शिमला।।
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) की बहुत सी बसों की हालत खराब हो चुकी है। प्रदेश की सड़कों की हालत ही ऐसी है कि सरकारी वाहन ही नहीं, निजी वाहनों की भी स्थिति कुछ सालों में खराब हो जाती है। मगर बात अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हो, इसमें जरा भी लापरवाही नहीं बरती जा सकती, क्योंकि इनमें बहुत से लोग एकसाथ ट्रैवल करते हैं। एचआरटीसी की एसी बसों की हालत तो और भी खराब है। इनमें दो-दो सीटें एक्स्ट्रा जोड़ने के चक्कर में बाकी सीटों को करीब-करीब कर दिया गया है, जिससे लेग स्पेस खत्म हो गया है और रिक्लाइनर सीट्स को कोई पीछे कर दे झगड़ा होना आम है। ऊपर से इनकी हालत ऐसी है कि एसी वेंट्स से कभी पानी गिरता है तो कभी गरम हवा। मगर पिछले दिनों हिमाचल के एक नागरिक ने फेसबुक पर ऐसी तस्वीरें पोस्ट की हैं, जिनसे निगम को होश में आना चाहिए। हम उस पोस्ट को यथावत नीचे दे रहे हैं।
तरुण गोयल नाम के युवक, जो कि चर्चित ब्लॉगर और मकैनिकल इंजिनियर हैं, ने 31 मई को लिखा है, ‘साल 2004 में मेरी बस का एक्सीडेंट हुआ, 15 – 16 लोग मारे गए, लेकिन मैं बच गया। एक टांग में तीन फ्रैक्चर, पीठ में बैकबोन कम्प्रेशन, और सर में माइनर हेड इंजरी हुई, लेकिन मैं बच गया। लेकिन अब ये हिम् गौरव टाटा ऐसी में सफर करके लगता है की अब नहीं बचूंगा, ये टाटा ऐसी बसें इस फैसिलिटी के साथ चलाई हैं सरकार ने की आदमी बचने न पाए। अक्सर बस के बाहर एक्सीडेंट होने से आदमी की जान जाती है, लेकिन इन बसों में अंदर ही जान निकालने की फैसिलिटी है। अब मेरी सीट है 30 नम्बर, पिछवाड़ा अपनी सीट पे है और सर पीछे वाले की गोद में। ऎसी का ढक्कन पूरा खुला हुआ है और पीछे वाला आदमी छींक मार मार के ‘स्पेशल Gel’ से मेरे बाल भर चुका है। 25, 26, 27, 28 वाले भी बेसुध से आधे अपनी और आधे पीछे वाले की सीट में ध्वस्त पड़े हैं। एकदम से बस का शीशा टूट जाता है और मनाली से रोमांटिक हनीमून मना के आ रहे कपल को लाइव यमराज के दर्शन हो चुके हैं।
परिवहन मंत्री G.S. Bali जी ने कहा था अप्रैल से इन बसों को फेज आउट किया जाएगा। अब जून आ गया, नयी वॉल्वो पे वॉल्वो लांच हुई जा रही हैं। हो सकता है पैसे की कमी से फेस आउट प्रक्रिया स्लो हो गयी हो। लेकिन कम से कम नट बोल्ट शीशे तो नए लगवा ही देने चाहिए सरकार को, नही तो आधी सवारियां ही दिल्ली पहुंचेंगी और बाकी का आधा भाग हराबाग जडोल और घाघस के बीच ढूँढना पड़ेगा। एक मकैनिकल इंजीनयर नट बोल्ट की कीमत नहीं समझेगा तो कौन समझेगा।
इसके साथ ही उन्होंने एक विडियो भी पोस्ट किया है।
लगभग पूरे प्रदेश में टाटा एसी बसों को लेकर ऐसी ही शिकायतें आती रहती हैं। कई बार ये बीच सफर में ही खराब हो जाती हैं तो कई बार एसी ही नहीं चलता। तेज-तर्रार मंत्री के तौर पर पहचान बनाने वाली परिवहन मंत्री जी.एस. बाली ने बसों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की बात भी कही थी, मगर अभी तक इस दिशा में कोई काम होता नहीं दिख रहा है। बसों की हालत अगर ऐसी होगी और सड़कें भी खस्ताहाल होंगी तो हादसे होने की आशंकाएं कई गुना बढ़ जाएंगी। सवाल उठता है कि क्या सरकार किसी और हादसे का इंतजार कर रही है?