कोटरोपी भूस्खलन पर टिप्पणियां कर फंसे डिप्टी एडवोकेट जनरल विनय शर्मा

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शिमला।। शिमला के गुड़िया केस को लेकर मीडिया और जनता की भागीदारी पर व्यंग्य करने में हिमाचल प्रदेश सरकार के डिप्टी एडवोकेट जनरल विनय शर्मा सीमाओं को लांघते नजर आए। उन्होंने कोटरोपी में आए भूस्खलन को लेकर एक व्यंग्यात्मक पोस्ट डाली जिसमें उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मीडिया और जनता पर प्रहार करने की कोशिश की। उन्होंने एक फेसबुक लाइव में यह भी कहा कि बीजेपी द्वारा प्रदेश को बदनाम करने से नाराज देवताओं के गुस्से की वजह से कोटरोपी में घटना हुई है।

 

जिस हादसे में 40 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं, उसे लेकर ऐसी पोस्ट डालना और ऐसी टिप्पणियां करना आलोचना का विषय बन गया है। गौरतलब है कि इससे पहले उन्होंने मीडिया के एक हिस्से और गुड़िया के परिजनों पर प्रदेश को बदनाम करन का आरोप लगाते हुए केस करने की बात भी कही थी।

‘देवताओं के गुस्से से हुई कोटरोपी में घटना’
उनका दावा है कि कोटरोपी का हादसा देवताओं के गुस्से की वजह से हुआ है क्योंकि वह बीजेपी द्वारा हिमाचल बदनाम करके यूपी बिहार बनाने की कोशिशों से नाराज हैं। एक फेसबुक लाइव में उन्होंने कहा कि इसलिए बेहतर होगा कि प्रदेश की जनता ‘देव तुल्य राजा वीरभद्र सिंह’ को फिर से मुख्यमंत्री बनाएं। उनके वीडियो का इस बयान वाला हिस्सा नीचे है, पूरा फेसबुक लाइव आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं

कोटरोपी के बहाने कोटखाई पर उठाए सवाल
अक्सर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और आपत्तिजनक भाषा इस्तेमाल करने के लिए पहचाने जाने वाले सीपीएस नीरज भारती के बचाव में पोस्टें लिखने वाले विनय शर्मा ने इस पोस्ट के जरिए यह जताने की कोशिश की थी कि मीडिया और लोगों ने बिना वजह कोटखाई केस में सनसनी बनाई है। कोटखाई केस में पुलिस की जांच पर सवाल उठाए जाने की तर्ज पर उन्होंने कुछ मनगढंत सवाल कोटरोपी की घटना को लेकर बनाए थे। उन्होंने यह पोस्ट डाली तो भारी आलोचना होने पर डिलीट करनी पड़ी। मगर ‘In Himachal’ के पास इसका स्क्रीनशॉट है और कुछ पाठकों ने भी इस संबंध में जानकारी दी है।

आलोचना के बाद यह पोस्ट हटा दी गई.

गुड़िया के परिजनों पर भी की थी टिप्पणी
कोटखाई के गुड़िया प्रकरण में मीडिया की सक्रियता पर प्रश्न उठाए जा सकते हैं और कुछ पत्रकारों द्वारा किए गए शुरुआती हवा-हवाई दावों की भी आलोचना की जा सकती है। लोकतंत्र में अगर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाने का अधिकार है तो ऐसा करने वालों की आलोचना भी की जा सकती है। अपनी बात रखने में कोई बुराई नहीं है मगर इस तरह से संवेदनहीनता बरतना लोगों को रास नहीं आया है। लोग मुख्यमंत्री के खास समझे जाने वाले अधिवक्ता की इस पोस्ट की तुलना मुख्यमंत्री के ही उन बयानों से कर रहे हैं जिसमें उन्होंने सीबीआई जांच की मांग करने वाली जनता को जरूरत से ज्यादा होशियार बताया था। अगर आप नीचे दी गई पोस्ट को नहीं पढ़ पा रहे हैं तो यहां क्लिक करें

वीडियो आदि के जरिए विनय शर्मा का कहना है कि कोटखाई केस को लेकर इसलिए माहौल बनाया गया ताकि वीरभद्र सरकार के लिए मुश्किलें पैदा की जा सकें। बहरहाल, यह उनकी सोच हो सकती है और इसमें कुछ गलत नहीं, मगर फिलहाल वह अपनी संवेदनहीन पोस्ट की वजह से चर्चा मे हैं।