उत्तर प्रदेश।। गाजियाबाद में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। पहले यहाँ एक इंजीनियर, उनकी पत्नी और 11 साल की बेटी के व्हाट्सएप्प पर अभद्र भाषा के स्टेटस लगे। उसके बाद एक करोड़ की रंगदारी मांगी गई। फिर सात साल के बेटे की हत्या की धमकी मिली। यह देखकर परिवार वाले डर गए और साहिबाबाद थाने में मामले की शिकायत कर दी।
पुलिस जांच में जब मामले की हकीकत सामने आई तो हर कोई हैरान रह गया। पूरे परिवार को धमकी देने वाला कोई बाहरी नहीं बल्कि उनकी 11 साल की बेटी ही थी। सातवीं क्लास में पढ़ने वाली यह बच्ची पढ़ाई को लेकर माता-पिता की पड़ने वाली डांट से नाराज थी।
इस बारे साइबर सेल प्रभारी सुमित कुमार ने बताया कि शुरू में तो इस पर शक नहीं हुआ पर जांच के बाद साफ हो गया कि बच्ची ही ऐसा कर रही थी। पोल खुलने के बाद उसने पैरंट्स को सॉरी बोला और आगे ऐसा नहीं करने की बात कही। जिसके बाद पैरंट्स ने लिखित में पुलिस से माफी मांगी है।
पूछताछ में सामने आया है कि बच्ची कोरोना काल को लेकर काफी परेशान थी। पैरंट्स ने ऑनलाइन क्लास के लिए उसे नया मोबाइल लेकर दिया था। लॉकडाउन में बाहर नहीं जाने देने पर बच्ची ने नाराज होकर अभद्र भाषा का प्रयोग कर अपने वॉट्सऐप पर एक स्टेटस लगा दिया था। जब पैरंट्स ने यह देखा तो बच्ची को डांट लगाई। इस पर बच्ची मोबाइल हैक होने की बात कही। जिसे उन्होंने मान लिया।
इसके बाद बच्ची ने पैरंट्स के वॉट्सऐप का एक्सेस वेब ऑप्शन से लैपटॉप पर लिया और उनके मोबाइल पर भी अभद्र स्टेट्स लगा दिए। इसके साथ ही परिवार के लोगों को भी गलत तरीके से मैसेज भेजना शुरू कर दिया। ऐसे में पैरंट्स को लगा कि उनके मोबाइल भी हैक हो गए हैं।
वॉट्सऐप स्टेट्स पर अभद्र भाषा व एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने तक तो परिवार टेंशन में था। लेकिन जब पैसे नहीं देने पर सात साल के बेटे की हत्या तक की बात लिखी तो परिवार के लोग डर गए और उन्होंने साहिबाबाद थाने में इसकी शिकायत कर दी।
साइबर सेल ने मामले की जांच शुरू की। उन्होंने पैरंट्स और बच्ची के मोबाइल को फॉर्मेट कर उसके पासवर्ड भी बदल दिए। इसके बाद बच्ची ने वॉट्सऐप का प्रयोग नहीं किया। उसने एक पेपर पर किल लिखकर गेट से अंदर डाल दिया। लेकिन परिवार ने हाल ही सीसीटीवी लगवाए थे, जिसमें वह ऐसा करते हुए पकड़ी गई।
जब बच्ची से पूछताछ की गई तो पहले उसने पड़ोस के युवक, मौसी समेत कई लोगों के कहने पर ऐसा करने की बात कही। हालांकि बाद में उसने सच बता दिया। पढ़ाई के लिए पड़ने वाली डांट और लॉकडाउन में घर से बाहर नहीं जाने देने के कारण ऐसा करने की बात कही।
ऐसी घटनाओं पर क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
ऐसी घटनाओं पर मनोचिकित्सकों का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन का असर सभी पर पड़ा है। जिसमें बच्चे भी शामिल हैं। लेकिन इन पर अक्सर चर्चा नहीं होती है। ऑनलाइन क्लास ने बच्चों को सीधे इंटरनेट से जोड़ दिया है। पैरंट्स बिजी होने के कारण उन पर कम ध्यान देते हैं। ऐसे में बच्चों से बात नहीं करने पर वह उनसे दूर होते हैं। उनकी मन की बात भी पता नहीं चलती है। इस दौरान बच्चों को समझने के लिए इन बातों का खासा ध्यान रखने की जरूरत है।
बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप का प्रयोग घर के किसी व्यक्ति के सामने ही करने दें। अकेले में कम रहने दें। बच्चों को समझाने के स्थान पर उनको समझने और सुनने का प्रयास करें। कोरोना के चलते लगी पाबंदियों के कारण बच्चों को बाहर लेकर नहीं जा सकते हैं, लेकिन उन्हें कम से कम कुछ देर के लिए बाहर जरूर टहलाएं। घर के माहौल को बढ़िया रखें, जिससे बच्चे बाहर जाने की जिद भी कम करें। बच्चों को जिस काम के लिए बार-बार कहते हैं, उसे अपने ऊपर भी लागू करें।