अब राजीव बिंदल को मंत्री बनाने की लॉबीइंग में जुटे संघ के कुछ नेता

शिमला।। पीपीई किट खरीद में कथित गड़बड़ी को लेकर स्वास्थ्य निदेशक और एक शख्स की गिरफ्तारी के बाद उठ रहे सवालों के बीच बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले राजीव बिंदल को मंत्री बनाने के लिए लॉबीइंग शुरू हो गई है। खबर है कि संघ के नेताओं का एक वर्ग बिंदल को राज्य मंत्रिमंडल में जगह दिलाने की कोशिशों में जुट गया है। इस समय हिमाचल प्रदेश में तीन मंत्री पद खाली हैं।

सूत्रों का कहना है कि इसके लिए संघ के कुछ पदाधिकारी राज्य से लेकर दिल्ली तक संगठन पर दबाव बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। हालांकि, ऐसा तभी हो पाएगा जब इस मामले के आरोपियों को क्लीन चिट मिल जाए। ‘इन हिमाचल’ को इस संबंध में कुछ मुलाकातें होने की भी जानकारी है जिसमें कुछ चर्चित चेहरे मध्यस्थता कर रहे थे।

इससे पहले धूमल सरकार में मंत्री रह चुके बिंदल को 2018 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के मंत्रिमंडल में जगह मिलने की उम्मीद थी मगर उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था। इससे वह नाखुश थे, इसलिए केंद्र में नड्डा की ताजपोशी होते ही पार्टी के राज्य प्रमुख का पद संभाल लिया। मगर चार महीनों के अंदर ही उन्हें एक बार फिर भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में इस्तीफा देना पड़ा।

इससे पहले 2012 में जब वह स्वास्थ्य मंत्री थे, तब विपक्ष ने उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। बिंदल को तब चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, उन्होंने इन आरोपों को निराधार बताया था और आरोप लगाने वालों पर मानहानि का मुकदमा भी किया था। इससे पहले जब वह सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष थे, तब भी उनके ऊपर अनियमितताएं बरतने का आरोप लगाया गया था।

बीेजेपी सरकार की फजीहत
कोरोना संकट में उलझे देश का ध्यान उस समय हिमाचल प्रदेश की ओर चला गया जब यहां के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष राजीव बिंदल ने अचानक पद छोड़ दिया। उन्होंने इस्तीफ़े में लिखा कि पार्टी पर उठाए जा रहे सवालों को देखते हुए वह ‘नैतिक मूल्यों’ के आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं। इस तरह से बीजेपी और राज्य सरकार की पूरे देश में किरकिरी हुई।

बिंदल ने नड्डा को भेजे इस्तीफे में स्पष्ट कारण नहीं बताया था मगर पूरे प्रदेश में खबर फैल चुकी थी कि स्वास्थ्य विभाग में हुई पीपीई खरीद में गड़बड़ के तार ऐसे शख़्स से जुड़ रहे हैं जो बिंदल और उनके परिजनों का करीबी है। ये शख़्स है पृथ्वी सिंह जिसे हिमाचल प्रदेश स्टेट विजिलेंस ने स्वास्थ्य विभाग के निदेशक अजय गुप्ता के साथ गिरफ़्तार किया है।

मामला 43 सेकेंड के एक ऑडियो क्लिप के साथ जुड़ा है। इसमें स्वास्थ्य निदेशक अजय गुप्ता और पृथ्वी सिंह नाम के शख्स के बीच पांच लाख रुपये के कथित लेनदेन पर बात हो रही थी। आरोप है कि अजय गुप्ता ने पद का दुरुपयोग किया और नियमों को ताक पर रखकर ऐसी कंपनी से पीपीई किट खरीद लिए जो ट्रेस नहीं हो पा रही थी। आरोप है कि पृथ्वी सिंह से इसी डील के संबंध में पांच लाख रुपये की रिश्वत ली जा रही थी।

पृथ्वी सिंह नाहन से ही संबंध रखते हैं जहां के बिंदल विधायक हैं। यही नहीं, वह बिंदल की बेटी और दामाद की कंपनी में भी काम कर चुके हैं। हालांकि उनका कहना है कि कुछ महीनों से पृथ्वी सिंह के साथ उनका कोई संपर्क नहीं है।

अजय गुप्ता रिटायरमेंट के नजदीक थे मगर कुछ नेताओं की ओर से उनके सेवा विस्तार की कोशिशें भी की गई थीं। जब मामला मीडिया में उठा तो विपक्ष ने भी सवाल उठाए और स्थानीय मीडिया में भी खबरें छपीं मगर किसी ने भी नेता का नाम नहीं लिया। इसी बीच बिंदल ने इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तुरंत मंजूर कर लिया।

