भेदभाव की इंतहा थी 15 अंकों के मूल्यांकन की व्यवस्था

अभिलक्ष्य सिंह गुलेरिया की फेसबुक टाइमलाइन से साभार।। केंद्र सरकार ने ग्रुप B (अराजपत्रित) ग्रुप C और D की भर्तियों में January, 2016 से इंटरव्यू खत्म कर दिए थे। यह व्यवस्था भर्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए की गई थी और यह एक बहुत अच्छा निर्णय भी था।

तत्कालीन वीरभद्र सरकार ने भी ग्रुप C और D की भर्तियों में 2017 से इंटरव्यू खत्म कर दिए थे हालांकि इंटरव्यू के स्थान पर 15 नंबरों का डॉक्यूमेंटेशन क्राइटेरिया लाया गया। जिसमें नंबर कुछ इस प्रकार से थे:

1. Mimimum Education qualification = 2.5 marks on %age basis
2. Backward Area = 1 marks
3. Land less than 1 hectare = 1 marks
4. Non employment certificate in govt sector = 1 marks
5. Differently abled = 1 marks
6. NSS/NCC/Sports medal winner = 1 marks
7. BPL family = 2 marks
8. Widow/divorced/single woman = 1 marks
9. Single daughter/ orphan = 1 marks
10. Training for concerned post = 1 marks
11. Experience = 2.5 marks

जो यह सिस्टम भर्तियों के लिए अपनाया गया यह दुनिया का सबसे घटिया सिस्टम था। केंद्र सरकार ने इंटरव्यू इसलिए खत्म किए थे कि भर्तियों में पारदर्शिता आए और मेरिट में आने वाले परीक्षार्थी बाहर ना हो। परंतु जो सिस्टम तत्कालीन सरकार द्वारा अपनाया गया उससे पारदर्शिता तो क्या आनी थी उल्टा मेरिट के साथ-साथ टॉपर तक बाहर हो गए। मुझे 15 में से सिर्फ 1.66 अंक मिलते हैं। मैं ना जाने कितनी ही परीक्षाओं में इस सिस्टम की वजह से बाहर हुआ हूं।

जिस पद पर मैं आज कार्य कर रहा हूं इस परीक्षा में भी मैंने संयुक्त रूप से लिखित परीक्षा में पूरे हिमाचल में प्रथम स्थान हासिल किया था, जो किसी के लिए गर्व की बात होती है परंतु 15 अंक के कारण में पहले से चौथे स्थान पर चला गया और वैकेंसी सिर्फ तीन थी। हालांकि बाद में वेटिंग से कॉल आ गया शायद किस्मत अच्छी थी।

महिला एवं बाल विकास विभाग के सुपरवाइजर परीक्षा में जनरल के कुल 16 पद थे । मेरा लिखित परीक्षा में आठवां स्थान था और 15 उनको के इवैल्यूएशन के बाद मेरा स्थान 26 वां हो गया था।

ना जाने आपको ऐसे कितने ही उदाहरण मिल जाएंगे यह मेरे साथ ही नहीं बहुत लोगों के साथ हुआ है। एलाइड सर्विसेज की परीक्षा में तो इससे भी बुरा हाल है वहां पर मुख्य परीक्षा 500 अंकों की होती है और जब 15 अंक के डॉक्यूमेंटेशन की बारी आती है तो 500 अंकों को 85 मैं परिवर्तित किया जाता है और बाद में वही होता था, मेहनत से आया हुआ परीक्षार्थी बाहर। बहुत से लोगों की जिंदगी इस सिस्टम की वजह खराब हो चुकी हैं। आज भी इन 15 अंकों के खिलाफ मेरा केस माननीय उच्च न्यायालय में पेंडिंग है। हम बहुत से छात्र माननीय मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी, माननीय जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर जी से कई बार, इन 15 अंकों के खिलाफ मिले हैं। और उन्होंने आश्वस्त किया था कि हम इसके लिए कुछ ना कुछ करेंगे।

आज बहुत खुशी है कि लगभग 4 सालों के बाद इन 15 अंको की बहुत ही अन्याय पूर्ण व्यवस्था को हटाया गया है। ना जाने कितने ही लोगों को आने वाले समय में इससे न्याय मिलेगा और चयन केवल और केवल उनकी योग्यता के आधार पर होगा। यकीन मानिए यह 15 अंको की व्यवस्था इंटरव्यू से भी बुरी थी। जिस सरकारी स्कूल में मैं पढ़ा हूं वहां ना तो NCC थी ना NSS, मुझे नहीं लगता कि आज भी होगी। क्या यह समानता के अधिकार का हनन नहीं था। एक हेक्टर से जमीन कम होने पर एक अंक दिए जाने का प्रावधान था। एक हेक्टर में लगभग 12 बीघा जमीन होती है क्या जिसके पास 11 बीघा जमीन थी वह लैंडलेस है? उसको एक अंक मिल जाता था। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि ऐसे लोगों को एक अंक मिला है जिनकी जमीन एक जगह नहीं चार चार जगहों में थी। क्या सरकार के पास आधार कार्ड की तरह जमीन का भी कोई पैमाना था जिससे पता चल सके कि एक इंसान के पास कितनी जमीन है। सरकारी क्षेत्र में अगर किसी के पिताजी चपरासी थे तो उसको एक अंक नहीं मिलता था और अगर किसी के माता-पिता प्राइवेट कंपनीज में करोड़ों कमाते थे तो उनको एक अंक मिलता था। खुद सोचिए यह क्या व्यवस्था की गई थी। स्पोर्ट्स के 1 अंक मिलते थे हालांकि स्पोर्ट्स वालों को 3% आरक्षण भी है मतलब दोहरा आरक्षण। BPL वालों को 2 अंक मिलते थे हालांकि बीपीएल को पहले से ही सब कैटिगरी में रिजर्वेशन था। ना जाने कितने ही फर्जी बीपीएल को जानता हूं। आप सब लोग अपने आसपास ही देख लेना कितने ही फर्जी BPL आपको मिल जाएंगे जिनके घरों में गाड़ियां खड़ी है।

एक बहुत ही ताजा उदाहरण में आप लोगों को TGT Arts की परीक्षा का देना चाहता हूं जिसका परिणाम अभी 20 – 25 दिन पहले ही घोषित किया गया है। इस परीक्षा में कुल पद 306 थे जिसमें से जनरल के 112 पद थे। और सुनने में आया है कि जनरल वालों के सिर्फ 55 पद ही भरे गए हैं। हालांकि यह मैंने चेक नहीं किया है। परंतु फिर भी सोचिए 112 में से इतने कम पद। बाकी पद कैटिगरीज को शिफ्ट हो गए। 15 अंको की व्यवस्था ने ही यह सब कमाल किए हैं।

जयराम ठाकुर जी की सरकार का मैं तहे दिल से आभारी हूं, जिनकी सरकार ने यह निर्णय लिया। हम तो उम्मीद छोड़ चुके थे। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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