रेग्युलर कर दिए मगर सरकार को नहीं मालूम PTA टीचर्स की सही संख्या

प्रतीकात्मक तस्वीर

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में शिक्षा विभाग की हालत क्या है, इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि उसे यही नहीं पता कि प्रदेश में कितने पीटीए टीचर हैं। यह बात उस आधिकारिक पत्र से पता चलती है जो सेक्रेटरी हायर एजुकेशन ने डायरेक्टर हायर एजुकेशन और डायरेक्टर एलिमेंट्री एजुकेशन को लिखा है। इसमें सही संख्या बताने को कहा गया है क्योंकि वित्त विभाग को इस संबंध में इंतजाम करने के लिए जो जानकारी भेजी गई थी, उसमें अध्यापकों की संख्या को लेकर कई गड़बड़ियां हैं।

दरअसल सरकार ने पीटीए, पैट और पैरा टीचर्स को रेग्युलर कर दिया गया है। लंबे समय से पीटीए टीचर्स खुद को रेग्युलर किए जाने की मांग कर रहे थे। इसके लिए इन्होंने लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी है। सरकार ने जून महीने में ही इसे सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी और अब जाकर इसकी अधिसूचना जारी हुई है।

पात्रता पूरी करने वाले पीटीए अध्यापक ही होंगे रेग्युलर

गौरतलब है कि पीटीए टीचर्स वो अध्यापक हैं जो बिना किसी कमिशन या एग्जाम के सरकारी स्कूलों में पैरंट्स टीचर्स एसोसिएशन के जरिये रख लिए गए थे (आजकल पीटीए की जगह स्कूलों में एसएमसी होती हैं)। पहले सरकार इन्हें ग्रांट इन एड में ले आई थी। अब, जबकि इन्हें रेग्युलर करने की घोषणा की गई तो वित्त विभाग को इनके वेतन आदि का इंतज़ाम करना होगा। लेकिन वित्त विभाग को शिक्षा विभाग से जानकारी मिली, उसमें अध्यापकों की संख्या ही सही नहीं थी।

अब सेक्रेटरी हायर एजुकेशन ने डायरेक्टर हायर एजुकेशन और डायरेक्टर एलिमेंट्री एजुकेशन को पत्र भेजकर कहा है, “वित्त विभाग ने पाया है कि विभाग ने पीटीए अध्यापकों की जो संख्या बताई है वो सटीक नहीं है और अलग-अलग है। एक जगह पीटीए अध्यापकों की संख्या 4974 और 1342 (कुल 6316) बताई गई है। वहीं दूसरी जगह यह संख्या 2374 (हायर) और 4064 (एलिमेंट्री) बताई गई है जो कुल मिलाकर 6438 होती है। वहीं चंद्र मोहन नेगी के केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पैरा 9 में यह संख्या 6799 बताई गई है। इसलिए डायरेक्टर हायर एजुकेशन और डायरेक्ट एलिमेंट्री एजुकेशन को निर्देश दिया जाता है कि वे इस संबंध में सही संख्या बताएं कि कितने अध्यापकों को रेग्युलर करना है। इसके लिए ज़िम्मेदार अधिकारी का नाम भी भी भेजें।”

शिक्षा सचिव का पत्र

यह पत्र पांच अगस्त, 2020 को जारी हुआ है। पीटीए टीचर्स का मुद्दा काफ़ी पुराना है और इनका मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है। अब सरकार की ओर से इन्हें रेग्युलर तक करने का एलान कर दिया गया है, फिर भी शिक्षा विभाग को इनकी संख्या ही नहीं पता कि कितनों को पक्का किया जाना है। सवाल उठ रहा है कि अभी तक शिक्षा विभाग क्या कर रहा था?

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