आरोपों का है लंबा इतिहास
मगर यह पहला मौका नहीं है जब उनके ऊपर इस तरह के आरोप लगे हैं। विधायक बनने से पहले बिंदल जब 1995 में सोलन नगर परिषद के अध्यक्ष थे, तब उनपर नियमों को ताक पर रखकर भर्तियां करवाने का आरोप लगा था और 2015 में कांग्रेस सरकार के दौरान मामले में चार्जशीट फाइल की गई थी मगर 2018 में बीजेपी की सरकार आते ही इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताकर केस बंद कर दिया गया था।

फिर 2007 चुनाव के समय बिंदल पर रेणुका बांध बनने से पहले आसपास की जमीन खरीदने का आरोप लगा था। तब पार्टी के अंदर से भी स्वर उठे थे कि उन्हें टिकट न दिया जाए। मगर वह जीते भी और मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने उन्हें मंत्री भी बनाया. मगर 2012 आते-आते उनपर आय से अधिक संपत्ति बनाने और गलत ढंग से गरीबों को मिली जमीन खरीदने के आरोप लगे। विधानसभा में विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया तो बिंदल ने वहीं सीएम को इस्तीफा देने की घोषणा कर दी जिसे नामंजूर कर दिया गया। मगर विवाद नहीं थमा तो तत्कालीन अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन्हें मंत्री पद छोड़ने को कह दिया। इसके बाद उन्होंने पार्टी महासचिव का पद संभाला।

क्या है पीपीई किट खरीद मामला
जिस ऑडियो क्लिप के सहारे विजिलेंस ने जांच शुरू की थी, उसमें दो लोगों के बीच पांच लाख रुपये के लेन-देन की बात हो रही थी। जब स्टेट विजिलेंस ने इस संबंध में दो लोगों की गिरफ़्तारी की, तब पता चला कि ये बातचीत हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक अजय गुप्ता और पृथ्वी सिंह नाम के एक शख़्स के बीच हो रही थी। दोनों को स्टेट विजिलेंस ने गिरफ्तार कर लिया था।

हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य उपकरण व अन्य सामग्री खरीदने के लिए कोई अलग से निगम या कंपनी का गठन नहीं किया है। इसलिए, तय दिशानिर्देश बनाकर जिलों के चीफ मेडिकल ऑफ़िसर टेंडर निकालकर इनकी खरीद करते हैं। मगर हिमाचल प्रदेश सरकार का कहना है कि कोरोना संकट आया तो निविदाएं मंगवाने का समय नहीं था और पीपीई किट खरीदने का जिम्मा अजय गुप्ता के नेतृत्व वाली टेक्निकल कमेटी को सौंप दिया गया।

इस कमेटी पर बड़ी जिम्मेदारी थी। उन्हें देखना था कि पीपीई उचित मूल्य पर मिलें और उनकी क्वॉलिटी भी अच्छी हो। इसके बाद अप्रैल में सरकार ने बिना टेंडर मंगवाए तो बार पीपीई किट खरीदे। पहली बार चंडीगढ़ की एक कंपनी से 1400 रुपये प्रति पीस के हिसाब से 6000 पीपीई खरीदे और दूसरी बार कुरुक्षेत्र की एक कंपनी बंसल कॉर्पोरेशन से 1050 प्रति पीस के हिसाब से 7000 पीपीई किट की खरीद हुई। पहला ऑर्डर 84 लाख का था जबकि दूसरा 73.5 लाख का।

बाद में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि बंसल कॉर्पोरेशन नाम की कोई कंपनी कुरुक्षेत्र में नहीं मिल रही है। ऐसे में विजिलेंस पड़ताल कर रही है कि अजय गुप्ता, जिनपर पीपीई खरीद का जिम्मा था, उन्होंने किससे ये 73.5 लाख के पीपीई किट खरीदे और इसमें पृथ्वी सिंह की क्या भूमिका है। इस बीच विजिलेंस को तीन और ऑडियो मिले हैं जिससे पूरे खेल का पर्दाफ़ाश हो सकता है।

सूत्रों का कहना है कि इन ऑडियो के आधार पर विजिलेंस जांच को आगे बढ़ाकर उनसे भी पूछताछ करना चाहती है, जिनके लिए पृथ्वी सिंह काम करता था। मगर एक लॉबी सरकार पर जांच की दिशा बदलने का भी दबाव डाल रही है ताकि आरोपियों को क्लीन चिट दिलाई जा सके।

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