बिना क्लासरूम चल रहे स्कूल, देखें हिमाचल में शिक्षा की हालत

देश में सरकारी स्कूलों की हालत देखकर भी निजी स्कूलों की तरफ़ आकर्षित हो रहे लोग (प्रतीकात्मक तस्वीर)

शिमला।। बिना प्लैनिंग, बिना पैसे के स्कूल खोल दिए जाने के कारण हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। आप यह जानकर हैरान होंगे कि बहुत कम छात्रों वाले स्कूलों से इतर कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहां एक ही क्लासरूम है। यह स्थिति प्रदेश के एक नहीं बल्कि कई ज़िलों में हैं।

जो स्कूल एक ही कमरे के दम पर चल रहे हैं, उनमें प्राइमरी और मिडल स्कूल दोनों शामिल हैं। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यू-डाइस) की रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। अकादमिक सत्र 2018-19 के दौरान 30 सितंबर 2018 तक इकट्ठा किए गए डेटा के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है।

प्राइमरी स्कूल
रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश में कुल 10,623 प्राइमरी स्कूलों में से 441 ऐसे हैं जहां एक ही क्लासरूम है। 3,022 प्राइमरी स्कूलों में मात्र दो क्लासरूम हैं, 3,973 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जहां तीन क्लासरूम हैं जबकि 3,036 स्कूलों के पास 4-6 क्लासरूम हैं।

पहली से पाँचवीं तक की कक्षाओं में कम से कम पाँच क्लासरूम तो होने चाहिए। अध्यापकों के लिए दफ़्तर, लाइब्रेरी और खेल के सामान व स्टोर की व्यवस्था अलग से होनी चाहिए। मगर ऊपर की स्थिति बताती है कि कैसे शिक्षा को रामभरोसे छोड़ा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश भर के चार स्कूल तो ऐसे हैं जो बिना क्लासरूम ही चल रहे हैं। मात्र 140 प्राइमरी स्कूलों में 7 से 10 क्लासरूम हैं और सिर्फ़ 7 प्राइमरी स्कूलों में 11 से 15 क्लास रूम मौजूद हैं।

मिडल स्कूलों की स्थिति भी ख़राब
रिपोर्ट कहती है कि हिमाचल प्रदेश में कुल 1,969 मिडल स्कूलों में 4 स्कूल ऐसे हैं जो बिना क्लासरूम के चल रहे हैं। 263 स्कूल एक क्लासरूम के सहारे चल रहे हैं। 244 मिडल स्कूलों में 2 क्लासरूम, 1126 मिडल स्कूलों में 3 क्लासरूम जबकि 314 मिडल स्कूलों में 4 से 6 क्लासरूम मौजूद हैं। 18 मिडल स्कूल ही ऐसे हैं जहां पर 7 से 10 क्लासरूम मौजूद हैं।

जब बुनियादी इन्फ़्रास्ट्रक्चर नहीं है तो कौन अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएगा। अध्यापकों की कमी से तो कई स्कूल पहले से ही जूझ रहे हैं।

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