हिमाचल में हो रहे हादसों के लिए आम जनता भी है जिम्मेदार

मुकेश सिंह ठाकुर।। हिमाचल प्रदेश में होने वाले बस हादसों के लिए बस ऑपरेटर और ड्राइवर तो जिम्मेदार हैं ही साथ ही आम जनता यानी सवारियाँ भी कम जिम्मेवार नहीं है। एक सच्ची घटना आपसे शेयर कर रहा हूं जो पिछले साल यानी 2018 के सितंबर महीना में मेरे साथ हुई। मैं अपनी टीम के साथ एक विशेष रिपोर्ट बनाने कुल्लू से लगते पनारसा में नाउ नाम की जगह जा रहा था।

यहां पर हर साल एक बहुत बड़ा धार्मिक आयोजन होता है। हम मंडी से कुल्लू की तरफ जा रहे थे और ओट की सुरंग पार कर चुके थे। हमारी कार की स्पीड 60-70 के आस पास थी जो कार के हिसाब से ठीक-ठाक थी। तभी पीछे से तेज़ रफ्तार बस ने (कनिका नाम की बस) हमें 60-70 की स्पीड पर ओवरटेक किया। बाकी जगह चलो ये स्पीड मान लेते हैं ठीक है लेकिन मंडी से मनाली हाईवे की सड़क इतनी भयावह है कि जरा सी चूक आपको ब्यास के गर्त में ले जाएगी या सामने से आ रहे वाहन से भिड़ा देगी।

कुछ किलोमीटर आगे जाम लग चुका था और उस बस के और हमारी कार के बीच 6-7 गाड़िया भी जाम में थी। मुझसे रहा नहीं गया और मैं खुद कैमरा ऑन कर के उस बस की तरफ बढ़ गया। मैं सीधा बस के ड्राइवर के पास पहुंचा जो अपनी साइड वाला दरवाजा खोल के आगे देख रहा था कि जाम कब खुलेगा। मैंने कैमरा उसकी तरफ किया और कहा “भाई आपको इतना तेज़ चलाने के एक्स्ट्रा पैसे मिलते हैं या आप यूँ ही अपनी मस्ती में तेज़ चलाते हैं या आपके मालिक का ये आर्डर होता है बस तेज़ चलानी है?”

ड्राइवर एकाएक मेरा सवाल सुनकर सन्न रह गया और उससे कुछ ना बोला गया। दो चार बार फिर पूछने पर ड्राइवर ने कहा कि हमारी स्पीड तेज़ कहाँ थी। तो मैंने कहा कि भाई अगर 70 की स्पीड पर हमारी कार थी तो आपकी बस कितने पर होगी जो हमें उस स्पीड पर ओवरटेक करके चली गई। ड्राइवर ने बाहर खड़े कंडक्टर की तरफ इशारा किया और कहा कि उनसे पूछो। मैंने कंडक्टर से भी वही सवाल किया और कंडक्टर का जबाव भी यही था कि बस नॉर्मल स्पीड पर थी।

बस की सवारियाँ ये सब तमाशा खिड़की में से चुप चाप देख रही थीं। तभी मैंने सोचा क्यों ना सवारियों से पूछा जाए। मैंने दो चार लोगो से पूछा तो ऐसा लगा उन्हें सांप सूंघ गया हो। ऐसा लगा ये लोग गूंगे हो गए हों। तभी कैमरा एक 46-48 साल के व्यक्ति पर मैंने किया जो ड्राइवर की सीट से पिछली सीट पर बैठा था। मैंने कहा आप समझदार लग रहे हो, आप ही बताएं कि क्या बस की स्पीड नॉर्मल थी। तो उस सवारी ने जबाव दिया कि नॉर्मल ही थी साहब।

