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

(DISCLAIMER: ये लेखक के अपने विचार हैं, इनके लिए वह स्वयं उत्तरदायी हैं)

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