शिमला।। जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर द्वारा शिक्षकों को लेकर दिए बयान पर अब बवाल मच गया है। इस बयान के बाद से ही विभिन्न शिक्षक संघों के साथ-साथ आम जनता की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी है। वहीं विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि क्या शिक्षकों ने कोरोना काल में वाकई कोई काम नहीं किया। या फिर मंत्री महेंद्र सिंह को ही शिक्षकों का काम नज़र नहीं आया। लेकिन उससे पहले पढ़िए क्या है मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर का बयान।
यह है मंत्री का बयान
बंजार में जनसभा के दौरान मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर शिक्षकों की खिल्ली उड़ाते नज़र आये। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जलशक्ति विभाग के कर्मचारियों ने काम किया। अन्यों ने तो मजे ही लिए। उन्होंने आगे कहा कि इस दौरान मास्टरों ने सबसे ज़्यादा मज़े लिए। फिर फ्रंटलाइन वर्कर बन गए ताकि उन्हें सबसे पहले वैक्सीन लगाई जाए। पता नहीं उन्होंने क्या काम किया यह तो ईश्वर ही जानता है। मंत्री द्वारा दिये गए इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।
अब बात करते हैं कि क्या वाकई शिक्षकों ने कोई काम नहीं किया। या केवल मंत्री महोदय को ही शिक्षकों का काम नज़र नहीं आया।
1. ऑनलाइन टीचिंग
कोरोनाकाल की शुरुआत में स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया गया। लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासेज शुरू किए गए। उसके बाद से अभी तक विभिन्न स्कूल व शिक्षक ज़ूम और गूगल मीट जैसे प्लेटफॉर्म के ज़रिए ऑनलाइन क्लासेस ले रहे हैं।
2. नाकों पर ड्यूटी
इसके अलावा कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रदेश के हज़ारों शिक्षकों की कोरोना ड्यूटी लगा दी गई। जिले के प्रवेश द्वारों और बैरियरों पर शिक्षकों को तैनात किया गया। इसमें शिक्षक और गैर-शिक्षक दोनों वर्ग शामिल रहे।
3. पंचायत चुनावों में ड्यूटी
इसके बाद प्रदेश में पंचायत चुनाव हुए। पंचायत चुनावों में भी हज़ारों शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई।
4. टीकाकरण
वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भी वैक्सीनेशन अभियान और होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों की पूछताछ के लिए स्कूल-कॉलेजों के शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गयी। प्रदेश में जब 18 वर्ष से अधिक आयुवर्ग को वैक्सीन लगाने का फैसला हुआ। तब स्टाफ स्टाफ की कमी पेश ना आए। इसके लिए शिक्षकों की सेवाएं लेने का फैसला लिया गया।
पूरे कोरोनाकाल के दौरान बीच-बीच में कुछ समय के लिए स्कूल खुले वो अलग। भले ही ज़्यादातर समय स्कूल बंद रहे हों, लेकिन शिक्षक लगातार कोरोना योद्धा की तरह ड्यूटी दे रहे हैं। इसके बाद ही सरकार ने शिक्षकों को फ्रंटलाइन वर्कर मानकर वैक्सीन लगाने का फैसला लिया था। लेकिन शिक्षक उस समय से कोरोना योद्धा की तरह कार्य कर रहे हैं तब उन्हें कोरोना योद्धा का दर्जा भी प्राप्त नहीं था। शिक्षकों को पहले टीका लगाने का फैसला इसलिए भी किया गया। ताकि शिक्षकों को इम्यून करके जल्द स्कूल खोले जा सकें।