महेंद्र सिंह ठाकुर को ‘क्षमतावान’ बताने वाले सर्वे पर उठे सवाल

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इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के लगभग सभी अखबारों में खबर छपी है कि हिमाचल प्रदेश के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को श्रेष्ठ मंत्री चुना गया है। जिस मैगजीन के हवाले से यह खबर छापी गई है, दरअसल वह न तो टाइम्स पत्रिका है और न फोर्ब्स, जिसकी किसी सूची में मंत्री जी को जगह मिली है। बल्कि यह ऐसी पत्रिका है, जिसका काम चर्चित लोगों के साक्षात्कार और उनकी कहानियां छापना है।

इसके ट्विटर हैंडल और फेसबुक पेज पर नेताओं की खुशामद वाली कहानियों की भरमार है। यही नहीं, जिस कथित सर्वे के आधार पर मैगजीन ने महेंद्र ठाकुर को ‘क्षमतावान’ चुना है, वह खुद में संदिग्ध है।

अखबारों और उनके पोर्टलों में छाई है खबर

 

फेम इंडिया मैगजीन ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है- देश के सभी राज्य के मंत्रियों का 21 अलग-अलग कैटगरी में आकलन किया गया। देश के 12700 प्रबुद्ध लोगों की राय ली गई।

अब इस लाइन पर जाएं तो 127,00,00,000 से ज्यादा आबादी वाले देश में मामूली सा सैम्पल साइज है। इसमें भी हिमाचल की बात करें तो इनके सैम्पल साइज 12700 को 30 राज्यों (जहां सरकारें हैं) से भाग करने पर आ जाता है 423 लोग। यानी हिमाचल में इन्होंने औसतन 423 लोगों से बात की होगी। सर्वे ऑनलाइन हुआ तो कहां हुआ, ग्राउण्ड पर हुआ तो कहां हुआ, स्पष्ट नहीं।

अब बड़ा सवाल ये कि कैटिगरी तो 21 थी जबकि 30 राज्यों के बहुत सारे मंत्री थे। अब इन्होंने सवाल कैसे पूछे होंगे। क्या इन्होंने यह पूछा कि आपके राज्य का कौन सा मंत्री 21 कैटिगरी में किस लायक है। क्या यह पूछा होगा कि महेंद्र सिंह को आप इन 21 कैटिगरी में किसमे रखेंगे। एक प्रबुद्ध बोला होगा- विकासशील है, दूसरा बोला होगा बेजोड़, तीसरा बोला होगा क्षमतावान। फिर पूछा होगा विपिन परमार को किस कैटिगरी में रखते हैं। यह बहुत ही हास्यास्पद और अव्यावहारिक रहा होगा।

या ये पूछा कि हमने इस कैटिगरी में देश के 30 राज्यों के इन मंत्रियों को नॉमिनेट किया है, आप बताइए किसे चुनेंगे। ऐसा था तो हिमाचल के मंत्री को क्या पता कर्नाटक के मंत्री क्या कर रहा है।

या तो ये हुआ होगा कि इन्होंने राज्यों में लोगों से पूछा होगा कि कौन सा मंत्री बेस्ट है और जिसे सबसे ज्यादा लोगों ने चुना, उसे अपनी मर्जी से लिस्ट में क्षमतावान, बेजोड़, साधु, महात्मा जैसे तमगे दे दिए। यह आकलन इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मैगजीन ने अभी तक हमारे सवाल का जवाब दिया नहीं है, जवाब मिलते ही उनका पक्ष छाप दिया जाएगा।

फेम इंडिया और इससे सम्बद्ध सर्वे एजेंसी एशिया पोस्ट इसी तरह से सांसद अवॉर्ड भी देती रही है। जैसे पप्पू यादव 2018 में बेजोड़ संसद रहे थे। बेजोड़ किस मामले में थे, यह तो पत्रिका ही बता सकती है। हालात यह हैं कि इस पत्रिका के फेसबुक पेज के पोस्ट्स को मेसेज करके मैसेंजर पर भेजा नहीं जा सकता क्योंकि फेसबुक इसे स्पैम मान रहा है। जब हमने खुद को हिमाचल में फेम इंडिया मैगजीन की सदस्य बता रहीं अंजू भरमौरिया से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यह सर्वे उन्होंने खुद नहीं किया, बल्कि एजेंसी से करवाया है। उन्होंने और जानकारी सर्वे एजेंसी से जुटाने के लिए कहा। मगर जब हम सर्वे एजेंसी एशिया पोस्ट की वेबसाइट पर गए तो वह खुल नहीं रही। उसपर सिक्यॉरिटी को लेकर वॉर्निंग आ रही है।

बहरहाल, पत्रिका को जो करना है करे, वह उसका अपना काम है। मगर हैरानी है कि हिमाचल का मेन स्ट्रीम मीडिया ऐसी अजीब खबरों को बिना क्रॉस चेक किए छाप देता है। बिना यह जाने या सोचे कि सूचना का आधार क्या है। ऐसी खुशामद भरी खबरें क्या पेड न्यूज से कम हैं?

क्या अखबारों की जिम्मेदारी नहीं बनती कि कोई भी खबर छापने से पहले उसके स्रोत और खबर में दी जानकारी की विश्वसनीयता की जांच करे? पढ़ें।

In Himachal ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಗುರುವಾರ, ಜುಲೈ 18, 2019