उद्योग मंत्री रहते स्वां के खनन पर सोए रहे मुकेश अग्निहोत्री अब जागे

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शिमला।। हिमाचल प्रदेश में नेताओं को गंभीर मसलों की याद तभी आती है जब वे विपक्ष में होते हैं। जब वे खुद सत्ता में आते हैं तो उन मामलों और मुद्दों को भूल जाते हैं। लेकिन विपक्ष में आते ही फिर उनकी नींद टूट जाती है और वो जोर-शोर से उन मुद्दों को उठाकर सरकार को घेरने लगते हैं। इस काम में हिमाचल प्रदेश में बारी-बारी से सरकारों में रही बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के नेता माहिर हैं। इन्हीं में से एक हैं- मुकेश अग्निहोत्री।

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने अपने फेसबुक पर उन लोगों को ब्लॉक करने का सिलसिला जारी रखा है, जो मर्यादित भाषा में उनकी पोस्ट्स पर कॉमेंट करके उनके दोहरे मापदंडों को एक्सपोज कर रहे हैं। पिछले दिनों जब उन्होंने मौजूदा सरकार पर फंड की बंदरबांट का आरोप लगाया था तो कॉमेंट करके कुछ यूजर्स ने वे खबरें पोस्ट कर दी थीं, जिनमें लिखा था कि कैसे उद्योग मंत्री रहते अग्निहोत्री पर भी ऐसा ही करने का आरोप लगा था।

अब, जब एनजीटी ने स्वां नदी में चल रहे खनन पर सख्ती की है, तब अग्निहोत्री ने इस हाल के लिए राज्य सरकार को कोसने वाली पोस्ट डाली है। मगर जब लोगों ने बताया कि उनके उद्योग मंत्री रहते भी ऐसे ही हाल थे, जबकि माइनिंग डिपार्टमेंट उनके ही मंत्रालय के अंतर्गत आता था। तो उनके कॉमेंट्स पेज से डीलीट कर दिए गए और यूजर्स को बैन कर दिया गया ताकि वे भविष्य में ऐसे कॉमेंट न कर पाएं।

क्या है मामला
स्वां नदी में हो रहे खनन को लेकर शिकायत मिलने पर एनजीटी ने एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी नदी का दौरा करेगी और पर्यावरण को हो रहे नुकसान की रिपोर्ट बनाकर एनजीटी को सौंपेगी।

इस बारे में मुकेश अग्निहोत्री ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है, “स्वां बचाने के लिए आदेश जारी करने पड़े। माफिया ने राजनीतिक संरक्षण में तमाम हदें पार कर दी और गुण्डागर्दी का साम्राज्य स्थापित किया। कहाँ रही सरकार? प्रशासन कहाँ रहा, क्या भारतीय प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा के अफ़सर भी लूट पर मौन थाम सकते हैं? सामान्य पुलिस क्या करती रही  ख़ासतौर पर थानों ब खनन विभाग की क्या भूमिका रही जब रोज़ाना एक हज़ार टिपर साठ- सतर टन लाद कर निकलता था? 1350 करोड़ की तटबंदी बचाने की लिए फ़्लड विभाग ने क्या किया? अब किन को लगेंगे भारी भरकम जुर्माने और किन की जाएँगी नौकरियां ?? पाप का घड़ा भरता है तो यही होता है। “जय सोमभद्रा””

अग्निहोत्री ने पूछा है, कहां रही सरकार, कहां रहा प्रशासन। लेकिन ये सवाल तब भी उठे थे जब हरोली से विधायक अग्निहोत्री पिछली सरकार में उद्योग मंत्री थे। तब हिंदी अखबार दैनिक जागरण ने एक विस्तृत रिपोर्ट छापी थी। इस रिपोर्ट का शीर्षक था- उद्योग मंत्री के जिले में बेलगाम खनन माफिया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, अग्निहोत्री ने तो इस मामले में जवाब देने से बचने के लिए फोन भी नहीं उठाए थे।

इस रिपोर्ट के पहले ही पैरा में लिखा था, “पौ फटते ही पहले सोमभद्रा नदी के किनारे बैलों के गले में बंधी घंटियों की आवाज मन को सुकून देती थी, लेकिन अब जेसीबी की कर्कश आवाज डराती है। प्रदेश में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध है व उच्च न्यायालय ने ने भी इसे रोकने के लिए सरकार को आदेश दे रखा है, लेकिन उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री के गृह जिले में खनन माफिया का उत्पात किसी को नजर नहीं आ रहा। उस विभाग को भी नहीं, जो उद्योग मंत्रालय के अधीन है।”

खनन विभाग उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है। इस रिपोर्ट में लिखा गया है, “इस संबंध मे पक्ष लेने के लिए उद्योग मंत्री से लगातार संपर्क किया गया। लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया व प्रतिक्रिया देने से बचते रहे।”

सरकार बदल गई, लेकिन खनन का सिलसिला जारी रहा। एक बार उद्योग मंत्री विक्रम ठाकुर ने स्वां नदी पर खनन करने वालों को मौके पर पकड़कर कार्रवाई भी की थी मगर हालात सुधरे नहीं। स्वां नदी के तटीकरण पर करोड़ों रुपये भी खर्च किए जा चुके हैं लेकिन अवैध खनन को रोकने को लेकर को कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। हालांकि, इस पर राजनीति खूब हो रही है। आज जो बीजेपी सत्ता में है, विपक्ष में रहते हुए वह भी खूब इस मुद्दे को उठाती थी। मगर आज सत्ता में आने के बाद शायद उसके नेताओं की भी स्मृति का लोप हो गया है।

 

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