मैंने फिर वही लाईन दोहराई कि कैसे हवा में उड़ते हुए धूल का गुबार उड़ाते आपकी बस ने हमारी कार को ओवरटेक किया जो 70 की स्पीड पर थी। इस पर  वो जनाब बोले “भाई टाइम पर पहुंचना होता है सबको, थोड़ी स्पीड ज्यादा भी थी तो क्या हुआ।” मुझे गुस्सा आया और मैंने उस सवारी से कहा “सर आपको टाइम पर कुल्लू पहुंचना है या ऊपर?” मैंने आँखों से आसमान की तरफ इशारा भी किया, इस बात पर बाकी सवारियां हंसने लगी।

उस 46-48 साल के शख्स को मेरी बात चुभ गई और वो मुझे बोला “तू कैमरा पकड़ के बाहर खड़ा है, कोई गाड़ी साइड से आकर तुझे मार के चली जाए तो इसमें तेरी क्या गलती होगी? ये तो तेरी किस्मत होगी, जिसकी जब लिखी होती है वो तभी जाता है।” मैंने उससे और बाकी सवारियों से कहा “मुझे कोई शौक नहीं था अपनी गाड़ी से उतर कर आपकी बस का वीडियो बनाने का। ना ही सरकार मुझे पैसे देती है ये सब करने का। आप लोगों की भलाई की ही बात कर रहा था। मीडिया का काम है समाज में हो रहे गलत को गलत दिखाना।”

फिर मैंने उस बंदे की तरफ देखा जो किस्मत पर लेक्चर दे रहा था और कहा “भाईसाब गणित में probability नाम का कॉन्सेप्ट होता है यानी संभावना का। तेज़ बस के दुर्घटना होने की संभावना ज्यादा होती है और आपकी जैसे सवारी की मरने की संभावना बढ़ जाती है, किस्मत की बात तब करना। आप लोगो को शर्म आनी चाहिए कि एक शख्स आपके ही भले की बात कह रहा है और आधी सवारियां होंठो को सिलकर बैठी है और जो बोल भी रहा है उसके पास कमाल के उलटे सीधे तर्क हैं।”

इतना कहकर मैं वहां से अपनी कार की तरफ चला गया। मन तो किया था कि इस वीडियो को अपने चैनल पर दिखाऊं लेकिन फिर दूसरा मन किया कि जब जनता को ही मरने की पड़ी है तो मैं क्यों इनका ठेका लूँ। एक और बात, इस कनिका ऑपरेटर की बस का हादसा मंडी में पहले हो चुका था जिसमे 18 लोगो की मौत हुई थी।

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अफ़सोस की बात यह है कि जिस ड्राइवर से मैंने बात की थी, उसकी भी मृत्यु अभी 2 हफ्ता पहले करनाल हरियाणा में हुई जो उस वक्त वॉल्वो चला रहा था। यह बस रात के समय सड़क किनारे खड़े एक ट्रक से टकरा गई थी। दिवंगत चालक मंडी के ही रहने वाले थे।

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आज बंजार में हुए हादसे के बाद मैंने उस वीडियो को ढूंढ़ने का प्रयास किया जो मैंने उस वक्त रिकॉर्ड किया था मगर लगता है वो डिलीट कर दिया गया है क्योंकि हम 3 महीने पहले का डेटा मिटा देते हैं। मेरा यह लिखने का उद्देश्य यही बताना था कि इन बेलगाम बस ड्राइवर और ऑपरेटर के ऊपर नकेल कसने की जरूरत तो है ही, साथ ही आम जनता या सवारियों को भी होश में आने की जरूरत है। जहाँ आपको गलत होता दिखे, तुरंत ड्रायवर या कंडक्टर से बोलें और उनकी बेवकूफियों का विरोध करें। नहीं तो ऐसे दुखद हादसे होते रहेंगे।

(लेखक युवा पत्रकार हैं और हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से संबंध रखते हैं। यह लेख उन्होंने अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर भी पोस्ट किया है।)

नोट- ये लेखक के निजी विचार हैं, वह उनके लिए खुद उत्तरदायी हैं।

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